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शादी से पहले मानसिक विकार की जानकारी नहीं देना फर्जीवाड़ा है : दिल्ली हाईकोर्ट

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Published : Dec 24, 2021, 9:21 PM IST

दिल्ली हाई कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि शादी से पहले मानसिक विकास की जानकारी छिपाना फर्जीवाड़ा है. कोर्ट ने 16 साल पुरानी शादी को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की है.

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नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि शादी के पहले मानसिक विकार की जानकारी नहीं बताना फर्जीवाड़े की श्रेणी में आएगा. जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने 16 साल पहले हुई एक शादी को रद्द करते हुए ये टिप्पणी की.

कोर्ट ने कहा कि इस मामले में पति ने अपना एक काफी कीमती समय खोया है. पति-पत्नी के रिलेशनशिप में पति ने अपना जीवन बर्बाद किया है. इस दौरान वो एक अच्छा दांपत्य जीवन बिता सकते थे. कोर्ट ने कहा कि पत्नी की ओर से शादी के पहले ये नहीं बताया गया कि उसे मानसिक विकार था. ऐसा करना पति के साथ फर्जीवाड़ा है.

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याचिका दायर कर पति ने आरोप लगाया था कि तलाक की उसकी अर्जी को फैमिली कोर्ट ने खारिज कर गलती की है. उसकी शादी दिसंबर 2005 में हुई थी. शादी के पहले लड़की के घर वालों ने ये नहीं बताया कि लड़की सीजोफ्रेनिया से पीड़ित है. पति ने आरोप लगाया कि लड़की शादी के बाद हनीमून और अपने ससुराल में असामान्य व्यवहार कर रही थी.

पति ने लड़की का एम्स समेत अस्पतालों में इलाज करवाया. एम्स के डॉक्टरों ने बताया कि लड़की को सीजोफ्रेनिया है. जब पति ने लड़की के घर वालों से बात की तो वे शादी के नौ महीने बाद उसे अपने घर ले गए.

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