पटना: लगातार हो रही बारिश से झील में तब्दील हो चुकी राजधानी में जलप्रलय की स्थिति है. सड़कों पर पांच से छह फुट तक पानी जमा हो गया है. बिजली, पानी, दूध और गैस की आपूर्ति ठप होने से हाहाकार जैसी स्थिति है. विपत्ति की इस घड़ी में लोगों की मदद के लिये सरकार ने अधिकारियों का नंबर जारी किया है. हैरानी की बात यह है कि इनमें से अधिकांश नंबर पर कॉल नहीं लगता है.
पटना: हेल्पलाइन नंबर से नहीं मिल रही लोगों को मदद, अधिकारियों का नंबर आउट ऑफ कवरेज
पटना के कंकड़बाग स्थित साई मंदिर के पास तैनात अधिकारियों को जब फोन किया गया तो नंबर स्विच ऑफ आ रहा था. वहीं, सिटी के अनुमंडल अधिकारी का नंबर आउट ऑफ कवरेज एरिया है. अब आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि सरकार की ओर से जारी किया गया ये नंबर आम लोगों के लिये कितना मददगार साबित हो रहा है.
आफत की इस घड़ी में राज्य सरकार ने लोगों की मदद के लिये हेल्प लाइन नंबर जारी किया था ताकि जरूरत पड़ने पर इनसे मदद ली जा सकें. लेकिन लोगों का कहना है मदद के नाम पर सरकार ने इनके साथ भद्दा मजाक किया है. जितने भी नंबर जारी किये गये हैं उनमें में किसी पर भी बात नहीं हो पाती.
अधिकारियों का नंबर आउट ऑफ कवरेज
शिकायत मिलने के बाद ईटीवी भारत के संवाददाता ने इसकी पड़ताल की. पटना के कंकड़बाग स्थित साई मंदिर के पास तैनात अधिकारियों को जब फोन किया गया तो नंबर स्विच ऑफ आ रहा था. वहीं, सिटी के अनुमंडल अधिकारी का नंबर आउट ऑफ कवरेज एरिया है. अब आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि सरकार की ओर से जारी किया गया ये नंबर आम लोगों के लिये कितना मददगार साबित हो रहा है.
Body: जिस नंबर के बल पर सरकार लोगों को राहत पहुंचाने की बात कर रही है वह नंबर तो सरकारी बाबू की तरह गायब है जिस नंबर पर लोग मदद के लिए फोन कर रहे हैं वह या तो बंद है या फिर कवरेज एरिया से बाहर है हमारे संबाद दाता अरविंद राठौर ने भी लोगों की शिकायत के बाद दो नंबर का जायजा लिया तो एक नंबर जो कंकड़बाग साई मंदिर के पास जिन अधिकारी को मदद के लिये ड्यूटी लगाया गया है उनका है जब उस पर फ़ोन किया गया तो उनका वह स्विच ऑफ बता रहा है वही सिटी के अनुमंडल अधिकारी का नंबर आउट ऑफ कवरेज एरिया है अब आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि लोगों को सहायता के लिए दिया गया नंबर जब बंद पड़े हैं तो लोग इनसे सहायता कैसे लेंगे अगर आप किसी अधिकारी के पास जाते हैं तो एक ही जवाब मिलता है कि साहब आपदा के काम में व्यस्त हैं नही मिल सकते तो सवाल है कि आखिर आपदा का राहत कहां पहुंच रहा है लोग किसके पास मदद मांगे यह तो भगवान ही मालिक है
Conclusion: सरकारी अधिकारियों का या रवैया आज नया नहीं है जब भी विपत्ति के समय में लोगों को सहायता के लिए नंबर दिया जाता है तो या तो काम नहीं करते हैं या तो स्विच ऑफ ही रहते हैं
पटना से अरविंद राठौर की रिपोर्ट