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पावर प्लांट को नहीं मिल रहा पर्याप्त कोयला, क्या सिर्फ आंकड़ों में बढ़ा उत्पादन

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Published : Nov 5, 2021, 2:15 PM IST

छत्तीसगढ़ के पावर प्लांट्स (Chhattisgarh power plant ) के पास कोयला क्राइसिस (coal crisis) जैसी स्थिति बनी हुई है. SECL कोयला उत्पादन में लगातार बढ़ोतरी की बात कह रहा है. लेकिन पावर प्लांट्स का कहना है कि उन्हें कोयला नहीं मिल रहा है.

coal shortage in power plant of chhattisgarh
पावर प्लांट को नहीं मिल रहा पर्याप्त कोयला

कोरबा: कोयले के उत्पादन और पावर प्लांट्स में इसके स्टॉक को लेकर कोल इंडिया लिमिटेड की कंपनी SECL और राज्य शासन के पावर प्लांट प्रबंधन आमने सामने आ गए हैं. SECL लगातार भरपूर कोयला उपलब्ध होने और उत्पादन में बढ़ोतरी की बात कह रहा है. जो हुआ भी है. जबकि राज्य शासन के सभी प्रमुख पावर प्लांटों के प्रबंधन ने सेंट्रल एनर्जी अथॉरिटी को बताया है कि उन्हें SECL से निर्धारित मात्रा में कोयला नहीं दिया जा रहा है.

कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी (Coal Minister Prahlad Joshi) जब कोरबा प्रवास पर थे, तब उन्होंने कोयला क्राइसिस (coal crisis) की बात स्वीकारी थी, हालांकि इसे जल्द ही दूर कर लिए जाने की बात भी कही थी. उनके इस बयान का असर दिखा और खदानों से कोयला उत्पादन भी बढ़ा. लेकिन पावर प्लांट के पास उपलब्ध कोयले के स्टॉक पर गौर करें तो कोयला क्राइसिस अब भी बरकरार है.

आंकड़ों में कोयले का उत्पादन बढ़ा
बीते अक्टूबर माह में SECL की कोयला खदानों ने 10 दिनों के भीतर 3 मिलियन टन कोयले का उत्पादन किया है. प्रतिदिन उत्पादन भी अब 3.75 लाख टन हो गया है. जबकि पहले यह 3 लाख टन ही दर्ज किया जा रहा था. अधिकारियों की माने तो कोयला उत्पादन तीव्र गति से हो रहा है. हालांकि SECL को मौजूदा वित्तीय वर्ष में 172 मिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य है. जिसके लिए हर महीने 21 मिलियन टन से अधिक कोयले का उत्पादन करना होगा. तभी मौजूदा वित्तीय वर्ष के कोयला उत्पादन लक्ष्य को पाना संभव होगा. अब तक की स्थिति में SECL ने 63 मिलियन टन कोयले का उत्पादन कर लिया है.

पवार प्लांट्स ने कहा- 'नहीं मिल रहा कोयला'
NTPC, DCPM, कोरबा ताप विद्युत गृह, एचटीपीपी संयंत्रों के प्रबंधन ने सेंट्रल एनर्जी अथॉरिटी को बताया है कि उन्हें SECL से निर्धारित मात्रा में कोयले का स्टॉक नहीं मिल पा रहा है. कुछ निजी पवार प्लांट्स ने भी यही कारण बताया है. जिसके कारण कोयले का स्टॉक बेहद सीमित है. कोरबा जिले में ही राज्य शासन के प्रमुख पावर प्लांट संचालित है. इनमें से निजी पावर प्लांट लैंको पताढ़ी के पास ही सर्वाधिक 14 दिनों का कोयले का स्टॉक शेष है. जबकि बाकि सभी पावर प्लांट्स के पास 10 दिन से भी कम का कोयले का स्टॉक है. नियमानुसार पावर प्लांट्स के पास 15 दिनों का कोयले का स्टॉक हर हाल में मौजूद होना चाहिए.

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पावर प्लांट में फिलहाल इतना है कोयला स्टॉक

पावर प्लांट विद्युत क्षमता(MW) कोयला (क्षमता हजार टन में) कोल स्टॉक/दिन
बालको 600 67 7
NTPC कोरबा 2600 112.7 3
NTPC सीपत 2980 273 7
DCPM 500 25.4 4
HTPP 1340 97.9 5
मडवा 1000 66.2 7
भिलाई TPS 500 45.8 7
अकलतरा TPS 1800 173.2 12
लारा TPS 1600 142.9 7
लैंको पताढ़ी 600 104.9 14

नहीं होने देंगे कमी
पवार प्लांटों में कम कोयला स्टॉक के सवाल पर SECL के जनसंपर्क अधिकारी सनीश चंद्र का कहना है कि 'मानसून के बाद कोयला खदानों में उत्पादन बढ़ा है. कोयले का स्टॉक कम होने के और भी कई कारण होते हैं. SECL से कोयले की सप्लाई किसी भी हाल में कम नहीं होने देंगे. पवार प्लांटों को निर्धारित मात्रा में कोयला दिया जाएगा.'

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