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Chhattisgarh Motivational story: छत्तीसगढ़ में दिव्यांगों के द्रोणाचार्य से मिलिए, दे रहे दिव्यांगों को मुफ्त कोचिंग

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Published : Dec 27, 2022, 8:34 PM IST

दिव्यांग एक ऐसा शब्द है, जिसे सुनते ही मन में सहानुभूति जागृत होती है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे दिव्यांग के बारे में बताने जा रहे हैं, जो किसी प्रेरणा से कम नहीं है.(chhattisgarh Motivational story) उन्होंने दिव्यांगता को कमजोरी नहीं, बल्कि जज्बा बनाया और स्वयं को शिक्षा से जोड़कर अपनी जिंदगी संवारी. इतना ही नहीं आज वे दिव्यांगों को न केवल निःशुल्क शिक्षा दे रहे हैं, बल्कि उनकी हर तरह की मदद भी कर रहे हैं. हम बात कर रहे हैं राजधानी रायपुर के होरीलाल यादव की. होरीलाल दिव्यांग होने के बाद भी एक बेहतर शिक्षक हैं. Raipur latest news

helping Divyang for preparing competitive exam
दिव्यांग शिक्षक कर रहे दिव्यांग बच्चों को शिक्षित

दिव्यांग शिक्षक कर रहे दिव्यांग बच्चों को शिक्षित

रायपुर: होरीलाल यादव दिव्यांग (Divyang Horilal Yadav) होने के बाद भी एक बेहतर शिक्षक हैं. chhattisgarh Motivational story यही वजह है कि उनके पढ़ाए 90 से अधिक स्टूडेंट्स का सहायक प्राध्यापक में चयन हो चुका है. बहुत से स्टूडेंट्स प्रशासनिक सेवा में पदस्थ हैं, जबकि 200 से अधिक प्रतिभागी नेट क्वालीफाई कर चुके हैं. ऐसे में ईटीवी भारत ने उनसे खास बातचीत की. Raipur latest news

सवाल: दिव्यांगों को निशुल्क शिक्षा देने की आपने सोची, आपके मन में यह ख्याल कैसे आया?

जवाब: मैं शुरुआत से ही आर्थिक परेशानियों से जूझता रहा. मैंने इंजीनियरिंग और एमबीए किया है. (Horilal Yadav helping Divyang) मुझे पता है जितने भी दिव्यांग होते हैं, जो अच्छी फैमिली से नहीं होते, उनके पास कहीं ना कहीं एक प्रॉब्लम होती है. (helping Divyang for preparing competitive exam) जिसकी वजह से वे कोई बेहतर डिसीजन ले नहीं पाते हैं और छोटे छोटे काम करते रहते हैं. इसलिए मैंने सोचा कि जिस मुकाम तक मैं पहुंचा हूं, उस मुकाम पर सभी पहुंचे और इनके लिए मुझसे जितना बन सकेगा. उसे पूरा करने का प्रयास करूंगा. यही वजह है कि मैं इन लोगों को निशुल्क कोचिंग क्लास अवेलेबल करा रहा हूं, जो ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों हैं. chhattisgarh unique story


सवाल: इसकी शुरुआत आपने कब से की है?

जवाब: जब से मैंने कोचिंग स्टार्ट किया है, तब से मेरे मन में था, लेकिन लोगों को जानकारी नहीं थी. मेरी नजर में जो भी आते थे, उनको मैं कह देता था आप आ जाइए, फीस की चिंता करने की जरूरत नहीं है. उन्हें अपने लेवल पर एजुकेशन प्रोवाइड करा रहा था. अभी 2 लोग असिस्टेंट प्रोफेसर बन चुके हैं."


सवाल: आपके पढ़ाए कितने स्टूडेंट्स को नौकरियां लगी है?

जवाब: सहायक प्राध्यापक का एग्जाम हुआ था, उसमें 93 स्टूडेंट्स सफल रहे और अन्य प्रशासनिक अधिकारी बन चुके हैं. जिसमें असिस्टेंट डायरेक्टर और सीएसपीडीसीएल में जा चुके हैं. साथ ही लेक्चरर जैसे पदों में भी चयन हुआ है. इसके अलावा 200 से अधिक हमारे यहां नेट क्वालीफाई कर चुके हैं.

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सवाल: कोचिंग में किस तरह के स्टूडेंट्स आते हैं?

जवाब: हमारे यहां सीएसआर नेट में 4 सब्जेक्ट में क्लासेस प्रोवाइड कराते हैं. इसी नेट में 20 प्लस सब्जेक्ट होते है. साथ में शिक्षक, सहायक शिक्षक, सीटेट, सीजी टेट, व्याख्याता, असिस्टेंट प्रोफेसर के अलावा पीएससी की भी तैयारी कराई जाती है.


सवाल: भविष्य में दिव्यांगों को आप और कैसे ट्रेन करेंगे?

जवाब: आप लोगों के माध्यम से अपील करना चाहता हूं कि पूरे भारत में जो भी दिव्यांग है, वह हमारे यहां आकर तैयारी कर सकते हैं. क्योंकि असिस्टेंट प्रोफेसर बहुत ही अच्छी जॉब है. इसमें सैलरी भी अच्छी होती है. इसलिए मैं चाहता हूं कि हमारे जितने भी दिव्यांग भाई बहन हैं, वह इस अच्छे पोस्ट में आएं. जो प्रशासनिक सेवा की तैयारी करना चाहते हैं, वह भी हमारे यहां अवेलेबल है. मेरा टारगेट कम से कम 100 लोगों को प्रशासनिक सेवा में ले जाने का है और उनको एक अच्छे पोस्ट में जाने में मदद करूं, यह मेरा उद्देश्य है.

सवाल: दिव्यांगों को आर्थिक चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है,क्या कहना चाहेंगे?

जवाब: दिव्यांग अपने घर से ज्यादा बाहर नहीं जा सकते हैं, उन्हें मूवमेंट में दिक्कतें होती है. उसी को ध्यान में रखकर मैं उन्हें ऑनलाइन फैसिलिटी भी प्रोवाइड कराता हूं, ताकि वह घर में ही अपने मोबाइल के माध्यम से लाइव क्लास से जुड़ सकते हैं.

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