जांजगीर-चांपा:चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्र के जनपद पंचायत मालखरौदा की ग्राम पंचायत बंदोरा के ग्रामीण वर्षों से धान के पैरा से डोर बनाने का काम कर रहे हैं. रस्सी बनाना गरीब परिवारों के लिए जीविका का साधन बन चुका है. पैरा डोर रस्सी बनाने का सिलसिला वर्षों से चला रहा है. इसके सहारे ही इन ग्रामीणों का घर चल रहा है.
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ब्लॉक मालखरौदा के ग्राम बंदोरा के ग्रामीणों ने वर्षों से पैरा से डोर (रस्सी) बनाने का काम कर रहे हैं. यह ग्रामीणों के लिए वरदान साबित हो रहा है. ग्रामीणों का परिवार चलता है. ग्राम बंदोरा की लगभग 2 हजार की जनसंख्या है जहां गांव के लगभग 99 फीसदी घर के परिवार पैरा डोर बनाने का काम करते हैं. रोज सुबह उठकर परिवार के बुजुर्गों से लेकर युवा वर्ग, महिलाएं, छोटे बच्चे भी अपने परिवार के साथ रस्सी बनाने का काम करते हैं. करीब हर परिवार में रस्सी बरने वाले 5 से 6 सदस्य के हिसाब से 200 से 500 तक रस्सी तैयार करते हैं.
पैरा से डोरी बनाते ग्रामीण पड़ोसी राज्यों में भी है मांग
ग्राम बंदोरा के पाली से बनाए गए डोर की मांग और पूछ-परख छत्तीसगढ़ के राजधानी रायपुर, रायगढ़, कोरबा, बिलासपुर, मुंगेली, धमतरी सहित सभी जिलों में है. पड़ोसी राज्य ओडिशा के बरगढ़, सम्बलपुर, झारसुगुड़ा, सुंदरगढ़ तक पैरा डोर रस्सी की मांग बढ़ गई है. धान कटाई के पहले ग्रामीण मोटरसाइकिल, पिकअप वाहन और साइकिल से ये डोर गांव-गांव बेचने जाते हैं, जिसमें प्रति सैकड़ा 80 रुपये से लेकर 110 रुपये तक बेचते हैं. मांग इतनी बढ़ गई है पैरा डोरे लेने के लिए थोक में व्यापारी ग्राम बंदोरा पहुंचते हैं और खरीदकर ट्रकों, पिकअप वाहन से भरकर बाहर बेचने के लिए ले जाते हैं.
शासन से नहीं मिली कोई मदद
पैरा डोर बनाने का काम कुटीर उद्योग की तरह घर-घर बनाया जा रहा है, लेकिन आज तक इन गरीब परिवारों को शासन से किसी प्रकार की मदद नहीं मिली है. यह अपने निजी संसाधन जुटाकर किसानों के खेतों के पैरा खरीद कर घर में रखते हैं और पैरा डोर रस्सी बनाते हैं. जिसे बेचकर परिवार चलाते हैं. ग्रामीण खेतों में धान कटाई होने के बाद धान की मिजाई करते हैं. हाथों से धान को घर में लाकर पीटकर धान के दाने को अलग करते हैं. खदर को बांध कर रखते हैं फिर पैरा के खदर से पैरा डोर बनाते हैं.
बाबूलाल बरेठ ने ETV भारत से चर्चा के दौरान बताया कि 40 वर्षों से परिवार का पुश्तैनी धंधा पैरा डोर बनाना है. रस्सी बेचकर परिवार चला रहे हैं. हर रोज 200 तक पैरा डोर बना लेते हैं.