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छत्तीसगढ़ में आदिवासी आरक्षण के मुद्दे को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश हुई नाकाम !

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Published : Nov 9, 2022, 11:04 PM IST

issue of tribal reservation in raipurआदिवासी समाज के आरक्षण में हुई कटौती के लिए आदिवासी समाज ने पिछली और वर्तमान सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. विपक्ष में बैठी भाजपा लगातार आरक्षण बढ़ाए जाने की मांग को लेकर सरकार को घेरती नजर आ रही है. इस बीच आरक्षण पर चर्चा के लिए विधानसभा का विशेष सत्र 1 और 2 दिसंबर को बुलाया गया है.

issue of tribal reservation in raipur
छत्तीसगढ़ में आदिवासी आरक्षण का मुद्दा

रायपुर: छत्तीसगढ़ में आदिवासी आरक्षण का मुद्दा थमता नजर नहीं आ रहा है. इस मुद्दे को लेकर जहां आदिवासी समाज ने पिछली और वर्तमान सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए आंदोलन की चेतावनी दी है. विपक्ष में बैठी भाजपा लगातार आरक्षण बढ़ाए जाने की मांग को लेकर सरकार को घेरती नजर आ रही है. इस बीच राज्य सरकार ने जहां एक ओर देश के अन्य राज्यों में आरक्षण के अध्ययन के लिए कमेटी गठित की है. दूसरी ओर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर (session of chhattisgarh legislative assembly) आदिवासी आरक्षण के मुद्दे पर चर्चा करने की पहल भी की है. इस सत्र को बुलाने राज्यपाल के द्वारा भी मंजूरी दे दी गई है. issue of tribal reservation in raipur

आदिवासी आरक्षण के मुद्दे पर राजनीति गराई
पिछले और वर्तमान राज्य सरकार को जिम्मेदार: आदिवासी समाज आरक्षण में हुई कटौती को लेकर आंदोलनरत हैं. इसके लिए आदिवासी समाज ने पिछले और वर्तमान राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. आदिवासी समाज का कहना है कि "उनके पक्ष को सही तरीके से कोर्ट में नहीं रखा गया. जिस वजह से आज उनके आरक्षण में कटौती की गई है." राज्य सरकार के द्वारा कमेटी गठित किए जाने को भी आदिवासी समाज ने दिखावा बताया है. उनका कहना है कि "अध्ययन दल बनाने की क्या जरूरत है. मंत्रालय में 100 आईएएस अधिकारी हैं. जब चाहे जानकारी मंगा सकते हैं और कहीं कोई दिक्कत है, तो चर्चा भी की जा सकती है.

आदिवासी समाज के पदाधिकारियों का कहना है कि "इसके पहले भी कई कमेटियां गठित की गई. लेकिन उसकी रिपोर्ट आज तक नहीं आई है." विधानसभा सत्र को लेकर भी आदिवासी समाज ने शंका जाहिर की है. उनका कहना है कि "सरकार सीधे इस मामले में अध्यादेश लाकर आरक्षण को बढ़ा सकती है."

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राज्य सरकार को घेरने की कोशिश में भाजपा: विपक्ष में बैठी भाजपा भी आरक्षण के मुद्दे को लेकर लगातार राज्य सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है. बुधवार को भाजपा ने प्रदेश के सभी जिला मुख्यालय में आरक्षण कटौती के विरोध में धरना प्रदर्शन किया. साथ ही नेशनल हाईवे को जाम कर अपना विरोध जताया. भाजपा ने सीधे तौर पर राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. भाजपा ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र को 2 दिन की जगह 10 दिन बुलाने की मांग की है. भाजपा का कहना है कि 2 दिन में विस्तार से चर्चा नहीं हो पाएगी.

1 और 2 दिसंबर को विधानसभा का विशेष सत्र: राज्य सरकार ने आरक्षण से संबंधित जानकारी एकत्र करने के लिए एक दल गठित किया है. जो महाराष्ट्र तमिलनाडु और कर्नाटक जाकर आरक्षण से संबंधित जानकारियों का अध्ययन करेगा और एक रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंपगा. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने खुद विधानसभा अध्यक्ष से 01 और 02 दिसंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने के लिए आग्रह किया था. उन्होंने इस संबंध में एक पत्र भी विधानसभा अध्यक्ष को लिखा था." हालांकि बुधवार की देर शाम राज्यपाल अनुसुइया उइके ने विधानसभा के विशेष सत्र बुलाने की अनुमति दे दी है. यह विधानसभा का विशेष सत्र 1 और 2 दिसंबर को बुलाया गया है.

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