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बीएसएफ की मुस्तैदी से घुसपैठ पर नकेल, तीन साल में वापस भेजे गए 14 हजार बांग्लादेशी

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Published : Apr 29, 2022, 5:10 PM IST

2019 से अबतक करीब तीन साल में 14 हजार बांग्लादेशी नागरिकों को भारत में घुसपैठ करने से रोका गया. यह जानकारी ने सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने अपनी रिपोर्ट में दी है.

14,000 Bangladeshi nationals sent back
14,000 Bangladeshi nationals sent back

नई दिल्ली : पिछले तीन साल में बीएसएफ की मुस्तैदी के कारण बिना परमीशन भारत आने वाले हजारों बांग्लादेशी नागरिकों की एंट्री रोकी गई. बीएसएफ की रिपोर्ट के अनुसार, 2019 से अबतक 14 हजार बांग्लादेशी घुसपैठियों को बॉर्डर इलाके से पकड़कर वापस बांग्लादेश भेजा गया. रिपोर्ट के अनुसार, 9,233 बांग्लादेशियों को इंटरनेशनल बॉर्डर पर रोका गया. ये सभी भारत में अपने 'अवैध' प्रवास के बाद वापस बांग्लादेश भागने की कोशिश कर रहे थे. इसके अलावा एक जनवरी 2019 से 28 अप्रैल 2022 के बीच बांग्लादेश से भारत में घुसपैठ की कोशिश के दौरान 4,896 बांग्लादेशी नागरिकों को पकड़ा गया. इस तरह पिछले तीन साल में 14,361 बांग्लादेशी नागरिकों को सीमा पार करते हुए पकड़ा गया.

रिपोर्ट के अनुसार, सबसे अधिक साउथ बंगाल बॉर्डर के जरिये बांग्लादेश के घुसपैठियों ने भारत में अवैध तरीके से घुसने की कोशिश की. अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर पकड़े गए कुल 14,361 बांग्लादेशी नागरिकों में से 11,034 ने साउथ बंगाल के रास्ते घुसपैठ का प्रयास किया था. बीएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बांग्लादेश से भारत आने वाले और यहां से जाने वाले 80 फीसदी अवैध प्रवासी नदी के रास्ते आवाजाही करते हैं. बता दें कि सुंदरबन से मालदा के बीच साउथ बंगाल के बॉर्डर पर कई नदियां बहती हैं, जहां घुसपैठिये बीएसएफ को चकमा देने की कोशिश करते हैं.

भारत बांग्लादेश के साथ 4,096 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है, जिसमें से साउथ बंगाल फ्रंटियर इलाकें में दोनों देशों के बीच 913.32 किमी बॉर्डर है. इस बॉर्डर का 50 फीसदी हिस्से में बाड़ नहीं लगाया गया है क्योंकि वहां नदियां बहती हैं. कई इलाकों में इंटरनेशनल बॉर्डर भी स्पष्ट नहीं है, जिसके कारण सुरक्षा बलों को घुसपैठ का पता लगाने में दिक्कत होती है. इस समस्या से निपटने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बीएसएफ को अप्रोच बदलने की सलाह दी थी. इसके बाद से घुसपैठ करने वाले नागरिकों को बांग्लादेश के बॉर्डर गार्ड (BGB) को सौंपा जाने लगा. हालांकि उन्हें सौंपने से पहले सुरक्षा एजेंसियां यह जांच करती है कि घुसपैठिए का संबंध किसी आपराधिक गतिविधि से तो नही हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, भारत आने वाले अधिकतर बांग्लादेशी अपनी आजीविका की तलाश में बॉर्डर क्रॉस करते हैं. बांग्लादेश और भारत में सक्रिय दलाल इंटरनेशनल बॉर्डर क्रॉस करने के लिए लोगों से मोटी रकम वसूलते हैं. रिपोर्ट में कई तथ्य चौंकाने वाले हैं. दिसंबर 2019 में, संसद में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम को मंजूरी मिलने के बाद भारत में अवैध तरीके से एंट्री की कोशिश करने वाले बांग्लादेशी नागरिकों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. हालांकि सख्ती के कारण 2020 में 1,214 बांग्लादेशी ने भारत में घुसने करने का प्रयास किया, जबकि 3,463 को वापस भेजा गया.

बीएसएफ के अधिकारियों ने बताया कि बॉर्डर पर बाड़ लगाने, बांग्लादेशी गार्ड से कॉर्डिनेशन और गश्त बढ़ाने के कारण बांग्लादेशी नागरिकों की घुसपैठ पर अंकुश लगा है. प्रभावी बॉर्डर मैनेजमेंट सिस्टम ने न केवल घुसपैठ के मामलों को कम किया बल्कि भारत-बांग्लादेश सीमा से मवेशियों की तस्करी और नशीली दवाओं की तस्करी के मामलों में भी नकेल कसी है. बीएसएफ अधिकारियों ने कहा कि भारत-बांग्लादेश सीमा पर 85 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र में बाड़ लगाए गए हैं. जहां बाड़ क्षतिग्रस्त हो गए हैं, उन्हें एंटी कट-एंटी-क्लाइंब से बदला जा रहा है.

(ANI)

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