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नरवा, गरवा, घुरवा, बारी को सहेजने का असर, महिलाओं को मिला रोजगार

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Published : Apr 22, 2020, 7:10 PM IST

रायगढ़ के हिर्री गांव में महिलाएं स्वसहायता समूह गौठान में सब्जी उगा रहा है. इससे महिलाओं को रोजगार के साथ ही अर्थिक मदद मिल रही है. जिससे वे लॉकडाउन में ग्रामीणों की मदद कर रही है.

Women get employment in Narwa Garwa Ghurwa Bari in Raipur
नरवा, गरवा, घुरवा, बारी से महिलाओं को मिला रोजगार

रायपुर: छत्तीसगढ़ की चार चिन्हारी को सहेजने की सुराजी गांव योजना का असर अब गांवों में दिखने लगा है. यह योजना खेती और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रही है, साथ ही ग्रामीणों के लिए रोजगार के नए अवसर भी खोल रही है. लॉकडाउन में भी महिलाएं बाड़ी में सब्जी उगाकर और गौठान में बनी वर्मी कंपोस्ट की बिक्री कर कमाई कर रही हैं. ये महिलाएं सब्जियों का वितरण कर ग्रामीणों की मदद भी कर रही हैं.

नरवा, गरवा, घुरवा, बारी से महिलाओं को मिला रोजगार
नरवा, गरवा, घुरवा, बारी योजना के अंतर्गत भू-जल स्तर सुधार, पशुधन विकास, जैविक खाद निर्माण और बाड़ी विकास के कार्यों के अब सकारात्मक परिणाम दिखने शुरू हो गए हैं. रायगढ़ जिले के बरमकेला में करीब डेढ़ हजार की आबादी वाले गांव हिर्री के गौठान में दो महिला स्वसहायता समूह सब्जी उगा रही हैं. ग्राम्य भारती और लक्ष्मी स्वसहायता समूह की 15-15 महिलाएं गौठान की डेढ़ एकड़ बाड़ी में भिंडी, करेला, केला और कद्दू की खेती कर रही हैं. यहां से निकली सब्जियों को अभी लॉकडाउन में निराश्रितों और जरूरतमंदों को वितरित किया जा रहा है. बची सब्जियों को बेचकर समूह की महिलाएं जीविकोपार्जन भी कर रही हैं.


महिलाओं ने किसानों को बेचा जैविक खाद
हिर्री में कुछ अन्य स्वसहायता समूह की महिलाएं गौठान में वर्मी कंपोस्ट तैयार करने के काम में लगी हुई हैं. अभी हाल ही में इन महिलाओं ने स्थानीय किसानों को 15 क्विंटल जैविक खाद बेचा है. किसानों को वर्मी कंपोस्ट उपलब्ध कराने के साथ ही दूसरी महिलाओं की बाड़ी के लिए भी वे जैविक खाद देती हैं. जैविक खाद के उपयोग से मृदा और पर्यावरण दोनों की सेहत सुधर रही है. वर्मी कम्पोस्ट निर्माण के दौरान केचुओं का संवर्धन कर इसका भी विक्रय किया जा रहा है.

काम के साथ रखा जा रहा सफाई का ख्याल

गौठान और बाड़ी में काम के दौरान सभी महिलाएं कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के उपायों का पालन कर रही है. साबुन से बार-बार हाथ धोने के साथ ही शारीरिक दूरी बनाए रखते हुए मास्क और कपड़े से मुंह ढंककर काम कर रही है.

गौठान बनने से किसानों को राहत
सुराजी गांव योजना के अंतर्गत गांव के पास से गुजरने वाले नाले में जल संवर्धन के लिए बोल्डर चेकडैम बनाया गया है. इसके निर्माण से गांव के भू-जल स्तर में काफी सुधार आया है. इधर-उधर घूमने वाले मवेशियों को अब गौठान में रखे जाने से किसान भी राहत महसूस कर रहे हैं. खुली चराई के कारण फसलों को होने वाले नुकसान से वे अब बेफिक्र हो गए हैं.

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