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पहला छत्तीसगढ़िया ओलंपिक का समापन, जानिए कैसा रहा सफर

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Published : Jan 10, 2023, 8:51 PM IST

छत्तीसगढ़ में पहली बार पारंपरिक खेलों का महाकुंभ छत्तीसगढ़िया ओलंपिक (Chhattisgarhiya Olympic ) हुआ. मंगलवार को राज्य स्तरीय स्पर्धा के साथ इस खेल का समापन हुआ. First Chhattisgarhiya Olympic ends छत्तीसगढ़िया ओलंपिक की शुरूआत 6 अक्टूबर को हुई. 6 चरणों में प्रतियोगिता हुई. प्रदेश भर के लाखों खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया. बच्चों से लेकर युवा और बुजुर्गों ने भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया. ये खिलाड़ी ग्रामीण स्तर से संभाग स्तर पर विजेता बनकर उभरे और राज्यस्तरीय स्पर्धा में अपनी प्रतिभा का जौहर दिखाते हुए विजेता भी बने.

First Chhattisgarhiya Olympic ends
पहला छत्तीसगढ़िया ओलंपिक का समापन

छत्तीसगढ़िया ओलंपिक में बुजुर्ग खिलाड़ी

रायपुर: छत्तीसगढ़िया ओलंपिक (Chhattisgarhiya Olympic) की सबसे खास बात यह रही कि इसमें ऐसी महिलाएं भी शामिल हुईं, जो शादी के बाद ससुराल चली गईं थीं. उन्हें भी अपनी जड़ों से जुड़ने का मौका इस ओलंपिक ने दिया. छत्तीसगढ़िया ओलंपिक में 14 खेलों को शामिल किया गया. दलीय खेल में गिल्ली डंडा, पिट्टुल, संखली, लंगड़ी दौड़, कबड्डी, खो-खो, रस्साकसी, बाटी (कंचा) और एकल खेल में बिल्लस, फुगड़ी, गेड़ी दौड़, भंवरा, 100 मीटर दौड़ और लंबी कूद की प्रतिस्पर्धाएं हुई. छह चरणों में हुए छत्तीसगढ़िया ओलंपिक में लेवल-1 राजीव युवा मितान क्लब, लेवल- 2 जोन स्तर, लेवल-3 विकासखंड और नगरीय क्लस्टर स्तर, लेवल-4 जिला स्तर, लेवल-5 संभाग स्तर पर आयोजित होने के बाद लेवल-6 में राज्य स्तर पर प्रतियोगिताएं हुई. रविवार को इस प्रतियोगिता का समापन हुआ.

लाखों लोगों ने लिया हिस्सा: छत्तीसगढ़ में पहली बार किसी आयोजन में लाखों लोगों ने हिस्सा लिया. राज्यस्तरीय स्पर्धा में प्रदेश के विभिन्न जिलों से लगभग 1900 प्रतिभागी शामिल हुए. ग्रामीण क्षेत्रों के 25 लाख से ज्यादा और नगरीय क्षेत्रों में एक लाख 30 हजार से ज्यादा लोगों की भागीदारी रही. राज्यस्तरीय स्पर्धा रायपुर में 4 जगह पर हुई. बलबीर सिंह जुनेजा इनडोर स्टेडियम में फुगड़ी, बिल्लस, भंवरा, बाटी और कबड्डी में खिलाड़ियों ने दमखम दिखाया. छत्रपति शिवाजी महाराज आउटडोर स्टेडियम में संखली, रस्साकशी, लंगड़ी, पिट्ठुल, गेड़ी दौड़ हुई. माधव राव सप्रे उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में खो खो और गिल्ली डंडा और स्वामी विवेकानंद स्टेडियम कोटा में लंबी कूद और 100 मीटर दौड़ खेलों की स्पर्धाएं हुई.

बुजुर्गों ने दिखाया दमखम: Chhattisgarhiya Olympic में 6 साल से लेकर 65 वर्ष की उम्र के लोगों ने हिस्सा लिया. हरदी गांव की 65 वर्षीय आशोबाई ने 1 घंटा 31 मिनट 58 सेकंड तक फुगड़ी खेलकर अपने जज्बे से 40 वर्ष अधिक आयुवर्ग में जीत हासिल की. उनकी खेल के प्रति जीवटता को देखकर हर कोई चौंक गया. क्योंकि 65 की उम्र में इतनी देर तक फुगड़ी करना अपने आप में चौंकाने वाली बात है.

छत्तीसगढ़िया ओलंपिक में नन्हे खिलाड़ी

बच्चों ने भी किया कमाल:छत्तीसगढ़िया ओलंपिक में दूर दूर से खिलाड़ी पहुंचे थे. 14 विधाओं में आयोजित स्पर्धा में हर वर्ग के लोग शामिल हुए. इसमें धमतरी जिले के मासूम बच्चों ने पारंपरिक खेल बांटी में राज्य स्तर पर दूसरा स्थान हासिल किया है. खास बात यह है कि एक ओर स्पर्धा में जहां हर कोई अपने परिजनों के साथ पहुंचा था, तो दूसरी ओर धमतरी के ये बच्चे भी प्रतिभागी के तौर पर आए थे. यह अकेले यहां आए हुए थे. क्योंकि इन बच्चों के परिजन छत्तीसगढ़िया ओलंपिक में इन्हें शामिल होने देना नहीं चाह रहे थे. लेकिन अपनी जिद, जुनून और जज्बे की बदौलत इन्होंने राज्य स्तरीय स्पर्धा में दूसरा स्थान हासिल किया.


उभर कर सामने आई प्रतिभा: छत्तीसगढ़ में कई प्रतिभावान खिलाड़ी हैं. उनकी प्रतिभा को सही मंच नहीं मिल पाता. ऐसे में Chhattisgarhiya Olympic से ग्रामीण क्षेत्रों के खिलाड़ियों को मंच मिल रहा है. दूरदराज क्षेत्रों के खिलाड़ियों की प्रतिभा सामने आई है. इस ओलंपिक में कई खिलाड़ी अपनी शारीरिक कमियों और विपरीत परिस्थितियों के बावजूद शामिल हुए और खुद को साबित भी किया. ऐसी ही एक कहानी है बस्तर के बकावंड ब्लाक के सरगीपाल गांव की रहने वाली गुरबारी की है. उनकी बाएं हाथ की हथेली नहीं है, बावजूद इसके उन्होंने राजीव युवा मितान क्लब स्तर पर कई खेलों में भाग लिया और सामूहिक खेल कबड्डी और खो खो में जीत भी दर्ज की. इससे पहले उनकी प्रतिभा की जानकारी उनके इलाके के लोगों को भी नहीं थी.

छत्तीसगढ़िया ओलंपिक का उद्देश्य: खेल मंत्री उमेश पटेल ने बताया कि ''Chhattisgarhiya Olympic से गांव, नगर, कस्बों में खेलों को लेकर उत्साहजनक माहौल बना है. हमारी सरकार जिस तरह से छत्तीसगढ़ी परंपरा विरासत और संस्कृति के संरक्षण का प्रयास कर रही है, उसी तरह हमारे ग्रामीण अंचलों की गलियों में खेले जाने वाले पारंपरिक खेलों को भी सहेज रही है. प्रतिभागियों का उत्साह और हौसला बढ़ाने के लिए खासी भीड़ भी जुटी. लोग अपने पुराने दिनों की यादों को ताजा कर रहे हैं. राज्य सरकार ने इस आयोजन के माध्यम से ऐसे लोगों को अपना खेल हुनर दिखाने का अवसर दिया है, जो खुद की खेल प्रतिभा से अंजान थे.''

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