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पटना हाईकोर्ट ने खारिज की वकील संतोष मिश्रा की जमानत याचिका, 10.5 लाख रुपये गबन का है मामला

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Published : Oct 31, 2021, 3:24 PM IST

ललन पासी और संझरिया देवी के 10.5 लाख रुपये गबन के आरोपी वकील संतोष कुमार मिश्रा की जमानत याचिका पटना हाईकोर्ट ने खारिज कर दी. पढ़ें पूरी खबर...

पटना हाईकोर्ट
पटना हाईकोर्ट

पटना:पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने वकील संतोष कुमार मिश्रा की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. उनपर मुवक्किल के 10.5 लाख रुपये गबन का आरोप लगा है. जस्टिस राजीव प्रसाद ने संतोष कुमार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने आदेश दिया.

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पटना हाईकोर्ट ने गबन के आरोपी वकील की जमानत याचिका खारिज कर दी. इसके साथ ही मामले में आगे की कार्रवाई के लिए बिहार राज्य बार काउंसिल को आदेश की प्रति भेजने का निर्देश दिया. संतोष कुमार ने वकील के रूप में ललन पासी की ओर से क्षतिपूर्ति को लेकर पटना रेलवे ट्रिब्यूनल में रेलवे एक्ट की धारा 125 व 16 के तहत एक मामला दायर किया था.

ट्रिब्यूनल ने 3 जनवरी, 2017 को ललन पासी के दावे को स्वीकार करते हुए 8 लाख रुपये बैंक खाते में ट्रांसफर करने का आदेश दिया था. इसके साथ ही दावेदार को 9 फीसदी के दर से ब्याज देने का भी आदेश दिया था. 4 लाख रुपये मृतक की मां संझरिया देवी के खाते में जाना था. इस राशि में से 30 फीसदी तीन वर्षों के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट के रूप में जमा किया जाना था.

याचिकाकर्ता को एक अधिवक्ता के रूप में ललन पासी और संझरिया देवी के सेविंग एकाउंट का ब्यौरा देने को कहा गया था. इन दोनों के नाम से एक ज्वाइंट अकाउंट खोला गया, जिसमें 11 सितंबर, 2017 को 10,52,000 रुपये ट्रांसफर किये गए. संतोष ने दावेदार का वकील होने का फायदा उठाते हुए चेक भुनाकर 5,50,000 रुपये निकाल लिए. संतोष की पत्नी ने भी दूसरे चेक को भुनाकर ललन पासी के ज्वाइंट अकाउंट से 4,50,000 रुपये भुना लिया. इसके अलावा भी संतोष ने 52,000 रुपये निकाले. ये राशि ललन पासी और संझरिया देवी को इकलौता पुत्र गोरख पासी की मृत्यु की वजह से क्षतिपूर्ति के रूप में दी गई थी.

संतोष की पत्नी गीता देवी को जमानत मिल चुकी है. संतोष ने अपनी याचिका में बक्सर के एडिशनल डिस्ट्रीक्ट एंड सेशन्स जज- 1 द्वारा 23 जुलाई, 2021 को दिए गए आदेश को रद्द करने का आग्रह किया था. मामला डुमरांव पीएस केस नंबर- 107/ 2019 से निकले एससी/एसटी केस नंबर- 146 / 2020 से जुड़ा हुआ है. आईपीसी की धारा 406 और 420 में कांड दर्ज हुआ था. बाद में आईपीसी की धारा 467, 468, 471 और 120 (बी) और एससी-एसटी एक्ट की धारा 3 (आर) (एस) जोड़ा गया था.

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