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अंधविश्वास का बोलबाला! यहां ग्रामीण करते हैं बाबा के 'चमत्कारों को नमन', दम तोड़ता जागरूकता अभियान

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Published : Jul 29, 2021, 10:22 PM IST

Updated : Jul 30, 2021, 5:57 PM IST

सूरजपुर के भैयाथान विकासखंड से महज थोड़ी दूर तरका गांव के ग्रामीण आज भी सर्पदंश को लेकर बाबाओं के चक्कर लगा रहे हैं. स्वास्थ्य अधिकारी का कहना है जिले के प्राथमिक और जिला अस्पतालों में एंटी वेनम उपलब्ध है. बावजूद इसके ग्रामीण अस्पतालों की जगह बाबाओं के दरवाजे पहुंच रहे हैं.

patient and snakebite
मरीज और सर्पदंश

सूरजपुर: अंधविश्वास और आस्था का वास्ता कोई नई बात नहीं है. हर 10 ग्राम पंचायत के बाद यहां एक झाड़ फूंक करने वाला बाबा आपको आसानी से नजर आ जाएगा. आज हम एक ऐसे बाबा के बारे में बताने जा रहे हैं, जो सर्पदंश के मरीजों को झाड़ फूंक से इलाज कर ठीक करने का दावा करता है और रोजाना उसके पास सर्पदंश के मरीजों की भीड़ लगी रहती है. देखिये हमारी खास रिपोर्ट...

अंधविश्वास का बोलबाला

ढोंगी 'बाबाओं' की इस देश में कोई कमी नहीं है लेकिन खतरनाक इलाज को झाड़ फूंक से ठीक करने वाले बाबा, सूरजपुर के ग्रामीण अंचलों में अपने पैर पसार चुके हैं. ऐसे बाबा मरीज के शरीर पर थाली चिपकाकर उनका इलाज करते हैं. यह एक बाबा है जो सर्पदंश के मरीज का थाली चिपकाकर इलाज करता है. बाबा का दावा है कि उसे आठ बार सांप ने काटा है लेकिन उसे कुछ नहीं होता.

बाबा के 'चमत्कारों को नमन'

बाबा के चमत्कारों की चर्चा दूर- दूर तक के गांवों में फैली है. जिससे दूर दराज के सर्पदंश के मरीज भी बाबा के चंगुल में फंसकर अपना इलाज कराने पहुंच जाते हैं. यह पूरा मामला शिक्षित विकासखंड भैयाथान से महज थोड़ी दूर स्थित तरका गांव का है. जहां इलाज कराने पहुंचने वाले ग्रामीण भी पूरी तरह से बाबा के 'चमत्कारों को नमन' करते हैं.

जहां एक ओर सर्पदंश से होने वाली मौतों के आंकड़े हर साल बढ़ते जा रहे हैं तो दूसरी ओर केवल अपने नाम की पहचान के लिए झाड़ फूंक करने वाले, बाबा ग्रामीणों की जान से खेलवाड़ कर रहे हैं.

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'दम तोड़ रहे' जागरूकता अभियान

ग्रामीणों का मानना है कि अस्पताल दूर और अव्यवस्थित है. अस्पताल तक पहुंचने के लिए ना तो ग्रामीणों के पास सुगम साधन है और ना हीं गांव में अच्छी सड़कें. कई ग्रामीण इलाकों में अस्पताल तो दूर यहां तक एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी नहीं हैं. ऐसे में यदि किसी ग्रामीण को सांप काटता है तो उसे स्थानीय बाबा के पास लेकर इलाज करना पड़ता है. प्रशासन और चिकित्सा विभाग के ग्रामिणों को जागरूक करने के लिए कई तरह के अभियान भी यहां दम तोड़ रहे हैं.

CMHO आरएस सिंह ने बताया कि सर्पदंश के मरीजों को फौरन अस्पताल लेकर आना चाहिए और जो भी समस्या है उसे डॉक्टर्स के साथ शेयर करना चाहिए. उन्होंने बताया कि एंटीवेनम जिला अस्पताल से लेकर हर जगह मौजूद है. सीएमएचओ ने लोगों से अनुरोध करते हुए कहा कि सांप के काटने पर संबधित मरीज को सीधे अस्पताल लेकर पहुंचे ताकि उसका ठीक समय पर इलाज किया जा सके और मरीज की जान बचाई जा सके. सीएमएचओ ने बताया कि मरीज को समय पर अस्पताल लेकर पहुंचना जरूरी है. क्योकि एक बार व्यक्ति के शरीर में सांप का जहर फैल गया तो उसे बचाने बहुत मुश्किल हो जाता है.

सीएमएचओ आरएस सिंह ने कहा 'हमारी ओर से बाबाओं को भी समझाइश दी जाती है कि वह झाड़ फूंक ना करे, क्योंकि ऐसा करने से व्यक्ति की जान भी जा सकती है. इसलिए उन्हें सख्त मना किया गया है'.

बाबाओं पर भरोसा ज्यादा क्यों?

ग्रामीण परिवश में ज्यादातर ग्रामीण पारंपरिक इलाज पर भरोसा करते हैं. ऐसे में इस तरह इलाज के नाम पर अंधविश्वास का यह कोई पहला मामला नहीं है. जिले के वनांचल क्षेत्रों मे आये दिन इस तरह के अंधविश्वास का खेल चलता ही रहता है. इस दौरान जब मरीज की स्थिति बिगड़ जाती है, तब उसे हॉस्पिटल ले जाया जाता है. कभी-कभी देरी के कारण मरीज बच नहीं पाता है और इलाज के दौरान मौत हो जाती है. हैरानी की बात ये है कि गांव-गांव में जगह-जगह स्वास्थ्य केंद्र बनाकर लोगों को सेवा देने की कोशिश की जा रही है. बावजूद इसके लोग अंधविश्वास की तरफ बढ़ रहे हैं.

Last Updated : Jul 30, 2021, 5:57 PM IST

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