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बदहाल-ए-सिम्स: मरीजों को नहीं मिल रही है जीवन रक्षक दवाइयां

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Published : Jun 18, 2019, 5:07 PM IST

बिलासपुर के सिम्स में दवाइयां नहीं मिल रही है, जिसके कारण मरीज और उनके परिजनों का दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि, संबंधित एजेंसी के माध्यम से उन्हें पर्याप्त दवा नहीं मिल रही है.

नहीं मिल रही है दवाइयां

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ में बिगड़ती स्वास्थ्य व्यवस्था लोगों को परेशान कर रही है. हालात इतने बदतर हो गए हैं कि बिलासपुर के सबसे बड़े अस्पताल में मरीजों को जीवन रक्षक दवाइयां भी नहीं मिल रही है.

मरीजों को नहीं मिल रही है जीवन रक्षक दवाइयां

जीवन रक्षक दवाइयों के लिए तड़प रहे मरीजों के परिजनों को बाहर से दवा खरीदनी पड़ रही है. सिम्स में सबसे खराब स्थित एंटी रैबीज वैक्सीन की है. इन दिनों जिले में कुत्तों का आंतक बढ़ते जा रहा है, लेकिन सिम्स पहुंचने वाले मरीजों को इसके इलाज के लिए बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है. अस्पताल प्रबंधन के पास मरीजों के अनुपात में दवा ही नहीं उपलब्ध है.

अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि, संबंधित एजेंसी के माध्यम से उन्हें पर्याप्त दवा नहीं मिल रही है. जिस कारण से मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. दूसरी ओर मरीजों की शिकायत है कि अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के कारण उन्हें बाहर स्थित मेडिकल स्टोरों से महंगे दाम पर दवाएं खरीदनी पड़ रही है. इससे पहले भी ईटीवी भारत ने सिम्स अस्पताल में जेनरिक दवाओं की कमी को दिखाया था, लेकिन अब तक उस मामले में भी कई कार्रवाई नहीं की गई.

Intro:बिलासपुर सिम्स अस्पताल की बदहाली का यह आलम है कि यहां मरीज जरूरी दवाओं के लिए तरस के रह जा रहे हैं और आखिरकार उन्हें बाहर से महंगी दवाओं को लेना पड़ रहा है । सबसे खराब स्थित एंटी रेबीज वैक्सीन की है । अक्सर कुत्तों के काटने के बाद सिम्स पहुंचनेवाले मरीज़ों को बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है क्योंकि अस्पताल प्रवंधन के पास मरीज़ों के अनुपात में दवा नहीं रहती है ।





Body:इससे पहले भी सिम्स अस्पताल में एंटी रेबीज वैक्सिन की कमी की तस्वीरें आती रही है लेकिन अबतक इस समस्या का समाधान नहीं हो पाया । अस्पताल प्रवंधन का कहना है कि संवंधित एजेंसी के माध्यम से उन्हें पर्याप्त दवा नहीं मिलती जिस कारण से मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है । दूसरी ओर मरीजों की शिकायत है कि अस्पताल प्रवंधन की लापरवाही के कारण उन्हें बाहर से महंगी दवा खरीदना पड़ रहा है।


Conclusion:आपको जानकारी दें कि इससे पहले भी हमने सिम्स अस्पताल में जेनरिक दवाओं की कमी को दिखाया था,लेकिन लाख शिकायतों के बाद भी सिम्स प्रवंधन की दशा सुधर नहीं रही है । सम्भाग के सबसे बड़े अस्पताल में यदि दवा के लिए मरीजों को भटकना पड़ रहा हो तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि ग्रामीण अंचलों में स्वास्थ्य केंद्रों की क्या स्थिति होगी ।
बाईट..1 स्वप्निल पाठक,मरीज के परिजन
बाईट..2 रोमाना......मरीज के परिजन
बाईट..3 भूखन साहू...मरीज के परिजन
बाईट..4 रूबी सिंह.....स्टाफ नर्स
विशाल झा....बिलासपुर

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