छत्तीसगढ़

chhattisgarh

छत्तीसगढ़ में गोबर पेंट से मात खा रहे मल्टीनेशनल रंग, महिलाओं ने जीती गरीबी की जंग

By

Published : Jan 5, 2023, 5:55 PM IST

छत्तीसगढ़ में गोबर पेंट से मल्टीनेशनल रंग मात खा रहे हैं. cow dung paint गांवों में लिपाई पुताई के काम आने वाले गोबर से अब इमल्शन और डिस्टेंपर पेंट तैयार किए जा रहे हैं, जिनसे सरकारी इमारतों की पुताई भी हो रही है. Painting of government buildings with cow dung मल्टी नेशनल कंपनियों के एकाधिकार को तोड़कर गांव की महिलाओं ने गरीबी की जंग जीती है.

Multinational colors being defeated by cow dung
गोबर से बने प्राकृतिक पेंट से घर की रंगाई-पुताई करते मजदूर.

रायपुर:पेंट बनाने में अमूमन मल्टी नेशनल कंपनियां ही बाजार पर काबिज थीं लेकिन अब ग्रामीण महिलाएं भी इस क्षेत्र में कदम रख चुकी हैं. रायपुर के जरवाय गौठान, दुर्ग के लिटिया और कांकेर के सराधुनवागांव में गोबर से बना प्राकृतिक पेंट बनाने का काम चल रहा है. Painting of government buildings with cow dung सीएम ने इस गोबर पेंट से ही सभी शासकीय भवनों की पुताई कराने के निर्देश दिए हैं, जिस पर अमल भी शुरू हो गया है. छत्तीसगढ़ के 75 गौठानों में गोबर से प्राकृतिक पेंट और पुट्टी बनाने की यूनिट तेजी से स्थापित की जा रही हैं. cow dung paint इन यूनिट्स से रोजाना 50 लीटर और साल भर में 37 लाख 50 लीटर गोबर पेंट बनाया जा सकेगा.

मल्टी नेशनल कंपनियों मुकाबले 40 फीसदी तक सस्ता: गोबर से बना प्राकृतिक पेंट बिल्कुल मल्टी नेशनल कंपनियों के द्वारा तैयार किए गए पेंट जैसा ही है. इसकी गुणवत्ता उच्च स्तरीय है. यह पेंट एंटी बैक्टीरिया और एंटीफंगल है. जरवाय गौठान में डिस्टेंपर, इमल्शन पेंट के साथ ही पुट्टी का भी निर्माण हो रहा है. इसकी बिक्री राजधानी रायपुर के सीजी मार्ट में हो रही है. इसे जल्द ही ऑनलाइन प्लेटफार्म पर भी उपलब्ध कराने की योजना है. यह पेंट मल्टी नेशनल कंपनी के पेंट की तुलना में 30 से 40 फीसदी सस्ता है. इमल्शन पेंट की कीमत 225 रुपए प्रति लीटर है. यह 1, 2, 4 और 10 लीटर के पैक में तैयार किया जा रहा है. साथ ही यह बड़ी कंपनियों के पेंट की तरह करीब 4 हजार रंगों में भी उपलब्ध है. साथ ही पुट्टी डिस्टेंपर भी तैयार किया जा रहा है.



गर्मी में राहत, 5 डिग्री तक कम कर देता है तापमान:यह पेंट भारत सरकार की संस्था राष्ट्रीय प्रशिक्षण शाला द्वारा प्रमाणित है. यह एंटी बैक्टीरियल, एंटीफंगल, इको फ्रेंडली, नॉन टॉक्सिक है. यह वैज्ञानिक संस्थान द्वारा प्रमाणित किया गया है. इस प्राकृतिक पेंट में हैवी मेटेरियल का उपयोग नहीं किया गया है और यह नेचुरल थर्मल इन्सुलेटर है यानी इसमें चार से पांच डिग्री तापमान कम करने की क्षमता भी है.


रायपुर, दुर्ग और कांकेर की यूनिट में बनाने का काम शुरू:राजधानी के जरवाय गौठान के गोवर्धन क्षेत्र स्तरीय महिला स्व सहायता समूह द्वारा लक्ष्मी ऑर्गेनिक संस्थान के सहयोग से गोबर पेंट तैयार किया जा रहा है. इस गौठान में स्थापित यूनिट की क्षमता प्रतिदिन 2 हजार लीटर इमल्शन पेंट बनाने की हैं, जिसे भविष्य में मांग के अनुरूप 5 हजार लीटर तक बढ़ाया जा रहा है. यहां पर पुट्टी और डिस्टेंपर भी बन रहा है. इस पेंट से राजधानी के नगर निगम मुख्यालय की इमारत जोन क्रमांक 8 की इमारत की पोताई की गई. वहीं दुर्ग जिले के ग्राम लिटिया की ग्रामीण बहनें गांव में ही डिस्टेंपर निर्माण कर रही हैं. डिस्टेंपर यूनिट की निर्माण क्षमता हर दिन हजार लीटर तक की है. महिलाओं ने इसका विक्रय भी शुरू कर दिया है. कांकेर जिले में चारामा विकासखण्ड के ग्राम सराधुनवागांव के गौठान में सागर महिला क्लस्टर समूह द्वारा गोबर से पेंट का निर्माण किया जा रहा है. यहां अब तक 1400 लीटर पेंट का निर्माण किया जा चुका, जिसमें से 373 लीटर पेंट बिक चुका है. स्व-सहायता समूह की महिलाओं को इससे 75 हजार 525 रुपये की आमदनी हुई है.

दो दिन पुराने गोबर से ऐसे बनाया जाता है पेंट:विशेषज्ञों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार यह विधि दो दिन पुराने गोबर से होती है. सबसे पहले गोबर को एक मिक्सिंग टैंक में डाला जाता है. उसमें बराबर मात्रा में पानी डालने के बाद मिक्सिंग टैंक में एजिटेटर तब तक चलाते हैं जब तक गाय का गोबर बिल्कुल पेस्ट के समान ना हो जाए. इस पेस्ट को पंप के माध्यम से आगे टीडीआर मशीन में भेजा जाता है, जहां पर यह बिल्कुल बारीक पीसकर आगे ब्लीचिंग टैंक में भेजा जाता है. यहां इसे 100 डिग्री तक गर्म किया जाता है और इसमें हाइड्रोजन पैराक्साइड व कास्टिक सोडा मिलाया जाता है, जिससे गोबर का रंग बदल जाता है और उसकी सारी अशुद्धियां भी दूर हो जाती हैं.



हाई स्पीड डिस प्रेशर मशीन में 3 से 4 घंटे मिलाने के बाद होता तैयार:गोबर से मिले स्लरी को पेंट बनाने के अगले चरण में बेस की तरह इस्तेमाल किया जाता है. इसके बाद इसे अन्य सामग्रियों- पिगमेंट, स्क्सटेंडर, ब्लाइंडर, फिलर के साथ मिलाकर हाई स्पीड डिस प्रेशर मशीन में 3 से 4 घंटे तक अलग-अलग आरपीएम में मिलाया जाता है. इसके बाद प्राकृतिक पेंट बनकर तैयार हो जाता है. अच्छी पैकेंजिंग के बाद यह बाजार में बिक्री के लिए उपलब्ध हो जाता है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details