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सूरजपुर में मिला हाथी का शव, वन विभाग कर रहा जांच

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Published : Jun 11, 2021, 4:29 PM IST

प्रतापपुर वन परिक्षेत्र के अंतर्गत दरहोरा गांव के पास नर दंतैल हाथी का शव मिला है. (Elephant dies in Surajpur) हाथी की उम्र लगभग 20 से 25 साल बताई जा रही है. शव करीब 10 से 12 दिन पुराना बताया जा रहा है. फिलहाल वन विभाग जांच कर रहा है.

Elephant dead body found
सूरजपुर में मिला हाथी का शव

सुरजपुर: प्रतापपुर वन परिक्षेत्र (Pratappur Forest Range ) अंतर्गत दरहोरा गांव के पास नर दंतैल हाथी का शव मिला है. (Dead body of male dental elephant ) हाथी का शव कक्ष क्रमांक 101 में काफी सड़ी,गली हालत (death of elephants ) में मिला है. यह स्थान दरहोरा असनापारा और पकनी के बीच के जंगल के क्षेत्र में बताया जा रहा है. हाथी की उम्र लगभग 20 से 25 साल बताई जा रही है.

हाथी के शव को देखकर अंदाजा लगाया जा रहा है कि उसकी मौत 10 से 12 दिन पहले हुई है. जिसकी जानकारी जुटाई जा रही है. यह हाथी किस दल का है, इसकी जानकारी स्पष्ट नहीं हो पाई है. वन विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंच चुके हैं. संभावना जताई जा रही है कि हाथी उनके परिक्षेत्र में भ्रमण नहीं कर रहा था. घुई परिक्षेत्र से हाथी यहां पहुंचा था. (Elephant dies in Surajpur)

वन विभाग को नहीं थी जानकारी

हाथी की मौत के बाद से वन विभाग की लापरवाही भी साफ नजर आ रही है. वन विभाग की कार्य प्रणाली पर सवाल भी उठ रहे हैं. क्षेत्र में हाथी के मरने की खबर भी वन विभाग को देर से लगी है. इस हाथी को लेकर भी रेंजर कुछ भी स्पष्ट बता नहीं पा रहे हैं. वहीं वन विभाग मौके पर पहुंच कर शव के पोस्टमार्टम की तैयारी कर रहा है.

सूरजपुर में इलाज के दौरान नन्हें हाथी की मौत

छत्तीसगढ़ के जंगलों में हाथियों का विचरण

छत्तीसगढ़ के जंगलों में हाथियों का बसेरा है. बड़ी संख्या में हाथी छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों के जंगलों में विचरण करते हैं. लेकिन हाथियों की मौत और हाथियों के कारण वनांचलों में रहने वाले लोगों को होने वाली परेशानी एक बड़ी समस्या बनती जा रही है. पिछले कुछ समय में छत्तीसगढ़ में बड़ी संख्या में हाथियों की मौत हुई है. साल 2020 की बात करें तो छत्तीसगढ़ में जून 2020 में 6 हाथियों की मौत हुई थी. जिसके बाद कई अधिकारियों को सस्पेंड और कई को ट्रांसफर कर दिया गया था. उन हाथियों की मौत के मामले में वन विभाग के साथ-साथ विद्युत विभाग की लापरवाही सामने आई थी, इन सबके अलावा कई असामाजिक तत्वों की मिलीभगत का मामला भा सामने आया था. इससे पहले धरमजयगढ़ में 16 और 18 जून को भी 2 हाथियों की मौत हुई थी.छत्तीसगढ़ में चार साल में करीब 46 हाथियों की मौत करंट लगने से हुई है. इसमें 24 हाथियों की मौत अकेले रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ में हुई है. हाथी-मानव द्वन्द्व में इंसानों की मौत का आंकड़ा थोड़ा ज्यादा है. हाथी-मानव द्वन्द्व के पीछे लगातार घटते जंगल को वजह बताया जा रहा है. छत्तीसगढ़ के सरगुजा, बलरामपुर, कोरिया, जशपुर, कोरबा, रायगढ़ महासमुंद जिले में हाथी विचरण करते हैं. यहां के लोग जंगली हाथियों से परेशान हैं. (elephant affected area )

हाल ही में नन्हें हाथी की हुई मौत

25 अप्रैल को सूरजपुरके तमोर हाथी रेस्क्यू सेंटर में बीमार हाथी के बच्चे की मौत हो गई थी. रेस्क्यू सेंटर में पिछले 15 दिनों से उसका इलाज चल रहा था. पिंगला के जंगल में हाथी का बच्चा नदी में गिर गया था. वन विभाग के कर्मचारी घायल हाथी को इलाज के लिए रेस्क्यू सेंटर में लाए थे. जहां दिन-रात डॉक्टर और वन अमला इलाज में जुटा हुआ था. लेकिन शनिवार रात उसकी मौत हो गई. (death of little elephant )

मानव-हाथी संघर्ष के पीछे का कारण
हाथियों की संख्या बढ़ती गई और हाथी और इंसान के बीच संघर्ष की स्थिति निर्मित हो गई. इसमें कभी हाथी मारे जा रहे हैं, तो कभी इंसान. नितिन सिंघवी कहते हैं, जिस तरह से तेजी से जंगल को काटा जा रहा है, उससे इन हाथियों के सामने रहने-खाने की समस्या पैदा हो गई, जिसके कारण ये हाथी जंगल से निकलकर गांव और शहरों की ओर रुख कर रहे हैं. यही वजह है आए दिन इंसान और हाथी के बीच लड़ाई देखने को मिल रही है.

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