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रायपुर में भीषण सड़क हादसा, पांच की मौत और कई घायल

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Published : Feb 20, 2019, 8:30 PM IST

रायपुर: राष्ट्रीय राजमार्ग 53 आरंग के पास बस और ट्रक आपस में टकरा गए. हादसे में बस में सवार पांच लोगों की मौत हो गई है. हादसे में 30 लोग घायल हैं, कई घायलों की हालत गंभीर है, जिन्हें इलाज के लिए रायपुर रेफर कर दिया गया है.

रायपुर में सड़क हादसा

इसके साथ ही बाकी घायलों को आरंग के अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनका इलाज चल रहा है. मृतकों का आंकड़ा बढ़ने की संभावना है.

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बस में 35 लोग थे सवारबस रायपुर की ओर जा रही थी, उसमें 35 लोग सवार थे. इस दौरान आरंग मोड़ में सराईपाली के पास बस के ड्राइवर ने नियंत्रण खो दिया और बस सामने से आ रहे ट्रक से जा टकराई.
Intro:कोंडागाँव को शिल्प का केंद्र माना जाता है और इसीलिए इसे शिल्पनगरी भी कहा जाता है, यहाँ विभिन्न प्रकार के शिल्पों का निर्माण किया जाता है जैसे टेराकोटा, बेलमेटल, लौहशिल्प, बाँसशिल्प इत्यादि.....


Body:शिल्पनगरी कोंडागाँव को विकसित करने व यहाँ के शिल्पकारों को व उनके शिल्प को आगे बढ़ाने दक्षिण वन मंडल कोंडागाँव ने कुछ वर्ष पूर्व काष्ठागार में करोड़ों की लागत से एक उद्यम शुरू किया जिसमें उन्होंने उद्यमियों से बाँस से कई प्रकार की वस्तुओं का निर्माण करवाया व समय-समय पर मेलों में और कई शोरूम्स में उनकी प्रदर्शनी भी लगवायी, बाँस से यहाँ झूले, पेन स्टैंड, कुर्सियाँ, पलंग, बाँसुरी, घर के सजावट की कई चीजें बनवायीं जातीं थी और उनके प्रदर्शनी व बिक्री से जो आय होती थी उसका कुछ अंश उद्यमियों को भी दिया जाता था,
कुछ सालों तक तो यह केंद्र अच्छा, बहोत अच्छा संचालित हुआ, दूर-दूर से प्रशिक्षक आते थे और प्रशिक्षण लेने वाले भी आते थे, और यह उद्यम एक आकर्षण का केंद्र भी बना रहा है, आस- पास और बाहर भी बाँस से बने इन वस्तुओं का निर्यात भी किया जाने लगा था
पर जैसे-जैसे समय बीता, विभाग इस प्रोजेक्ट से पल्ला झाड़ने लगा , धीरे-धीरे प्रशिक्षु और प्रशिक्षक दोनो नदारत होने लगे और एक समय बाद यहां इस बाँस प्रसंस्करण केंद्र में सन्नाटा पसर गया,
अब तो आलम यह है कि दीमकों , झींगुर और जंग लगकर बर्बाद हो रहे लाखों-करोड़ों मशीनों के अलावा यहाँ कुछ भी नहीं है।



Conclusion:वर्तमान में पदस्थ डी एफ ओ कोंडागाँव बी.एस. ठाकुर ने वार्ता में बताया कि पर्याप्त बजट व रखरखाव न होने के कारण ऐसा हुआ है, जल्द ही इस बाँस प्रसंस्करण केंद्र को शुरू किया जाएगा।

सवाल तो यह भी उठता है कि
1 . यदि यह बाँस प्रसंस्करण केंद्र बन्द हुआ तो क्यों यहां लगे मशीनों को संरक्षित नहीं किया गया?
2. और यदि पर्याप्त बजट व रखरखाव की जिम्मेदारी ही नहीं थी तो करोड़ों की लागत से इस बाँस प्रसंस्करण केंद्र को शुरू ही क्यों किया गया, इसके लिए कौन जिम्मेदार है?

बाइट- डी एफ ओ कोंडागाँव
बी. एस. ठाकुर

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