नई दिल्ली :ट्रक में बनी खुफिया जगह में उड़ीसा से गांजा लाने वाले तस्करों को क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया है. फ्यूल टैंक में छिपाकर लाई गई 250 किलो गांजे की खेप को जब्त कर पुलिस ने तीन आरोपियों को पकड़ा है. इनमें ट्रक चालक, हेल्पर और गांजे की खेप लेने वाला शख्स शामिल है. पुलिस इनके दो अन्य साथियों की तलाश कर रही है.
संयुक्त आयुक्त धीरज कुमार के अनुसार क्राइम ब्रांच की टीम को सूचना मिली थी कि कुछ लोग उड़ीसा से गांजा लाकर उसे दिल्ली एनसीआर में सप्लाई कर रहे हैं. इसके आधार पर पुलिस टीम ने टेक्निकल सर्विलांस की मदद ली और ड्राइवर हेल्पर के फोन नंबर से जानकारी जुटाई. पुलिस को पता चला कि यह ट्रक उड़ीसा से दिल्ली आ रहा है. पुलिस को पता चला कि यह ट्रक भलस्वा में सुबह के समय आएगा. इस जानकारी पर एसीपी अनिल शर्मा की देखरेख में इंस्पेक्टर आलोक कुमार राजन और इंस्पेक्टर संजय कौशिक की टीम ने छानबीन शुरू की. एक टीम को मथुरा भेजा गया जिसने वहां जाकर ट्रक के बारे में जानकारी जुटाई. वहां उन्हें यह ट्रक खाली मिला.
पुलिस की दूसरी टीम को पता चला कि संदिग्ध गाड़ी भलस्वा इलाके में मौजूद है. इसलिए पुलिस टीम ने भलस्वा के पास जाल बिछाया और उसे रोक लिया. वहां से पुलिस ने चालक इसरफील उर्फ रामचंद्र, हेल्पर पालजी गौतम और गांजा खरीदने पहुंचे शहाबुद्दीन को पकड़ लिया. इस ट्रक में कोई सामान नहीं रखा हुआ था. पुलिस टीम ने जब ट्रक की बारीकी से जांच की तो पाया कि ईंधन का टैंक बड़ा है. इसमें एक खुफिया जगह बनाकर वहां 250 किलो गांजा छुपाया गया था. इसे लेकर एनडीपीएस एक्ट का मामला दर्ज किया गया है.
पुलिस को पता चला कि शहाबुद्दीन उर्फ खान, रामचन्द्र, ट्रक का मालिक पवन, गांजे का सप्लायर तिवारी और इसे देने वाला मुन्ना इस गैंग के सदस्य हैं. मुन्ना उड़ीसा में गांजे की खेप तिवारी और शहाबुद्दीन को देता है. पवन ने सेकंड हैंड ट्रक खरीदा था और इसमें बड़ा फ्यूल टैंक लगवाया जिसमें छिपाकर वह गांजे को लाता था. तिवारी और शहाबुद्दीन से वह इस ट्रक के एक चक्कर का 2 लाख रुपये किराया लेता था. रामचन्द्र ट्रक का चालक है और तिवारी एवं शहाबुद्दीन के लिए काम करता है. एक चक्कर के वह 50 हजार रुपये लेता था. शहाबुद्दीन इसे दिल्ली और हरियाणा में बेचता था.
गिरफ्तार किया गया शहाबुद्दीन नरेला का रहने वाला है. वह मूल रूप से बांग्लादेश का रहने वाला है. वहां से आकर उसके परिजन सीमापुरी झुग्गियों में बस गए थे. झुग्गी टूटने के बाद उन्हें नरेला में प्लॉट मिला था. यहां उसने कबाड़ी का काम किया. 2001 में जेल में उसकी मुलाकात सोनीपत निवासी कृष्ण से हुई थी. बाहर निकलने पर कृष्ण की मुलाकात ईश्वर तिवारी से हुई जिसके इशारे पर वह गांजे की तस्करी करने लगा. कृष्ण की सड़क हादसे में मौत हो गई, जिसके बाद शहाबुद्दीन गांजे की तस्करी करने लगा. उसके खिलाफ सोनीपत में चोरी का एक मामला पहले से दर्ज है.