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Kumud Memorial Hospital: डिलीवरी में लापरवाही से नवजात की मौत, मां की जान बचाने निकालना पड़ा यूट्रस, डॉक्टरों का लाइसेंस रद्द करने की मांग

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Published : Apr 23, 2023, 7:36 AM IST

Updated : Apr 23, 2023, 2:03 PM IST

rajnandgaon news राजनांदगांव के कुमुद मेमोरियल अस्पताल पर डिलीवरी में लापरवाही का आरोप लगा है. पीड़ित परिवार का कहना है कि अस्पताल में डिलीवरी के दौरान पूरी तरह से लापरवाही की गई. गर्भवती को पेन का इंजेक्शन देने के बाद गाइनोकोलॉजिस्ट डॉक्टर अस्पताल से बाहर चली गई, पीडियाट्रिशन ने डिलीवरी कराई, जिस वजह से नवजात की मौत हो गई. गर्भवती की जान बचाने के लिए यूट्रस निकालना पड़ा. पीड़ित परिवार आरोपी डॉक्टरों पर कार्रवाई की मांग कर रहा है. Kumud Memorial Hospital accused of negligence

negligence of hospital in rajnandgaon
डिलीवरी के दौरान चिकित्सीय लापरवाही

कुमुद मेमोरियल अस्पताल पर आरोप

राजनांदगांव: बलदेव बाग स्थित कुमुद मेमोरियल अस्पताल में डिलीवरी के दौरान लापरवाही के चलते नवजात की मौत का मामला सामने आया है. इस संबंध में स्टेशन पारा निवासी लेखा यदु ने अपने परिजनों के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कुमुद मेमोरियल अस्पताल की डॉ सुरभि महोबे और उनके भाई डॉ सौरभ मोहबे पर गंभीर आरोप लगाए हैं.

ये है पूरा मामला:पीड़िता लेखा यदु ने बताया कि "24 नवंबर को दोपहर 12 बजे कुमुद मेमोरियल अस्पताल की डॉक्टर सुरभि महोबे के कहने पर उन्हें डिलीवरी के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया. भर्ती कराने के बाद उन्हें आर्टिफिशीयल पेन का इंजेक्शन दिया गया. इस दौरान डॉक्टर सुरभि महोबे अस्पताल में मौजूद थी. रात में लेबर पेन होने लगा, लेकिन डॉक्टर सुरभि अस्पताल में मौजूद नहीं थी. बार बार पूछने पर अस्पताल स्टाफ की तरफ से ये बताया गया कि डिलीवरी के समय आ जाएंगी. इसी बीच उनके छोटे भाई डॉक्टर सौरभ जो पीडियाट्रिक डॉक्टर है, लेबर रूम में आए और डिलीवरी कराई. इस दौरान खून ज्यादा बह गया, मेरी हालत खराब होने लगी."

लेखा यदु ने आगे बताया " डिलीवरी के बाद बच्चे को भी नहीं दिखाया गया और बच्चे को वेंटिलेटर पर डाल दिया. ये कहा गया कि बच्चे की हालत खराब है. डिलीवरी के बाद बच्चा रोया ही नहीं. लेकिन बच्चा रोया था. जच्चा बच्चा दोनों की हालत खराब होने पर कुमुद मेमोरियल अस्पताल ने दोनों को दूसरे अस्पताल में शिफ्ट करने को कहा, लेकिन हॉस्पिटल में एक एंबुलेंस भी नहीं था. किसी तरह बच्चे को और मुझे दूसरे अस्पताल में शिफ्ट कराया गया. लेकिन बच्चा नहीं बचा. मेरी जान बचाने के लिए यूट्रस निकालना पड़ा. अस्पताल की लापरवाही के कारण आज हमारा बच्चा नहीं बचा. "

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जो मेरे साथ हुआ वो किसा के साथ ना हो:लेखा यदु का कहना है कि अस्पताल की लापरवाही के कारण बच्चे की जान चली गई. यूट्रस निकालने के कारण ही उसकी जान बच पाई. अस्पताल में पूरी तरह से लापरवाही बरती जा रही है. मामले में कई जगह शिकायत की गई लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई.

पीड़ित परिवार के आरोप के बाद सीएमएचओ ने अस्पताल की जांच के लिए टीम बनाई. जांच रिपोर्ट कलेक्टर के पास सौंपने के बाद कलेक्टर ने आरोपी पक्ष से जवाब मांगा.



Last Updated :Apr 23, 2023, 2:03 PM IST

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