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कांकेर में बने गोबर पेंट से चमकेंगे छत्तीसगढ़ के सरकारी दफ्तर

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Published : Dec 25, 2022, 8:21 PM IST

Updated : Dec 27, 2022, 12:14 AM IST

गाय का गोबर अब हमारे जीवन में रंग बिखेरने तैयार है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की गांवों को स्वावलंबी और उत्पादित केंद्र के रूप में विकसित करने की मंशा अब मूर्तरूप लेने लगी है. (Government offices will paint cow dung paint) सुराजी गांव योजना के तहत गांवों में स्थापित गौठानों में लोगों को रोजगार और आर्थिक आय का जरिया मिलने लगा है. कांकेर की महिलाओं द्वारा तैयार किये जा रहे गोबर के पेंट से छत्तीसगढ़ के सरकारी दफ्तर चमकने को तैयार हैं. Gobar paint in chhattisgarh

cow dung paint made in Kanker
कांकेर में बने गोबर पेंट की प्रशिक्षण लेती महिलाएं

गोबर पेंट से चमकेंगे छत्तीसगढ़ के सरकारी दफ्तर

कांकेर:छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने पशुपालकों और किसानों की आय में वृद्धि करने के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की. इसी क्रम में गोधन न्याय योजना की भी शुरुआत की गई. इस योजना में राज्य सरकार द्वारा राज्य के पशुपालकों से गोबर खरीदा जायेगा, इसके लिए उन्हें राशि भी प्रदान की जाएगी. इस योजना से गोबर बेचने पर पशुपालकों की आय में वृद्धि होगी और आर्थिक स्थिति मजबूत बनेगी. साथ ही खरीदे गये गोबर को कई तरीके से उपयोग में भी लाया जा रहा है. (cow dung paint made in Kanker) इसी के तहत कांकेर में गोबर का पेंट तैयार किया गया है. Gobar paint in chhattisgarh

"ग्रामीण महिलाओं को मिल रहा रोजगार":कांकेर कलेक्टर डॉ प्रियंका शुक्ला ने ETV भारत से कहा कि "कांकेर में सारधुनवागांव गौठान है, जिसे महात्मा गांधी रूलर पार्क योजना के तहत सम्मिलित किया है. इस योजना के तहत हमें औद्योगिक इकाइयों को बढ़ावा देना था, उसी के अंतर्गत गोबर की पेंट यूनिट सारधुनवागांव में स्थापित किया गया है. इसका प्रथम उद्देश्य यह था कि, हमारी जो महिलाएं हैं, उनको ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिले. मुख्यमंत्री ने निर्देश भी दिया है कि गोबर से बने पेंट का उपयोग सरकारी भवनों के रंग रोगन में किया जाएगा. (Government offices will paint cow dung paint) जिसके तहत अब इसकी डिमांड भी बढ़ गई है. सारधुनवागांव की गोबर पेंट की इकाई छत्तीसगढ़ की पहली गोबर पेंट इकाई है. इसमें फायदा दोनों तरफ से है. एक तरफ तो हमें पेंट मिल रहा है, दूसरा महिलाओं को रोजगार मिल रहा है." Kanker latest news



"गोबर के पेंट में किसी तरह की बदबू नहीं":कांकेर कलेक्टर डॉ प्रियंका शुक्ला ने कहा कि "गोबर के पेंट में किसी तरह की बदबू नहीं है, ना ही किसी तरह के मच्छर ज्यादा आएंगे. इस तरीके का कोई भी भय मन में रखने की आवश्यकता नहीं है. अभी रोजाना 500 लीटर गोबर का पेंट बनाया जा रहा है. अभी प्रोडक्शन कैपेसिटी उनकी अच्छी है. जैसे-जैसे हमारे पास डिमांड आ रहे हैं, जैसे बिलासपुर, राजनांदगांव, धमतरी से डिमांड आया है, तो डिमांड के अनुरूप प्रोडक्शन बढ़ाया जाएगा. प्रोडक्शन अधिक होने से महिलाओं के आय में भी वृद्धि होगी. समूह से जुड़ी महिलाएं गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने में लगी है."

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सीएम बघेल के फैसले का नितिन गडकरी ने किया स्वागत: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कुछ दिन पहले ही अधिकारियों को इस पेंट का इस्तेमाल शासकीय कार्यालयों, निगम मंडल व अन्य सरकारी दफ्तरों के रंग रोगन में करने कहा है. जिसके बाद से कांकेर जिले में अब तक दर्जन भर से अधिक शासकीय भवनों के रंग रोगन में गोबर से बने पेंट का इस्तेमाल किया गया है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के इस फैसले का केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने स्वागत किया. उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि "छत्तीसगढ़ के सरकारी विभागीय निर्माण में गोबर से बने प्राकृतिक पेंट के इस्तेमाल का निर्देश छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दिया है, उनके इस फैसले का अभिनंदन करता हूं, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का ये फैसला सराहनीय और स्वागत योग्य है. प्राकृतिक पेंट का इस्तेमाल ना सिर्फ पर्यावरण की रक्षा करेगा. बल्कि किसानों को भी रोजगार का अवसर प्रदान करेगा."

सस्ता और इकोफेंडली होने के कारण बढ़ी डिमांड:गोबर से पेंट बनाने वाली सारधुनवागांव की महिला समूह अध्यक्ष जागेश्वरी भास्कर का कहना है कि "पूरी प्रक्रिया में कुछ घण्टे लगते हैं. एक के बाद एक प्रक्रिया के पूर्ण होने के बाद ही पेंट बन कर तैयार होता है. जिसे 1 लीटर, 5 लीटर, 10 लीटर व 20 लीटर के डिब्बे में पैक किया जाता है. 1 लीटर गोबर पेंट की कीमत लगभग 125 रुपये व 18 प्रतिशत जीएसटी के साथ लगभग 147.5 रुपये प्रति लीटर होता है, जो कि बाजार में बिकने वाले अन्य पेंट से बेहद सस्ता है. सस्ता होने व इकोफेंडली होने के कारण अब इसकी डिमांड भी बढ़ गई है. अब तक 3000 लीटर से अभी अधिक पेंट तैयार कर चुकी महिला समूहों को अब बिलासपुर, धमतरी, राजनांदगांव सहित अन्य जिलों से पेंट के ऑर्डर मिलने लगे हैं. इस पेंट में किसी भी प्रकार से गोबर की गंध नहीं आती."

प्रशिक्षण लेने पहुंंच रहीं दूसरे जिले के समूह की महिलाएं: ग्रामीण क्षेत्र की ताकत बन रही इस योजना का लाभ लेने के लिए लोग कांकेर पहुंचने लगे हैं. गोबर से पेंट बनाने की प्रक्रिया सीखने व इस इकाई की पूरी जानकारी लेने के लिए दूसरे जिले के अधिकारी, कर्मचारी और समूह की महिलाएं सराधुनवागांव में इस इकाई का निरीक्षण कर प्रशिक्षण लेने पहुंच रही हैं. महिलाओं को प्रशिक्षण में लाई बालोद जिला पंचायत सीईओ रेणुका श्रीवास्तव ने कहा कि "बालोद में भी गोबर पेंट इकाई में महिलाएं काम करने वाली हैं. सारी टीम को लेकर यहां आई हुई हूं. कांकेर में गोबर पेंट की यह इकाई बालोद से नजदीक है. गोबर पेंट का प्रोडक्शन यहां शुरू हो गया है. सारधुनवागांव में किस तरीके से प्रोडक्शन यहां की महिला समूह बना रहे हैं, कैसी व्यवस्था बनाई हैं, कितना दिन लगता है? सारा प्रोसेस हम अपने जिले की महिलाओं को सिखाएंगे. बालोद में 3 पेंट इकाई सैंक्शन किया गया है और आगामी सप्ताह वहां इसे शुरू किया जाएगा. पेंट बनाने की प्रक्रिया को समझाने के लिए महिला समूह की महिलाओं को यहां लाएं हैं."

नई श्वेत क्रांति से जुड़ना चाहतीं हैं महिलाएं: अब तक बालोद, जगदलपुर, बीजापुर सहित अन्य जिलों के प्रशासनिक अधिकारी, कर्मचारी और महिलाओं ने इस यूनिट का निरीक्षण कर प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके है. जो अब अपने जिले के गौठनो में भी इस इकाई का निर्माण कर इस नई श्वेत क्रांति से जुड़ना चाहते हैं. ताकि ग्रामीण महिलाएं मजबूत बने और गौठान समिति, महिला समूहों को आमदनी का एक नया जरिया मिल सके.

Last Updated :Dec 27, 2022, 12:14 AM IST

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