दिल्ली

delhi

Jharkhand: पिता को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाए जाने पर ईटीवी भारत से बोले जयंत सिन्हा- देखते हैं क्या होता है

By

Published : Jun 21, 2022, 4:56 PM IST

यशवंत सिन्हा एक बार फिर सुर्खियों में हैं. विपक्ष की ओर से यशवंत सिन्हा राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनाए गए हैं. इससे हजारीबाग में काफी खुशी है. हालांकि उनके बेटे और हजारीबाग सांसद जयंत सिन्हा भी इस सवाल से बचते दिखें.

Hazaribag MP Jayant Sinha
Hazaribag MP Jayant Sinha

हजारीबागः पूरे देश भर में हजारीबाग की पहचान में राजनीतिक दृष्टिकोण भी रहा है. इस जिले ने देश को वित्त और विदेश मंत्री के रूप में यशवंत सिन्हा को दिया है. हजारीबाग के चौक चौराहे से राजनीति करियर शुरू करने वाले यशवंत सिन्हा भारत के पूर्व वित्त मंत्री रहने के साथ-साथ अटल बिहारी बाजपेयी मंत्रिमंडल में विदेश मंत्री रह चुके हैं. आज जब विपक्ष की ओर से संयुक्त रूप से यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी चुना गया तो लोगों में खुशी का माहौल है. हालांकि उनके बेटे जयंत सिन्हा अपने पिता की उम्मीदवारी के सवाल पर कुछ कहने से बचते दिखें. ईटीवी भारत ने जब सवाल किया तो उन्होंने सिर्फ यही कहा कि देखते हैं आगे क्या होता है.

यह भी पढ़ेंःPresidential Election 2022 : विपक्ष की बैठक में फैसला, यशवंत सिन्हा होंगे संयुक्त उम्मीदवार



इससे पहले यशवंत सिन्हा ने ट्वीट किया कि 'टीएमसी ने मुझे जो सम्मान और प्रतिष्ठा दी. उसके लिए मैं ममता जी का आभारी हूं. अब एक समय आ गया है जब एक बड़े राष्ट्रीय उद्देश्य के लिए मुझे पार्टी से हटकर अधिक विपक्षी एकता के लिए काम करना चाहिए. मुझे यकीन है कि वह इस कदम को स्वीकार करेंगी.' इस ट्वीट के बाद यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष का संयुक्त उम्मीदवार घोषित किया गया.

देखें वीडियो

यशवंत सिन्हा का जन्म 6 सितंबर 1937 में पटना में हुआ. प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने 1960 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल हुए और अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण पदों पर आसीन रहे. इस बीच उन्होंने जर्मनी के भारतीय दूतावास में प्रथम सचिव के रूप में भी सेवा दी. 1984 में भारत सरकार के भूतल परिवहन मंत्रालय में संयुक्त सचिव के रूप में सेवा दी. 24 वर्षों तक भारतीय प्रशासनिक सेवा में कार्यरत रहने के बाद राजनीति में आए.

1984 में यशवंत सि न्हा ने भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दिया और जनता पार्टी के सदस्य के रूप में सक्रिय राजनीति से जुड़े. 1988 में उन्हें पार्टी ने राज्यसभा भेजा. 1996 मे भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता बने. मार्च 1998 मे उनको वित्त मंत्री की जिम्मेदारी दी गई. इसके बाद साल 2004 तक विदेश मंत्री रहे, लेकिन उनके राजनीतिक करियर में 2004 भूचाल ला दिया और उन्हें लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. हजारीबाग से कम्युनिस्ट पार्टी के नेता भुनेश्वर प्रसाद मेहता ने उन्हें मात दी. हालांकि 2005 में फिर से संसद में प्रवेश किये. 13 जून 2009 को उन्होंने भाजपा के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. 13 मार्च 2021 को उन्होंने ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए.

ABOUT THE AUTHOR

...view details