कोरबा: कोयले के उत्पादन और पावर प्लांट्स में इसके स्टॉक को लेकर कोल इंडिया लिमिटेड की कंपनी SECL और राज्य शासन के पावर प्लांट प्रबंधन आमने सामने आ गए हैं. SECL लगातार भरपूर कोयला उपलब्ध होने और उत्पादन में बढ़ोतरी की बात कह रहा है. जो हुआ भी है. जबकि राज्य शासन के सभी प्रमुख पावर प्लांटों के प्रबंधन ने सेंट्रल एनर्जी अथॉरिटी को बताया है कि उन्हें SECL से निर्धारित मात्रा में कोयला नहीं दिया जा रहा है.
कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी (Coal Minister Prahlad Joshi) जब कोरबा प्रवास पर थे, तब उन्होंने कोयला क्राइसिस (coal crisis) की बात स्वीकारी थी, हालांकि इसे जल्द ही दूर कर लिए जाने की बात भी कही थी. उनके इस बयान का असर दिखा और खदानों से कोयला उत्पादन भी बढ़ा. लेकिन पावर प्लांट के पास उपलब्ध कोयले के स्टॉक पर गौर करें तो कोयला क्राइसिस अब भी बरकरार है.
आंकड़ों में कोयले का उत्पादन बढ़ा
बीते अक्टूबर माह में SECL की कोयला खदानों ने 10 दिनों के भीतर 3 मिलियन टन कोयले का उत्पादन किया है. प्रतिदिन उत्पादन भी अब 3.75 लाख टन हो गया है. जबकि पहले यह 3 लाख टन ही दर्ज किया जा रहा था. अधिकारियों की माने तो कोयला उत्पादन तीव्र गति से हो रहा है. हालांकि SECL को मौजूदा वित्तीय वर्ष में 172 मिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य है. जिसके लिए हर महीने 21 मिलियन टन से अधिक कोयले का उत्पादन करना होगा. तभी मौजूदा वित्तीय वर्ष के कोयला उत्पादन लक्ष्य को पाना संभव होगा. अब तक की स्थिति में SECL ने 63 मिलियन टन कोयले का उत्पादन कर लिया है.