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मासूमों को यौन हिंसा से बचाने का बीड़ा: बिलासपुर की सीमा वर्मा बच्चियों को दे रहीं गुड टच और बैड टच की शिक्षा

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Published : Jan 28, 2022, 6:34 PM IST

Updated : Jan 28, 2022, 7:06 PM IST

बिलासपुर की सीमा वर्मा स्लम एरिया के बच्चों के घर-घर जाकर उन्हें बैड टच और गुड टच की जानकारी दे रही हैं. सीमा वर्मा मासूम लड़कियों को यौन हिंसा के प्रति आगाह भी करती हैं. उन्हें वह शिक्षित कर बदनीयती का शिकार होने से बचा रही हैं.

Bilaspur Kids Good Touch Bed Touch
बच्चियों को यौन हिंसा से बचाने की बड़ी पहल

बिलासपुर:पिछले कुछ दिनों से बच्चों के शारीरिक शोषण की घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं. कई बच्चों को तो ये तक मालूम नहीं होता है कि उनके साथ जो लोग अच्छे से पेश आ रहे हैं, वो सही हैं भी या नहीं. जब तक बच्चे कुछ समझ पाएं, तब तक काफी देर हो जाती है. बच्चे शारीरिक शोषण का शिकार हो जाते हैं. अधिकतर ऐसी घटनाओं के जन्मदाता घरवाले या फिर बच्चों के करीबी ही होते हैं.

बिलासपुर की सीमा वर्मा

ऐसी घटनाओं को रोकने और बच्चों को इसके प्रति जागरूक करने का बीड़ा बिलासपुर की एक समाजसेवी सीमा वर्मा ने उठाया है. वो बच्चियों को गुड टच और बैड टच की जानकारी के साथ संविधान में मिले उनके मौलिक अधिकारों की जानकारी देने का काम कर रही हैं.

बिलासपुर के बच्चों को गुड टच बैड टच की जानकारी

कई दरिंदों ने छोटी बच्चियों को अपना शिकार बनाया है. जिन बच्चों के साथ ये घटनाएं होती है, उनको ये समझ ही नहीं आता कि उनके साथ हुआ क्या है? ऐसे में बच्चियों को गुड टच, बैड टच की जानकारी के साथ उनके अंदर अपने आप को सुरक्षित रखने की हिम्मत लाने की बात सीखाने का बीड़ा बिलासपुर की सीमा ने उठाया (Bilaspur Kids Good Touch Bed Touch) है. सीमा अपने आसपास के स्लम एरिया में जा-जाकर बच्चों को खेल-खेल में कई बातों की जानकारी देती हैं. ये बच्चों के साथ बच्ची बनकर खेलती हैं. इसी बीच वो बताती है कि बच्चों को किस तरह के लोग मिलते हैं. उनमें कई लोग जो खराब होते हैं, वो उनसे कैसी हरकत कर सकते हैं. कैसे उन लोगों से बच्चों को बचना है. शारीरिक शोषण को रोकने और अच्छे बुरे की पहचान करने की समझ बढ़ाने को किस तरह चौकन्ना रहना है.

लोगों की नीयत को समझने की देती हैं शिक्षा

ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान सीमा ने बताया कि कई बार बच्चों के साथ काफी कुछ घटता रहता है. ज्यादातर लोग ऐसे जगहों पर टच करते हैं, जहां उन्हें नहीं करना चाहिए. लेकिन बच्चे समझ नहीं पाते और वो उसे दुलार समझते हैं. जैसे उनके घर वाले उन्हें दुलार करते हैं. जबकि परिवार वालों का दुलार अलग होता है और खराब नीयत से टच करने वालों का टच अलग होता है. सीमा बच्चों को बताती है कि बॉडी के किस पार्ट को छूना अच्छा नहीं होता. अगर कोई बच्चों को ऐसे जगह पर टच करे, तो उन्हें क्या करना चाहिए?

मौलिक अधिकारों की भी देती हैं जानकारी

सीमा बच्चों को संविधान में मिले उनके मौलिक अधिकारों की भी जानकारी देती हैं. वे कहती हैं कि भले ही बच्चे अभी छोटे हैं. उन्हें अपने मौलिक अधिकारों की समझ नहीं है. लेकिन इस उम्र में यदि उन्हें बताया जाएगा कि संविधान में उन्हें क्या अधिकार मिले हैं और उनका समाज के प्रति क्या कर्तव्य है तो वे बड़े होकर इन बातों को हमेशा ध्यान रखेंगे और समाज में अपनी भूमिका को समझ पाएंगे. इसके जरिए एक स्वस्थ समाज का निर्माण होगा.

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जारी रहेगी मुहिम

गणतंत्र दिवस में सीमा ने स्लम एरिया के बच्चों को विशेष मौलिक अधिकारों और मौलिक कर्तव्यों के बारे में जानकारी दी. सीमा ने बच्चों को बताया कि 26 जनवरी 1950 को देश में संविधान लागू हुआ था. यह 2 साल 11 महीने और 18 दिन बाद लागू हुआ था. इस दिन भारत को पूर्ण गणतंत्र घोषित किया गया. हम भारतवासियों को मिले मौलिक अधिकार हमारे संविधान की देन हैं. हमें 6 प्रकार के मौलिक अधिकार प्राप्त हैं. जिसमें समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार, संस्कृति एवं शिक्षा का अधिकार, संवैधानिक उपचारों का अधिकार शामिल है.

Last Updated :Jan 28, 2022, 7:06 PM IST

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