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कोरोना काल ने फीका किया त्योहार, दुकानों में रखे रहे मिट्टी के बैल और बर्तन

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Published : Aug 19, 2020, 9:23 AM IST

कोरोना का असर इस साल हर त्योहार पर दिख रहा है. पोला का त्योहार भी प्रदेश में सादगी से मनाया गया. मिट्टी के बैल बनाने वाले कुम्हारों को इस बार काफी नुकसान उठाना पड़ा है.

Effect of corona on pola festival
सूने पड़े बाजार

रायपुर: छत्तीसगढ़ में कोरोना का कहर जारी है. प्रदेश में दिनोंदिन कोरोना के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है. रायपुर जिला भी सेंसेटिव जिलों में से एक है. शासन-प्रशासन लोगों को कोरोना संक्रमण के प्रति जागरूक करने में जुटा हुआ है. कोरोना संक्रमण के चलते लोगों का नजरिया भी त्योहारों को लेकर काफी बदला-बदला नजर आ रहा है. संक्रमण का असर तीज-त्योहारों पर भी दिख रहा है.

पोला त्योहार भादो महीने की अमवस्या तिथि को मनाया जाता है. इस दिन बैलों का श्रृंगार कर उनकी पूजा की जाती है. पोला का त्योहार मूलतः खेती से जुड़ा त्योहार है. अगस्त के महीने में खेती का काम तकरीबन पूरा हो जाता है. आज के दिन से ही धान की बाली में दूध भरना शुरू होता है. पोला पर्व पर शहर से लेकर गांव तक धूम रहती है.

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संक्रमण ने त्योहारों का रंग खत्म किया

जगह-जगह बैलों की पूजा-अर्चना की जाती है. गांव के किसान सुबह से ही बैलों को नहला-धुलाकर सजाते हैं. फिर विधि-विधान से उनकी पूजा-अर्चना की जाती है. बैलों को भी घर में बने पकवान खिलाए जाते हैं. इस दिन मिट्टी और लकड़ी के बैल बनाकर चलाने की परंपरा भी है, लेकिन कोरोना संक्रमण ने त्योहार का रंग ही खत्म कर दिया है.

सरकार से मदद की मांग

मिट्टी के बैल बनाने वाले कुम्हारों का कहना है कि आज के दिन बैल खरीदने वालों की भीड़ रहती थी, लेकिन कोरोना का संकट ऐसा है कि लोग घरों से ही नहीं निकल रहे हैं. मार्केट में पूरी तरह से वीरानी छाई हुई है. कुम्हार शासन से मांग कर रहे हैं कि जैसे बाकी लोगों की सरकार मदद कर रही है, वैसे ही उनकी मदद भी की जाए.

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