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छत्तीसगढ़ में बाघ का कुनबा घटना चिंता का विषय !

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Published : Apr 8, 2023, 10:47 PM IST

देश के सबसे सघन जंगल वाले राज्य छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या बढ़ाना चुनौती बनता जा रहा है. यहां आलम यह है कि बीते कुछ सालों में करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद, बाघ बढ़ने की बजाय कम हो रहे हैं.

tigers in Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में तीन टाइगर रिजर्व

रायपुर: छत्तीसगढ़ में तीन टाइगर रिजर्व हैं. जिन्हें, सीता नदी उदंती, इंद्रावती और अचानकमार टाइगर रिजर्व के तौर पर जाना जाता है. इन तीनों ही टाइगर रिजर्व का क्षेत्रफल 5555 वर्ग किलोमीटर से ज्यादा है. यहां साल 2014 में 46 बाघ हुआ करते थे. साल 2018 की गणना में बाघों की संख्या घटकर सिर्फ 19 रह गई है.

बाघ के सरंक्षण पर तीन साल में 183 करोड़ रुपये खर्च: सरकारी आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं कि, तीनों टाइगर रिजर्व में तीन साल की अवधि में 183 करोड़ रुपए खर्च किए गए. यह राशि बाघों के संरक्षण, उनके लिए बेहतर सुविधाएं विकसित करने के मकसद से जंगल में वृद्धि और शाकाहारी जंतुओं के इजाफे पर खर्च किए गए, लेकिन बाघों की संख्या कम होती जा रही है. भाजपा के शासन काल के तीसरे कार्यकाल में चार साल में 229 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे, उसके बावजूद बाघों की संख्या कम हुई थी.

छत्तीसगढ़ में बाघ की संख्या बढ़ाना चुनौती: बाघों पर खर्च हो रही राशि की गणना की जाए तो हर साल 60 करोड़ रुपये का खर्च आता है. यानी एक माह में पांच करोड़. देश के अन्य टाइगर रिजर्व में एक बाघ पर हर साल औसतन एक करोड़ रुपये खर्च होता है. इस तरह छत्तीसगढ़ में खर्च होने वाली राशि के लिहाज से 60 बाघ होने चाहिए, लेकिन यहां सिर्फ 19 बाघ ही पाए गए थे. उसके बाद दो बाघों की मौत भी हो गई.

छत्तीसगढ़ के तीन टाइगर रिजर्व में से दो, इंद्रावती और सीता नदी उदंती उन इलाकों में हैं. जहां नक्सलियों का प्रभाव है. इन स्थितियों में वन विभाग का अमला भी दोनों टाइगर रिजर्व के बड़े इलाके में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने से बचता है.

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क्या कहते हैं पर्यावरण विशेषज्ञ: नेचर क्लब के सदस्य और पर्यावरण विशेषज्ञ प्रथमेष मिश्रा का कहना है कि, राज्य में बाघों की संख्या में वृद्धि न होने का कारण जंगलों में उनकी निजता का अभाव है. जंगलों में पर्यटन के नाम पर लोगों की आवाजाही बहुत ज्यादा बढ़ रही है. इसके अलावा जंगली इलाकों में बढ़ती बसाहट भी बाघों की वंश वृद्धि रोकने का बड़ा कारण बन रही है. सरकार की ओर से टाइगर रिजर्व पर, जिस राशि को खर्च किया जाना बताया जा रहा है. वह आसानी से कोई भी स्वीकार नहीं कर सकता. आज जरूरत इस बात की है कि, टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में बसे लोगों को हटाने की दिशा में सख्त कदम उठाए जाएं. साथ ही पर्यटन को ज्यादा बढ़ावा देने की बजाय बाघों को प्राइवेसी सुलभ कराई जाए. अगर ऐसा नहीं होता है तो यह संख्या और भी घट सकती है.

SOURCE: IANS

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