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रंग बरसे: इको फ्रेंडली होली मनाने, रायपुर में फूलों से बनाए जा रहे हर्बल गुलाल

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Published : Mar 9, 2020, 12:07 AM IST

Updated : Mar 9, 2020, 8:10 AM IST

राजधानी रायपुर के लोगों को इको फ्रेंडली होली मनाने के लिए सेरीखेड़ी गांव की महिलाएं फूलों से हर्बल गुलाल तैयार कर रहीं हैं. जिला पंचायत की ग्रामीण आजीविका मिशन विहान के तहत गांव की महिलाएं, स्वसहायता समूह से जुड़कर काम कर रही हैं. शहर के अलग-अलग इलाकों में होने वाली बड़ी-बड़ी शादी समारोह, फंक्शन, फूलों के बाजार और मंदिरों के फूलों को लाकर ये गुलाल तैयार किए जाते हैं.

herbal gulal made from flowers in raipur
रायपुर में फूलों से बनाए जा रहे हर्बल गुलाल

रायपुर:होली त्योहार के आते ही बाजारों में भी रंग चढ़ने लगा है. रंगों से दुकानें सज चुकी हैं. कई तरह के रंग बाजार में उपलब्ध होते हैं, लेकिन ज्यादातर लोगों की पहली मांग हर्बल गुलाल की होती है. हर्बल गुलाल फूल, पत्तियों और फलों के साथ कई प्राकृतिक चीजों का उपयोग कर बनाया जाता है.

राजधानी रायपुर के लोगों को इको फ्रेंडली होली मनाने के लिए सेरीखेड़ी गांव की महिलाएं फूलों से हर्बल गुलाल तैयार कर रहीं हैं. जिला पंचायत की ग्रामीण आजीविका मिशन विहान के तहत गांव की महिलाएं, स्वसहायता समूह से जुड़कर काम कर रही हैं.

रायपुर में फूलों से बनाए जा रहे हर्बल गुलाल

इस्तेमाल किए हुए फूलों से बनाया जा रहा गुलाल

शहर के अलग-अलग इलाकों में होने वाली बड़ी-बड़ी शादी समारोह, फंक्शन, फूलों के बाजार और मंदिरों के फूलों को लाकर ये गुलाल तैयार किए जाते हैं. इसके साथ ही अच्छी बात ये है कि मुख्यमंत्री और मंत्रियों के बंगलों से भी इस्तेमाल किए हुए फूल के बुके को इक्क्ठा कर महिलाएं हर्बल गुलाल बना रही है.

फूलों को पिसकर धुप में सुखाने की प्रक्रीया

मल्टी यूटिलिटी सेंटर में बनाया जा रहा है गुलाल

छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के विहान योजना के तहत यह सारा काम सेरीखेड़ी के मल्टी यूटिलिटी सेंटर में संचालित किया जाता है. महिला समूह के सदस्य ने बताया कि फूल की पत्तियों के बाद जो वेस्ट मटेरियल बचता है, उससे कंपोस्ट खाद भी बनाया जाता है.

धूप में सुखते हुए फूल के पेस्ट

300 रुपए प्रति किलों बिक रहा गुलाल

ग्रामीण आजीविका मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक ने बताया कि जनवरी से समूह द्वारा काम किया जा रहा है और अब तक 400 किलो से ज्यादा हर्बल गुलाल महिला समूह तैयार कर रहे हैं. वहीं हर्बल गुलाल 300 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बेचा जा रहा है.

गुलाल बनाती महिलाएं

हर्बल गुलाल की डिमांड ज्यादा

रायपुर शहर के अलावा बाहर से हर्बल गुलाल की डिमांड आ रही है और लोग इसे बहुत पसंद कर रहे हैं. ग्रामीण आजीविका मिशन जिला कार्यक्रम के प्रबंधक ने बताया कि, 'आने वाले दिनों में मेरी कोशिश रहेगी कि रायपुर में ज्यादा से ज्यादा मात्रा में हर्बल गुलाल बनाया जाए, ताकि राजधानी के अलावा बाहर के लोग भी इको फ्रेंडली होली माना पाएं.'

गुलाल बनाकर ऐसे पैक किया जाता है

ऐसे बनाया जाता है हर्बल गुलाल

⦁ शहर के मंदिरों, शादी समारोह और बड़े-बड़े कार्यक्रम स्थलों से फूल इकट्ठा करके लाए जाते हैं.

⦁ उन फूलों की छटाई की जाती है.

⦁ छटाई करने के बाद उन्हें पानी से साफ किया जाता है.

⦁ उसके बाद उन फूलों को पीस कर उसका पेस्ट तैयार किया जाता है.

⦁ पेस्ट तैयार करने के बाद उसमें पाउडर मिलाकर उसे सुखाया जाता है.

⦁ पाउडर सूखने के बाद उसे छानकर गुलाल तैयार किया जाता है.

Last Updated : Mar 9, 2020, 8:10 AM IST

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