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न खाना बा... न पानी बा... न लकड़ी... जान बचा के बांध पर बस गईनी

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Published : Sep 3, 2021, 4:39 PM IST

बेतिया बाढ़

बेतिया में बाढ़ का दंश झेल रहे नौतन प्रखंड के लोगों के चेहरे से खुशी गायब हो चुकी है. आधा दर्जन से ज्यादा पंचायत के लोग अपने घर को छोड़कर ऊंचे जगह पर रहने को विवश हो चुके हैं. लोगों के पास ना खाने के लिए अनाज बचा है और ना ही पीने का पानी. सभी मायूस हैं क्योंकि उन्हें अभी तक किसी प्रकार की कोई मदद नहीं मिली है.

बेतिया: पश्चिमी चंपारण (West Champaran) जिले में हो रही बारिश के कारण नदियों का जलस्तर बढ़ गया है. गंडक बराज से जो पानी छोड़े गए हैं, वह पानी जिले के कई प्रखंडों में पहुंच चुका है. जिस कारण कई पंचायत, कई गांव टापू बने हुए हैं. आने-जाने का कोई रास्ता नहीं है. नाव ही एकमात्र सहारा बन चुका है. ऐसे में लोग नाव के सहारे गांव से बाहर निकल रहे हैं और मजबूरन ऊंचे स्थानों पर शरण ले रहे हैं. बेतिया (Flood in Bettiah) के नौतन प्रखंड (Nautan Block) का हाल भी इन दिनों काफी बुरा हो चुका है.

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नौतन प्रखंड के मंगलपुर पंचायत, भगवानपुर, विशंभरपुर, शिवराजपुर पंचायत के कई गांव बाढ़ की चपेट में हैं. कई गांव में बाढ़ का पानी घुस चुका है. लोग ऊंचे स्थानों पर तंबू लगाकर रहने को मजबूर हैं. गांव से निकलने का कोई रास्ता नहीं है. नाव के सहारे लोग गांव से बाहर निकल रहे हैं. ताकि दो वक्त की रोटी मिल सके.

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कई लोगों के घरों में रखा अनाज पानी में खराब हो गया. ऐसे में खाने के लिए घर में अनाज बचा नहीं है. तो दो वक्त की रोटी के लिए लोग गांव से बाहर निकल कर किसी तरह अपना गुजर-बसर कर रहे हैं. ताकि घर पर दो वक्त का भोजन आ सके और परिवार का पेट पल सके.

इन बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि कोई अधिकारी इनकी सुध लेने नहीं आया. किसी ने इनकी हालत नहीं पूछी. भगवानपुर पंचायत, विशंभरपुर और मंगलपुर के लोग चंपारण तटबंध पर शरण लिए हुए हैं और वहीं पर अपने बच्चों के साथ रह रहे हैं. वहीं पर खाना बना रहे हैं. वहीं पर खाना खा रहे हैं. लेकिन प्रशासन द्वारा कोई व्यवस्था नहीं की गई है.

बता दें कि नौतन प्रखंड हर साल बाढ़ में तबाह होता है. कई प्रखंड टापू में तब्दील हो जाते हैं. लोग बेघर हो जाते हैं. गांव के लोगों को अपना घर छोड़कर ऊंचे स्थानों पर शरण लेना पड़ता है. जिले में लगातार हो रही तेज बारिश और गंडक बराज से छोड़े गये पानी के कारण नौतन प्रखंड के लोग बाढ़ से तबाह हो चुके हैं.

जो फसलें खेतों में लगी थीं, वह भी नष्ट हो गईं. ऐसे में यह बाढ़ पीड़ित दोहरी मार झेल रहे हैं. एक तो फसल की बर्बादी ऊपर से बाढ़ की मार. पीड़ित जिला प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं कि सरकार हमारी मदद कीजिए, क्योंकि हमारा सब कुछ तबाह हो चुका है.

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