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30 साल से अपने जिंदा होने का सबूत लिए भटक रही महिला, जमीन के लिए बेटा-बेटी ने किया यह हाल

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Published : Oct 28, 2021, 8:01 PM IST

33 साल पहले मृत्य घोषित की गईं महिला वर्षों से खुद को जिंदा होने का प्रमाण के लिए सरकारी कार्यालयों का चक्कर लगा रही हैं. बेटा-बेटी ने उनका मृत्यु प्रमाण पत्र बनवा लिया था. पढ़ें पूरी खबर...

बुचुन देवी
बुचुन देवी

बेतिया: बिहार के पश्चिम चंपारण जिले (West Champaran) के चनपटिया प्रखंड (Chanpatia Block) के गिद्धा गांव निवासी शिवपूजन महतो की पत्नी बुचुन देवी को एक साजिश के तहत सरकारी कागज में मृत्य घोषित कर दिया गया है. 33 साल पहले मृत घोषित की गईं महिला वर्षों से खुद को जिंदा होने का प्रमाण के लिए सरकारी कार्यालयों का चक्कर लगा रही हैं.

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सिस्टम की लापरवाही कहें या मनमानी, वह बुचुन देवी को जिंदा मान नहीं रही है. आधार कार्ड, बैंक पासबुक, पैन कार्ड सहित कई सरकारी दास्तवेज उसके जिंदा होने का प्रमाण दे रहे हैं. महिला को 17 जून 2021 को कोरोना का टीका भी लग चुका है. इन सारे दस्तावेजों को दिखाकर वह खुद के जिंदा होने का प्रमाण दे रही हैं. बावजूद उसे 33 साल बीत जाने के बाद भी कहीं से न्याय नहीं मिल पाया है. वह दर-दर की ठोकर खा रही हैं.

बुचुन देवी अपने मायके घोघा में किसी तरह जीवन बसर कर रही हैं. बुचुन कहती है कि उसकी शादी शिवजून महतो से हुई है. उसे एक बेटा और बेटी है. बेटा के गलत सोहबत के कारण पति ने 18 कठ्‌ठा 19 धूर जमीन उसके नाम कर दिया था. साजिश के तहत बेटा और बेटी ने जमीन के लालच में 20 जनवरी 1987 में चनपटिया प्रखंड से बुचुन का मृत्यु प्रमाण पत्र बनवा लिया. उसके बाद महिला की सारी संपत्ति पर कब्जा जमाकर बेटा-बेटी ने उसे घर से निकाल दिया.


गिद्धा निवासी बुचुन देवी के जिंदा होने के बावजूद मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने में चनपटिया के तत्कालीन बीडीओ, पंचायत सचिव सहित अन्य सरकारी अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है. बिना किसी वेरिफिकेशन के 20 जनवरी 1987 को उसके नाम से चनपटिया प्रखंड कार्यालय की ओर से मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया था. नियम के अनुसार चनपटिया प्रखंड के पंचायत सचिव को मौके पर जाकर मामले की जांच करनी चाहिए थी. उसके बाद प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया शुरू होती. पंचायत सचिव के बाद राजस्व कर्मचारी और उसके बाद जेएसएस द्वारा प्रमाणित करने के बाद ही बीडीओ मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करते हैं. हद तो यह है कि इतनी सारी प्रक्रिया होने पर भी किसी ने महिला को जिंदा नहीं पाया.

गिद्धा पंचायत की पूर्व मुखिया कौशल्या देवी ने शिवपूजन महतो की पत्नी बुचुन देवी उर्फ शिवकली देवी को जिंदा माना है. उन्होंने बुचुन के जिंदा होने का प्रमाण पत्र 9 मार्च 2019 को दिया था. उन्होंने कहा है कि बुचुन देवी गिद्धा की रहने वाली हैं. उनकी मौत नहीं हुई है. वह जिंदा हैं. वह दो नामों से जानी जाती हैं.

अब सवाल उठता है कि जब पूर्व मुखिया भी बुचुन को जिंदा मान रही हैं तो सरकारी सिस्टम क्यों नहीं कोई कार्रवाई कर रहा है? चनपटिया के प्रखंड विकास पदाधिकारी मनुरंजन कुमार पांडेय ने कहा, 'पंचायत चुनाव को लेकर अभी मैं योगापट्टी प्रखंड में हूं. मामला मेरे यहां आने से पहले का है. मैं कुछ नहीं बोल सकता हूं. मामला सामने आने पर ही कुछ कहूंगा.'

"अगर चनपटिया प्रखंड में जिंदा महिला का मृत्य प्रमाण पत्र बनाया गया है तो यह काफी गंभीर मामला है. मामले की जांच कराई जायेगी. प्रमाण पत्र जारी करने में जिसकी भी भूमिका होगी, उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जायेगी."- कुंदन कुमार, डीएम, पश्चिम चंपारण

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