बिहार

bihar

Navratri 2021: पहले दिन मां तारा चंडी शक्तिपीठ में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, जानें क्या है महिमा

By

Published : Oct 7, 2021, 1:25 PM IST

आज नवरात्रि के पहले दिन सासाराम स्थित मां तारा चंडी धाम में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है. श्रद्धालु पूरे आस्था के साथ शक्तिपीठ पहुंच रहे हैं. यह भीड़ अगले 9 दिनों तक देखने को मिलेगी.

नवरात्रि
नवरात्रि

रोहतास:आज नवरात्रि के पहले दिन (First Day Of Navratri) रोहतास जिले के सासाराम में स्थित ऐतिहासिक शक्तिपीठ मां तारा चंडी धाम (Shaktipeeth Maa Tara chandi Dham) में पूजा-अर्चना शुरू कर दी गई है. आज से अगले नौ दिन तक यहां भक्तों की भीड़ देखने को मिलेगी. ऐसी मान्यता है कि यहां जो भी भक्त आते हैं, उनकी मानोकामनाएं जरूरी पूरी होती है.

इसे भी पढ़ें:Navratri 2021: पहले दिन करें मां शैलपुत्री की पूजा, जानिए पूजन और कलश स्थापना के लाभ

51 शक्तिपीठों में सुमार मां तारा चंडी शक्तिपीठ कैमूर पहाड़ी के गुफा में स्थित हैं. इनकी महिमा अपरंपार है. यहां दूर-दूर से श्रद्धालु पूजा-अर्चना के लिए आते हैं. खासकर नवरात्रि में इस मंदिर का महत्व और भी बढ़ जाता है. आज से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होते ही मां तारा चंडी मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिल रही है.

ये भी पढ़ें:नवरात्रि: संकल्प का नाम है व्रत, इन चीजों का सेवन करने से सफल हाेगी आराधना

कोरोना महामारी के कारण मंदिर श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दी गई थी. वहीं, पिछले एक माह से मंदिर को खोला गया है. जिसके बाद से ही मंदिर में रौनक देखी जा रही है. इस शक्तिपीठ की मान्यता है कि सच्चे मन से मांगी हुई हर मनोकामना जरूर पूरी होती है.

देखें रिपोर्ट.

शक्ति पीठ के बारे में मान्यता है कि सती के तीन नेत्रों में से भगवान विष्णु के चक्र से खंडित होकर दायां नेत्र यहीं पर गिरा था. जिसके बाद यह स्थान मां तारा चंडी शक्तिपीठ के नाम से विख्यात हुआ. वहीं, मंदिर की प्राचीनता के बारे में भी कई साक्ष्य मिलते हैं. मंदिर में स्थित शिलालेख से यह स्पष्ट होता है कि 11वीं सदी में यह देश के ख्याति प्राप्त शक्ति स्थलों में से एक है.

ऐसी मान्यता है कि महर्षि विश्वामित्र ने इस पीठ का नाम तारा रखा था. यहीं पर परशुराम ने मां तारा की उपासना की थी. मां तारा इस शक्तिपीठ में बालिका के रूप में प्रकट हुई थी. यहीं पर चन्ड का वध किया गया था, जिसके कारण चंडी नाम रखा गया. मंदिर के गर्भ गृह में सन् 1229 का खरवार वंशी राजा प्रताप धवल देव द्वारा ब्राह्मी लिपि में लिखवाया गया शिलालेख है. यह मंदिर की ख्याति व प्राचीनता को दर्शाता है.

बता दें कि इस बार नवरात्र आठ दिन का होगा. नौ अक्टूबर को तृतीय व चतुर्थी तिथि एक दिन होगा. 14 अक्टूबर को नवरात्रि का विधिवत समापन होगा. जबकि 15 को दशहरा मनाया जाएगा. आठ दिनों तक देवी श्लोकों से पूरा वातावरण भक्तिमय बना रहेगा. हालांकि कोरोना महामारी को देखते हुए इस बार भी पूजा पंडालों व चौक-चौराहों पर भीड़ लगाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.

कोरोना संक्रमण से बचाव को ले जारी गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए नवरात्र की विशेष पूजा करने की व्यवस्था की गई है. भीड़-भाड़ वाले कार्यक्रम पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा. इस बार नवरात्रि के दिन चित्रा नक्षत्र रात 9 बजकर 13 मिनट तक और वैधृति योग रात 1 बजकर 39 मिनट तक रहेगा. इस कारण शारदीय नवरात्रि में घट स्थापना का समय दोपहर 11 बजकर 52 मिनट से 12 बजकर 38 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त में ही सर्वश्रेष्ठ रहेगा.

नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना और उसका पूजन किया जाता है. इसके बाद मां शैलपुत्री का पूजन किया जाता है. माता शैलपुत्री देवी पार्वती का ही एक रूप हैं, जो नंदी पर सवार, श्वेत वस्त्र धारण करती हैं. उनके एक हाथ में त्रिशुल और एक हाथ में कमल विराजमान रहता है. मां शैलपुत्री को धूप, दीप, फल, फूल, माला, रोली, अक्षत चढ़ाकर पूजन करना चाहिए. मां शैलपुत्री को सफेद रंग प्रिय है, इसलिए उनको पूजन में सफेद फूल और मिठाई अर्पित करना चाहिए. इसके बाद मां शैलपुत्री के मंत्रों का जाप कर, पूजन का अंत मां शैलपुत्री की आरती गा कर करना चाहिए.

शारदीय नवरात्रि की तिथियां

7 अक्टूबर 2021 गुरुवार प्रतिपदा घटस्थापना मां शैलपुत्री पूजा
8 अक्टूबर 2021 शुक्रवार द्वितीया मां ब्रह्मचारिणी पूजा
9 अक्टूबर 2021 शनिवार तृतीय, चतुर्थी मां चंद्रघंटा पूजा, मां कुष्मांडा पूजा
10 अक्टूबर 2021 रविवार पंचमी मां स्कंदमाता पूजा
11 अक्टूबर 2021 सोमवार षष्ठी मां कात्यायनी पूजा
12 अक्टूबर 2021 मंगलवार सप्तमी मां कालरात्रि पूजा
13 अक्टूबर 2021 बुधवार अष्टमी मां महागौरी दुर्गा पूजा
14 अक्टूबर 2021 गुरुवार महानवमी मां सिद्धिदात्री पूजा
15 अक्टूबर 2021 शुक्रवार विजयादशमी विजयदशमी, दशहरा

ABOUT THE AUTHOR

...view details