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छत्तीसगढ़ में विपक्ष की भूमिका निभाने में कितनी कामयाब बीजेपी ?

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Published : Jul 16, 2021, 9:19 AM IST

छत्तीसगढ़ में 15 सालों तक सत्ता पर काबिज रही बीजेपी बीते ढाई साल से मुख्य विपक्षी पार्टी है, लेकिन विपक्ष की भूमिका में जैसे बीजेपी को होना चाहिए था, वह दिखाई नहीं दे रही है. बीते ढाई साल में बीजेपी केवल राजनीतिक बयानबाजी तक ही सिमट कर रह गई. मुख्य विपक्षी दल होने के बावजूद बीजेपी जिस तरह से खामोशी का लबादा ओढ़ी हुई है. इससे कार्यकर्ताओं का भी मनोबल टूटता जा रहा है, जिसकी वजह से जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं में नाराजगी भी देखी जा रही है.

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छत्तीसगढ़ में विपक्ष की भूमिका निभाने में कितनी कामयाब बीजेपी

रायपुर: लोकतंत्र में सत्ता पक्ष के बराबर ही अहमियत विपक्ष की भी होती है. पक्ष और विपक्ष एक गाड़ी के दो पहिए की तरह काम करते हैं. कहा जाता है कि विपक्ष अगर कमजोर होगा तो सत्ता पक्ष निरंकुश भी हो सकता है. ऐसे में छत्तीसगढ़ में विपक्ष अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने में कितना कामयाब रहा है ? ढाई साल में उसने क्या जनता के मुद्दों को उठाने में कामयाबी हासिल की है. ? इसी से तय होगा कि बीजेपी सत्ता से उतरने के बाद जनता के कितने करीब पहुंच पाई है.

छत्तीसगढ़ में विपक्ष की भूमिका निभाने में कितनी कामयाब बीजेपी

छत्तीसगढ़ में 15 सालों तक सत्ता पर काबिज रही बीजेपी बीते ढाई साल से मुख्य विपक्षी पार्टी है. इस दौरान सरकार को घेरने के लिए बीजेपी को बहुत से मौके मिले. चाहे बस्तर के सिलगेर में आदिवासियों पर बरसाई गोलियां हो या पीएसपी भर्ती में गड़बड़ी का मामला हो. इन मुद्दों पर पार्टी ने अपनी आवाज तो बुलंद की, लेकिन अंजाम तक पहुंचाने में नाकाम साबित हो गई.

बीते ढाई साल में बीजेपी केवल राजनीतिक बयानबाजी तक ही सिमट कर रह गई. मुख्य विपक्षी दल होने के बावजूद बीजेपी जिस तरह से खामोशी का लबादा ओढ़ी हुई है. इससे कार्यकर्ताओं का भी मनोबल टूटता जा रहा है, जिसकी वजह से जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं में नाराजगी भी देखी जा रही है.

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अपने नेता पर हुए FIR पर सड़कों पर दिखी बीजेपी

आपको बता दें कि पिछले दिनों टूल किट मामले में जब बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा और छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह के खिलाफ FIR दर्ज की गई. उस दौरान बीजेपी सड़कों पर दिखाई दी, लेकिन जनता से जुड़े मुद्दे जैसे धान की बर्बादी, पुलिस भर्ती, शराब बंदी और महिलाओं पर हो रहे अपराध जैसे मामलों पर बीजेपी केवल बयानबाजी तक ही सिमट कर रह गई. जबकि इन मुद्दों को लेकर सड़क की लड़ाई लड़नी थी.

लंबे समय से पॉलिटिकल बीट देख रहे रायपुर के वरिष्ठ पत्रकार मृगेंद्र पांडेय ने ETV भारत को बताया कि बीजेपी की पहचान ही विपक्ष की पार्टी के रूप में है. 2014 से पहले केंद्र में देखें तो महंगाई और तमाम मुद्दों को लेकर वह आक्रामक प्रदर्शन करती थी, उग्र रहती थी. उसके वीडियो आज भी इंटरनेट मीडिया पर हैं. छत्तीसगढ़ में बीजेपी 15 साल सरकार रही. देखा जाए तो बीजेपी को जिस हिसाब से विपक्ष की भूमिका में आना चाहिए, उस हिसाब से नहीं आ पा रही है.

ढाई साल में बहुत से मुद्दे आए. इन मुद्दों को जिस हिसाब से उठाना था, नहीं उठा पाई. मृगेंद्र पांडेय ने बताया कि बीजेपी जिस तरह से लगातार 15 साल तक सत्ता में रही, जिसकी वजह से वह विपक्ष की महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभाने में भूल गई है. उन्होंने कहा कि कुछ चुनिंदा नेताओं को छोड़ दें तो पूरी की पूरी पार्टी शांत पड़ी है.

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बीजेपी ने शत-प्रतिशत मुद्दों को उठाया: रमन सिंह

छत्तीसगढ़ में विपक्ष की भूमिका को लेकर पूर्व सीएम डॉक्टर रमन सिंह कहते हैं कि, विपक्ष की भूमिका में बीजेपी ने शत-प्रतिशत तरीके से उन सारे मुद्दों को जनता के बीच ले जाने में सफल रही है. उन्होंने कहा कि समाज के सभी वर्गों में आज जो जागृति आई है, वह भारतीय जनता पार्टी के नीचे स्तर के कार्यकर्ताओं की जन जागरण की वजह से है. डॉक्टर रमन ने बताया कि अब कोरोना समाप्त हो गया है, अभी तक हम अलग-अलग माध्यमों से उसको व्यक्त करते आए हैं. अब सड़क की राजनीति भी शुरू की जाएगी.

बीजेपी विपक्ष की जवाबदारी निभाने में विफल: कांग्रेस

विपक्ष की भूमिका को लेकर कांग्रेस के प्रवक्ता शैलेष नितिन त्रिवेदी ने कहा कि बीजेपी को जनता ने विपक्ष की जवाबदारी सौंपी है. लेकिन बीजेपी इस जवाबदारी को निभा पाने में लगातार विफल साबित हो रही है. शैलेष नितिन त्रिवेदी ने बताया कि भारतीय जनता पार्टी ने विपक्ष की भूमिका का अर्थ यह समझ लिया है कि प्रदेश के विकास में अड़चनें डाली जाए. धान खरीदी में बाधा डाली जाए, तेंदू पत्ता खरीदी में बाधा डाली जाए. इस तरह की नकारात्मक राजनीति करके भाजपा लगातार विफल साबित होती जा रही है.

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'मुद्दों से बीजेपी कभी नहीं भटकी, कोरोना की वजह से शांत रहे'

इस मामले में बीजेपी प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव का कहना है कि छत्तीसगढ़ में बीजेपी लंबे समय तक शासन में रही है. पिछले ढाई वर्षों में जिस तरह से लगभग डेढ़ से पौने दो वर्ष जा रहे हैं वह कोरोना काल का समय रहा है. ऐसे में केंद्र की विशेष गाइडलाइन का पालन करते हमने वर्चुअल और घर के सामने बैठकर प्रदर्शन किया. श्रीवास्तव ने बताया कि बीजेपी मुद्दों से कभी नहीं भटकी, लेकिन यह जरूर था कि लोगों के स्वास्थ्य को देखते हुए हमने गंभीरता से सोचा और थोड़े शांत जरूर रहे.

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राज्य के प्रमुख मुद्दे, जिसपर सरकार को घेरा जा सकता था

  • सिलगेर गोलीकांड में तीन ग्रामीण पुलिस की गोली से मारे गए, कई घायल हुए थे. सबसे चर्चित मामले में बीजेपी ने 10 से 12 दिन बाद जांच कमेटी बनाई, जो मौके पर पहुंच भी नहीं पाई.
  • प्रदेश में 14580 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया 2 साल से अटकी हुई है. बीते दिनों राजधानी बड़ा आंदोलन हुआ. सरकार ने इनके विरुद्ध कार्रवाई भी की. बीजेपी के नेता इस मामले पर सोशल मीडिया तक सिमट कर रह गए, लेकिन इनके साथ कोई खड़ा नहीं हुआ.
  • किसान मोर्चा की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल अव्यवस्था और रखरखाव के अभाव में बारिश में 9 लाख मैट्रिक टन धान बर्बाद हो गया. मोर्चा के प्रदेश पदाधिकारी इस मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस लेकर कहा कि किसानों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे, इस पर कुछ नहीं हुआ.
  • 20 जून को प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में केंद्र से मिलने वाला राशन लाभार्थियों तक नहीं पहुंचने का मुद्दा उठा. इस पर प्रदेश भर में राशन दुकानों के बाहर प्रदर्शन करने का निर्णय लिया, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
  • पीएससी में गड़बड़ी का मुद्दा भाजयुमो ने उठाया, इसके लिए बकायदा पूरी कार्ययोजना बनाई. बड़े नेताओं ने अभ्यर्थियों के साथ वर्चुअल बैठक भी की, इन्हें न्याय दिलाने का आश्वासन दिया, मगर बैठक तक ही खत्म हो गई.

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