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आईजीआई टी-1 पर विमानों के लिए तैयार हुए 19 नए पार्किंग स्टैंड

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Published : Dec 16, 2021, 10:56 PM IST

आईजीआई एयरपोर्ट टर्मिनल विस्तार योजना फेज 1 के तहत तैयार हुआ है नया स्मार्ट एप्रन, जिसमें बनने हैं कुल 82 स्टैंड. नए पार्किंग स्टैंड के तैयार होने से प्रति उड़ान 70 किलो CO2 के उत्सर्जन में भी कमी आएगी.

आईजीआई टी-1
आईजीआई टी-1

नई दिल्ली : आईजीआई एयरपोर्ट (IGI airport) पर एक नया स्मार्ट एप्रन तैयार किया गया है. इस नए एप्रन में कुल 19 विमानों के लिए पार्किंग स्टैंड तैयार किए गए हैं. यह निर्माण कार्य घरेलू टर्मिनल-1 विस्तार योजना फेज 1 के तहत किया गया है. इस पार्किंग के तैयार होने से अब एयरपोर्ट पर विमानों के उड़ान के दौरान उत्सर्जित होने वाले कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) में भारी कमी दर्ज की जाएगी. आईजीआई एयरपोर्ट ऑपरेटर दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट (Delhi International Airport Limited) के अनुसार इस पार्किंग के तैयार होने से औसतन प्रति उड़ान 70 किलो सीओटू के उत्सर्जन में कमी आएगी. तत्काल डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन (director of civil aviation) एप्रूवल का इंतजार किया जा रहा है, जिसके बाद ही स्टैंड का उपयोग शुरू हो सकेगा।.

DIAL के प्रवक्ता ने बताया कि टर्मिनल-1 पर कुल 82 स्टैंड बनने हैं. इसमें से 19 तैयार हो चुके हैं और 63 तैयार होने हैं. सभी स्टैंड के निर्माण कार्य पूरा होने और उसमें ऑपरेशन शुरू होने के बाद बनने पर प्रत्येक उड़ान पर 255 किलो कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन कम होगा. दरअसल, टर्मिनल-1 के पुरानी संरचना को तोड़कर उसे फिर से अंतरराष्ट्रीय मानक के अनुसार आधुनिकतम टर्मिनल के रूप में तैयार किया जा रहा है.

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पुराने संरचना में टर्मिनल-1 पर कुल 55 विमानों के लिए पार्किंग स्टैंड थे. अब नए संरचना में इनकी संख्या बढ़ाकर 82 की जा रही है. नए एप्रन में विजुअल डॉकिंग गाइडेंस सिस्टम (वीडीजीएस), फ्यूल हाइड्रेंट सिस्टम (एफएचएस), ग्राउंड पावर यूनिट्स (जीपीयू) और प्री-कंडीशन्ड एयर (पीसीए) जैसी आधुनिक सुविधाएं हैं.

इनसे उड़ान परिचालन में मदद मिलती है. बनाए गए नए एप्रन में कोड सी और कोई ई बड़े व छोटे सभी प्रकार के विमान खड़े हो सकते हैं. पूरा एप्रन तैयार हो जाने पर एक समय में अधिक संख्या में विमानों का परिचालन हो सकेगा. जिससे यात्रियों का समय बचेगा. जीएमआर ग्रुप, उप प्रबंध-निदेशक, प्रभाकर राव नया स्मार्ट एप्रन हवाई अड्डे पर बुनियादी ढांचे और यात्री अनुभव को बढ़ाने की दिशा में एक कदम है. यह हानिकारक कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को कम करने में महत्वपूर्ण योगदान निभाएंगे. निकट भविष्य में जब दिल्ली हवाई अड्डे की यात्री संचालन क्षमता प्रति वर्ष 14 करोड़ होगी तो इससे फायदा होगा.

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