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सरकारी कागज का खेल निराला! फाइलों में दफन हो गया जिंदा खेदन घांसी, जानिए पूरा माजरा

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Published : May 27, 2023, 4:34 PM IST

कागजों में दफन हो चुके खेदन घांसी अब खुद चलकर सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं और बाबूओं के सामने सशरीर उपस्थिति से खुद को जिंदा साबित करने की लगातार कोशिश कर रहे हैं. लेकिन सरकारी सिस्टम ऐसा कि फाइलों में मर चुके शख्स को जिंदा देखकर भी दफ्तर के लोग उसे जिंदा मानने में देर कर रहे हैं. ये पूरा मामला बोकारो के कसमार प्रखंड के बगदा गांव का है.

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बोकारोः नाम खेदन घांसी, पिता छुटु साव, उम्र 70 साल, पता कसमार प्रखंड के बगदा गांव. इसके अलावा फाइलों में ये भी लिखा गया है कि खेदन घांसी की मृत्यु हो चुकी है. सरकारी कलम से लिखे गये एक शब्द से सबकुछ बदल गया. एक जिंदा इंसान को सरकारी कागजों में मृत बताकर उसका पेंशन बंद कर दिया गया. ये पूरा माजरा झारखंड के बोकारो जिला का है.

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सरकारी रिकॉर्ड में मृत घोषित किए जाने के बाद कसमार प्रखंड के बागदा निवासी 70 वर्षीय खेदन घांसी अब खुद को जीवित साबित करने के लिए लगातार प्रखंड कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं. कार्यालय के बाबूओं के सामने खड़े होकर कहना पड़ रहा है कि वो जिंदा हैं. लेकिन खेदन घांसी खुद को जिंदा साबित करने में अब तक सफल नहीं हो पाए हैं. सरकारी तंत्र में कागजों और फाइलों में दबे प्राण उनके शरीर में वापस नहीं आ पा रहे हैं. पेपर सही नहीं होने के कारण खेदन घांसी की बंद हुई वृद्धा पेंशन अभी तक शुरू नहीं हो पाई है.

जानिए क्या है पूरा मामलाः बोकारो जिला में कसमार प्रखंड के बगदा गांव के रहने वाले 70 वर्षीय खेदन घांसी (पिता छुटु साव) को पिछले कई वर्षों तक नियमित रूप से सरकारी योजना से वृद्धावस्था पेंशन मिल रही थी. लेकिन सितंबर 2022 से अचानक उनका पेंशन बंद हो गया. खेदन घांसी गांव के गोड़ाइत हैं. पेंशन बंद होने के बाद उन्होंने प्रखंड कार्यालय जाकर इसकी जानकारी ली. लेकिन जो बात उन्हें पता चली उसे सुनकर खेदन घांसी के पैरों तले जमीन खिसक गयी. उन्हें पता चला कि सरकारी रिकॉर्ड में वो मृत बताए गए हैं. अब खुद को जीवित साबित करने के लिए खेदन घांसी लगातार भागदौड़ कर रहे हैं. लेकिन 8 महीने से ज्यादा हो चुके हैं अब तक खेदन खुद को जीवित साबित नहीं कर पाए हैं और ना ही पेंशन चालू करवा पाए हैं.

सरकारी कागज का खेल निराला! इस बाबत कसमार बीडीओ विजय कुमार को मामले की जानकारी मिली. इसके बाद बीडीओ ने अपने स्तर से मामले की छानबीन की. जिसमें ये पता चला कि सरकारी फाइलों में खेदन घांसी को सचमुच में मृत घोषित कर दिया गया है. इस बाबत कसमार बीडीओ ने 20 अप्रैल 2023 को सामाजिक सुरक्षा, बोकारो के सहायक निदेशक को पत्र लिखा. जिसमें बताया गया कि बगदा के पंचायत सचिव द्वारा भूलवश जीवित पेंशनधारी को भौतिक सत्यापन में मृत घोषित कर दिया गया था. जिस कारण 2022 सितंबर से खेदन घांसी का पेंशन बंद है. कसमार बीडीओ ने पत्र में ये भी लिखा है कि वर्तमान भौतिक सत्यापन में खेदन घांसी को जीवित पाया गया है. इसलिए 2022 के सितंबर माह से इनके पेंशन का भुगतान किया शीघ्र किया जाए. हालांकि अभी तक खेदन घांसी का पेंशन शुरू नहीं हो सका है.

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