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Anand Mohan Case: बिहार IAS एसोसिएशन की चुप्पी दुर्भाग्यपूर्ण, अन्य राज्य की इकाई कर रही विरोध- सुशील मोदी

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Published : May 1, 2023, 2:19 PM IST

आनंद मोहन की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट में 8 मई को सुनवाई होगी. इसपर सुशील कुमार मोदी ने कहा कि कोर्ट का फैसला चाहे जो भी हो लेकिन सरकार का दलित विरोधी चेहरा सामने आ गया है. बिहार के सरकारी संगठन, आईएएस एसोसिएशन की चुप्पी दुर्भाग्यपूर्ण है.
Sushil Kumar Modi
MP Sushil Kumar Modi

बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी

पटना:पूर्व सांसद आनंद मोहन के रिहाई के मामले को लेकर जी कृष्णैया की पत्नी की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. मामले पर 8 मई को सुनवाई होगी. इसको लेकर बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी ने बड़ा बयान दिया है और कहा है कि इस मामले में नीतीश सरकार ने कानून बदलकर बड़ी गलती की है. खासकर सरकारी सेवक के साथ अन्याय हुआ है.

पढ़ें- Anand Mohan Case: आनंद मोहन को जाना होगा जेल? उमा कृष्णैया की याचिका पर 8 मई को सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई

बोले सुशील मोदी- 'बिहार आईएएस एसोसिएशन की चुप्पी दुर्भाग्यपूर्ण': सुशील मोदी ने कहा कि सरकारी सेवक के साथ ड्यूटी के दौरान ऐसी घटना होती रहती है और जो कानून में बदलाव किया गया है वो कहीं से भी ठीक नहीं है. अब सुप्रीम कोर्ट क्या फैसला देगा उसपर हम कुछ नहीं कहेंगे. लेकिन इतना जरूर कहेंगे कि सरकार का दलित विरोधी चेहरा सामने आ गया है. बिहार आईएएस एसोसिएशन की चुप्पी दुर्भाग्यपूर्ण है. देश के अन्य राज्यों के आईएएस संगठन खुलकर सामने आ रहे हैं.

"पटना हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों जगह याचिका दायर हुई है. कोर्ट का फैसला कुछ भी हो लेकिन जनता का फैसला आ चुका है. जनता इसके पक्ष में नहीं कि सरकारी कर्मचारियों की जान को खतरे में डालकर अपराधियों को जेल से रिहा किया जाए. हमने मांग की थी लेकिन जेल मैनुअल में संशोधन की मांग नहीं की थी. आए दिन बिहार के अंदर सरकारी कर्मचारियों पर हमला होता है तो उनके लिए कुछ प्रावधान हैं लेकिन उसको हटा दिया गया. सरकार का दलित विरोधी चेहरा सामने आया है."- सुशील कुमार मोदी, राज्यसभा सांसद

'मौलवी या मौलाना का विरोध करके दिखाए RJD': वहीं जब उनसे पूछा गया कि राजद, बाबा बागेश्वर के आगमन को लेकर विरोध कर रहा है तो उन्होंने कहा कि ये गलत है. संत का विरोध नहीं होना चाहिए. अगर राजद के नेता और कार्यकर्ता में हिम्मत है तो किसी मौलवी या मौलाना का ऐसा विरोध करके दिखावे. बाबा बागेश्वर के लाखों चाहनेवाले लोग हैं. अगर ऐसा राजद करता है तो ये ठीक नहीं है. इससे संघर्ष की स्थिति बन सकती है इसीलिए हम कहेंगे कि इस मामले में राजद ऐसा नहीं करे जो ठीक नहीं है.

'ललन सिंह को पहले अच्छी लगती थी मन की बात लेकिन अब...' वहीं जब उनसे पूछा गया की नीतीश कुमार नालंदा से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे तो उन्होंने कहा कि पहले वो अपना गद्दी तेजस्वी को सौंप दें लेकिन वो ऐसा करने वाले नहीं है. फिर इसकी चर्चा कहां से हो गई हमें नहीं लगता कि वो ऐसा करेंगे. वहीं ललन सिंह ने जो मन की बात पर ट्वीट किया है उसपर भी उन्होंने प्रतिक्रिया दी और कहा की छह महीने पहले वो मन की बात सुनते थे. आज उनको खराब लग रहा है. राजद और जदयू के लोग मन की बात कार्यक्रम का कितना भी विरोध करें, लेकिन देश की जनता इस कार्यक्रम को सुनती है और इससे फायदा भी उठाती है. इन लोगो के विरोध से कुछ नहीं होने वाला है.

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