छत्तीसगढ़

chhattisgarh

Live In Relationship को लेकर क्या सोचता है आज का युवा, जानिए यहां

By

Published : Oct 4, 2021, 10:11 PM IST

भारत में पुरानी परंपरा (old tradition) और रीत रिवाज को मानने वाले लोग निवास करते हैं. लेकिन आज के दौर में युवा वर्ग इन परंपराओं की बेड़ियां तोड़कर आगे बढ़ना चाहता है. जिसमें लिव इन रिलेशनशिप (live-in relationship) भी शामिल है. लेकिन भारतीय समाज में इस नये नवाचार को समाज के लोग भारतीय संस्कृति के खिलाफ मानते हैं. तो आइए हम आज की युवा पीढ़ी से ही जानते हैं कि क्या वाकई लिव इन रिलेशनशिप सही है या गलत

Live In Relationship
लिव इन रिलेशनशिप

रायपुर: हाल ही में छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग (Chhattisgarh State Commission for Women) की अध्यक्ष डॉ. किरणमई नायक (Dr. Kiranmay Nayak) ने तेजी से पांव पसार रहे लिव इन रिलेशनशिप (live-in relationship) से दूर रहने की सीख युवाओं को दी है. डॉ. किरणमई नायक ने अपने बयान में कहा था कि पहले लिव इन रिलेशन (live-in relationship) में लड़कियां रहना चाहती है. उसके बाद शादी के लिए दबाव बनाया जाता है और शादी नहीं करने पर दुष्कर्म और दहेज शोषण की शिकायत की जाती है. डॉ. किरणमई नायक (Dr. Kiranmay Nayak) ने युवा वर्ग से अपील करते हुए कहा था कि इस प्रकार के रिश्ते भारतीय संस्कृति (Indian culture) के खिलाफ है और इस तरह के रिश्तों में नहीं पड़ना चाहिए क्योंकि ऐसे में पूरी जिंदगी बर्बाद हो सकती है. आयोग की अध्यक्ष ने लिव इन रिलेशनशिप को पश्चिम का कल्चर (Culture of West) बताते हुए कहा था कि लोग शादी से बचने के लिए लिव इन में रहते हैं. कोर्ट ने इसे मान्यता दिया है लेकिन वर्तमान समय में लिव-इन रिलेशनशिप (live-in relationship) का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है.

लिव इन रिलेशनशिप पर युवाओं की राय

महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमई नायक (Dr. Kiranmay Nayak) के इस बयान को लेकर ईटीवी भारत ने अलग-अलग लोगों से बातचीत की और लोगों की राय जानी कि वे लिव इन रिलेशनशिप को लेकर क्या सोचते हैं.

लिव इन रिलेशनशिप में रहते थे कपल्स

युवक सिद्धार्थ ने लिव इन रिलेशनशिप पर कहा कि वे हिस्ट्री के स्टूडेंट्स है. उन्होंने देखा है कि Ancient History में लोग लिव इन रिलेशनशिप (live-in relationship) में रहते थे, साथ रहते थे, कुछ समय बाद उन्हें ठीक लगता था तो वह आगे बढ़ते थे और शादी करते थे. ऐसी बात नहीं है कि लिव इन रिलेशनशिप (live-in relationship) में रह रहे हैं तो बुरी चीजे हो रही है. शादी होने के बाद भी कई केसेसे हो रहे हैं. कोई इस बात की गारंटी नहीं दे सकता. कि शादी के बाद रिश्ते नाते उठे, यह चीजें दोनों लोगों पर डिपेंड करती है. लिव इन रिलेशनशिप का मिस यूज हो भी सकता है और नही भी हो सकता, सरकार इसमें कोई ध्यान देती है तो यह अच्छी बात होगी.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में युवा कैसे संवार सकते हैं भविष्य ?

सभी रिश्तों में होनी चाहिए अंडरस्टैंडिंग डिपेंड

महिला आयोग की अध्यक्ष के बयान पर मल्लिका झा का कहना है कि आयोग के अध्यक्ष ने जो बयान दिया है उसमें उन्होंने कहा है कि यह रिलेशन संस्कृति के खिलाफ है और यह ज्यादा समय तक नहीं. अगर समाज में देखा जाए तो अरेंज मैरिज में रिश्ते टूट रहे हैं. यह 2 लोगों के अंडरस्टैंडिंग पर निर्भर करता है. युवती मल्लिका ने कहा कि जिस तरह केस की बात कही जा रही है अगर बाकी सभी चीजों को देखा जाए तो अरेंज मैरिज (Arranged Marriage) में भी दिक्कत है आती है, किसी भी रिलेशन में दो लोगों की अंडरस्टैंडिंग डिपेंड करती है. अगर लिव इन रिलेशनशिप में आगे चलकर डिसीजन लेते हैं कि हमारी लाइफ आगे सक्सेस नहीं, इसका यह मतलब नहीं है कि लिव इन रिलेशनशिप को गलत कहा जाए.

गलत नहीं है लिव इन रिलेशनशिप

युवती मुस्कान सोनी का कहना है लिव इन रिलेशनशिप भारतीय संस्कृति के खिलाफ है. पहले के समय में यह चीज नहीं हुआ करती थी लेकिन हमारी जनरेशन में लिव इन रिलेशनशिप गलत नहीं है. हमें अगर अपनी पूरी लाइफ किसी के साथ बितानी है तो हमें अंडरस्टैंडिंग करना जरूरी, दो लोगों के बीच रिश्तो में अंडरस्टैंडिंग बहुत जरूरी होती है, एक दूसरे को जानना जरूरी है, आज के समय में लिव-इन रिलेशनशिप गलत नहीं है.

वहीं सामाजिक कार्यकर्ता (Social Worker) ममता शर्मा का कहना, राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष विधि विभाग की ज्ञाता है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप को लेकर कुछ कहा है तो उसे पूरी तरह से डिनाय नहीं करना चाहूगी मैं. हमारे समाज में हालात ऐसे रहे हैं ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट रीति नीति में बांधकर, मर्यादा के दायरे में और नियम कायदे के दायरे में रखकर लिव इन रिलेशनशिप को मान्यता दी है.

सामाजिक प्राणी होने के नाते में लिव इन रिलेशनशिप के पक्षधर में नहीं हूं. लेकिन सुप्रीम कोर्ट से मान्यता क्यों दी गई. क्योंकि आज के समय में समाज में जो चीज हो रही है उसे रोक पाना संभव नहीं है. फंडामेंटल राइट्स को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने लिव इन रिलेशन को मान्यता देते हुए कहा कि जो लोग इस रिलेशनशिप में रह रहे है. उन्होंने कहा कि बहुत सी चीजें समाज में ऐसी है जिन्हें हम गलत नहीं कह सकते हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने किसी आधार पर मान्यता दी है. इसे समझने की जरूरत है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details