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कोरोना महामारी में परिवार ने छोड़ा तो सियान कुटी बना सहारा, 14 बुजुर्गों को मिला आसरा

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Published : Aug 1, 2021, 11:33 PM IST

कोरोना संक्रमण के कारण रायपुर में कई बुजुर्ग अनाथ हुए हैं. ऐसी परिस्थिति में समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित 'सियान कुटी' वृद्धा आश्रम इनका सहारा बना है. रायपुर में 14 परिवारों ने अपने बुजुर्गों को बेसहारा किया है.

Sian Kuti Old Age Home
सियान कुटी वृद्धा आश्रम

रायपुर:समाज में अब मानवता खत्म होती जा रही है. इसका जीता-जागता उदाहरण राजधानी रायपुर के समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित 'सियान कुटी' में देखने को मिल रहा है. यहां के हालात देखकर लगता है कि कोरोना महामारी बुजुर्गों के लिए अभिशाप साबित हुई है. यह इसलिए क्योंकि कई बच्चों ने इस दौरान अपने बूढ़ें माता-पिता को इस दौरान बेसहारा कर दिया. लिहाजा बुजुर्गों को वृद्ध आश्रम का सहारा लेना पड़ा है.

14 बुजुर्गों का एक सहारा सियान कुटी

रायपुर में 14 परिवारों ने अपने बुजुर्गों को बेसहारा किया है. यह बुजुर्ग अब वृद्धा आश्रम में रहकर दिन गुजार रहे हैं. वृद्धा आश्रम में अपनी जिंदगी के आखिरी पड़ाव गुजार रहे बुजुर्गों ने बताया कि कोरोना महामारी के कारण उनका पालन पोषण करना उनके बच्चों के कठिन हो रहा था. जिसके चलते उन्हें वृद्धाश्रम 'सियान कुटी' का सहारा लेना पड़ा.

  • आर्थिक तंगी और बहू के तानों ने परिवार से किया दूर

राजधानी रायपुर के माना कैम्प स्थित समाज कल्याण विभाग की ओर से संचालित सियान कुटी में रह रही प्रीति सरकार बताती हैं कि उनके घर में बहुत समस्या थी. कोरोना काल की वजह से उनके बेटे के पास कोई नौकरी नहीं थी. घर में खाने के लिए कुछ नहीं था. बहू भी बहुत ताने मारा करती थी. उन्होंने कहा कि कोरोना से पहले उनके परिवार की स्थिति अच्छी थी, लेकिन कोरोना की वजह से यह स्थिति खराब हुई. उन्होंने आगे बताया कि वृद्धाश्रम सियान कुटी में उन्हें खाना मिल जाता है और पहनने के लिए कपड़े मिल जा रहे हैं. इससे ज्यादा एक बुजुर्ग को और क्या चाहिए.

  • कोरोना ने छीनी नौकरी, अब वृद्धाश्रम में रहने को मजबूर

राजनांदगांव के रहने वाले वीरेंद्र सिंह ठाकुर भी पिछले 2 माह से वृद्धाश्रम में रह रहे हैं. उनकी शादी नहीं हुई. इस उम्र में भी वह ड्राइवर का काम करते थे, लेकिन कोरोना ने उनकी नौकरी छीन ली. लंबे समय से वह अपने दीदी-जीजा के घर में रहते थे, लेकिन उनके जीजा भी रिटायर हो गए. उसके बाद घर की आर्थिक स्थिति खराब हो गई. वहां खाने-पीने की दिक्कतें आ गई थी, जिसके चलते उन्हें वृद्धाश्रम का सहारा लेना पड़ा.

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  • मैं खुश हूं, पहले से बेहतर हूं: बुजुर्ग

इन दोनों के अलावा भिलाई के रहने वाले मुस्ताक खान भी बीते कुछ माह से वृद्धाश्रम में रह रहे हैं. उन्होंने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि उनके पैर में समस्या है. इसके लिए अस्पताल में लंबा इलाज करना पड़ेगा. अस्पताल में इलाज कराने के लिए एक व्यक्ति का रहना जरूरी है, लेकिन उनके घर से कोई आने को तैयार नहीं. यदि कोई आते भी हैं तो उनकी रोजी मर जाएगी. उन्होंने कहा, 'हम लोग गरीब घर से हैं. कोरोना काल में बहुत दयनीय स्थिति से गुजरना पड़ा है. ऐसे में अपना काम छोड़कर मेरा इलाज करा पाना मुश्किल है. फिलहाल यहां मैं खुश हूं, पहले से बेहतर भी हूं.'

  • 'सियान कुटी' 37 बुजुर्गों का सहारा

समाज कल्याण विभाग की ओर से बुजुर्गों के लिए संचालित वृद्धाश्रम सियान कुटी की प्रभारी लक्ष्मी माला ने बताया कि सियान कुटी में कुल 37 बुजुर्गों को आश्रय दिया गया है. वहीं, कोरोना काल में पिछले साल से अब तक यहां कुल 14 बुजुर्ग आए हैं. इसमें 5 पुरुष और 9 महिलाएं हैं. 2020 में 4 और 2021 में 10 बुजुर्गों ने सियान कुटी में सहारा लिया. प्रभारी लक्ष्मी माला ने वैक्सीनेशन के संबंध में कहा कि 37 में से 23 बुजुर्गों को कोरोना वैक्सीन की डबल डोज लग गई है. वहीं 2 लोगों को अभी सिंगल डोज लगी है.

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