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'मंडल कमीशन' से दूरी 'कमंडल गुट' से नजदीकी.. नये कलेवर में चिराग.. बिहार के साथ पूरे देश पर नजर

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Published : Oct 17, 2022, 9:19 PM IST

Updated : Oct 17, 2022, 10:11 PM IST

लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास ने बिहार से कदम बाहर निकालकर अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी के जरिए अन्य दलों को सीधा संदेश दिया है. उन्हेंने बता दिया कि अब उन्हें बिहार से निकलकर देशभर में छा जाना है. विरासत संभालने की सियासत गुजरात से शुरू होकर हिमाचल और पश्चिम बंगाल जाएगी. चिराग का बदलाव सिर्फ पार्टी पर ही नहीं दिखेगा, ये बदलाव उनसे शुरू होकर पार्टी तक पहुंच रहा है. पढ़ें नेशनल ब्यूरो हेड राकेश त्रिपाठी की ये खास रिपोर्ट-

राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक
लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास

नई दिल्ली: देश की राजधानी नई दिल्ली में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक (LJPR National executive meeting) में चिराग पासवान ने अपनी पार्टी का एजेंडा सेट कर दिया. उन्होंने जहां एक ओर 6 प्रस्ताव पास करके ये बताने की कोशिश की उनकी राजनीति के केंद्र में अब भी एलजेपी के संस्थापक रामविलास पासवान हैं. एलजेपीआर के अध्यक्ष चिराग पासवान समझ चुके हैं कि उनको बिहार की राजनीति से बाहर निकलना होगा. देश की राजनीति की ओर बढ़ना होगा. इसके लिए जरूरी है कि देश के हर वर्ग को साधा जाये. 'मंडल कमीशन' के लंबरदार लालू और 'नीतीश के गठबंधन' से चिराग ने दूरी बना ली है. इसीलिए नीतीश के गठबंधन को समर्थन नहीं देने का भी उन्होंने यहीं से ऐलान कर दिया.

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देश की राजनीति की ओर चिराग के कदम: प्रेस कांफ्रेंस की शुरुआत चिराग अपने पिता के नाम से शुरू करते हैं. बाद में बताते हैं कि उनकी पार्टी नें आज जिन छह प्रस्तावों पर मुहर लगाई है, उनमें सबसे पहला ये कि उनके पिता को भारत सरकार 'भारत रत्न' से सम्मानित करे. ज़ाहिर है उन्हें मालूम है कि पिता की अर्जित राजनीतिक पार्टी चलानी है तो उनका नाम आगे रखना होगा. इसीलिए अगले प्रस्ताव में अपने पिता की मूर्ति देश के हर प्रदेश में लगाने का ऐलान भी है. चिराग की पार्टी का एक और प्रस्ताव कॉलेजियम द्वारा जजों की नियुक्ति के खिलाफ भी है. उनका मानना है कि जजों की नियुक्ति अगर 'इंडियन ज्यूडिशियल सर्विसेज' बनाकर उसके ज़रिये की जाये, तो देश के हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति में दलित भी अपना हिस्सा पा सकेंगे.

गुजरात और हिमाचल विधानसभा का लड़ेंगे चुनाव: अपनी प्रेस कांफ्रेंस में चिराग सिर्फ दलितों की ही बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि उन गरीब सवर्णों की भी बात करते हैं, जिन्हें नौकरियों में आरक्षण दिया गया है. वे बताते हैं कि उनके पिता ने कैसे अपने राजनैतिक जीवन के आखिरी सालों में इसकी बड़ी वकालत की थी. वो गुजरात और हिमाचल में चुनाव लड़ने की बात का ऐलान भी करते हैं. यानी धीरे-धीरे पूरे भारत में फैलने की तैयारी हो रही है. किसी सवाल के जवाब में ये भी दावा भी करते हैं कि वे बीजेपी या किसी और पार्टी की बी टीम नहीं हैं.

हिमाचल में भी संगठन का काम तेजी से आगे बढ़ा है. हिमाचल विधानसभा का भी चुनाव लड़ने का सुझाव पार्टी की तरफ से आया है. इस बैठक का उद्देश्य चुनाव की तैयारी और संगठन को मजबूत करना है. हम गुजरात में भी चुनाव लड़ेंगे. कितनी सीट पर चुनाव लड़ेंगे इसके लिए हमारी पार्टी के साथ चर्चा चल रही है. राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में 6 प्रस्ताव भी पास किए गए हैं.''- चिराग पासवान, अध्यक्ष, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास)

बदल रहे हैं चिराग: उनकी कलाई रंग-बिरंगे पवित्र कलावों से भरी हुई है. बाएं और दाएं दोनों हाथों की उंगलियों में बेशकीमती पत्थरों से सजी अंगूठियां दहक रही हैं. उनके माथे पर चंदन का एक लंबा सा तिलक सुशोभित हो रहा है. ये चिराग पासवान हैं, स्वर्गीय राम विलास पासवान के बेटे, जिन्होंने आज दिल्ली में अपनी पार्टी की कार्यकारिणी की बैठक बुलाई थी और प्रेस कांफ्रेंस को सम्बोधित करने आए थे.

विरासत संभालने की सियासत: चिराग टीवी पत्रकारों से घिरे थे, हर कोई उनसे बात करना चाहता थे. वे एक-एक कर सब से बात करते हैं. पिता की राजनीतिक विरासत, उनके योगदान और बिहार की नीतीश सरकार के कारनामों की चर्चा करते हैं. पार्टी के एक कार्यकर्ता बार-बार बदहवासी में उनसे ये रिक्वेस्ट करने आते हैं कि वे लंच कर लें. लंच का इंतज़ाम दो बड़ी मेज़ों को मिला कर किया गया है. वे उन्हें रुकने का और इंतज़ार करने का इशारा करते हैं, जिससे वे पत्रकारों से बातचीत निपटा सकें.

मंडल कमीशन से कमंडल गुट: ये तस्वीर उनके पिता की 1989-90 और उसके बाद की तस्वीरों से बिलकुल अलग है, जिसमें वे मंडल कमीशन की सिफारिशों को पूरे देश में किसी भी कीमत पर लागू करवाने के लिए अड़े दिखाई पड़ते हैं, मंडल के सामने खड़े कमंडल गुट को किसी भी कीमत पर पीछे धकेलने पर आमादा थे. हिंदुत्व और मंदिर आंदोलन पर खड़ा होने की तैयारी कर रही बीजेपी को पीछे फेंक देने के लिए किसी भी पैंतरे का इस्तेमाल करने वाले रामविलास पासवान.

बहरहाल पार्टी गुजरात और हिमाचल में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है, इस भरोसे के साथ कि हिंदुस्तान में किसी एक वर्ग या किसी एक जाति पर आधारित राजनीति नहीं की जा सकती. दलितों के लिए संघर्ष अगर विरासत में मिला है तो कलाई में पवित्र कलावों और माथे पर तिलक के साथ वो अब भी जारी रहेगा.

वोट बैंक पर नजर :बात करें अग बिहार की तो यहां पर पासवान जाति के 6 फीसदी वोट हैं. इसे एलजेपी का आधार वोट बैंक माना जाता है. एलजेपी के संस्थापक रामविलास पासवान अपने इसी वोट बैंक के जरिए बिहार से लेकर केंद्र की राजनीति में प्रभावी रहे. अब जब पार्टी में टूट हो गई है तो सवाल ये खड़ा हो रहा है कि पासवान वोटर्स किसके साथ हैं?

Last Updated :Oct 17, 2022, 10:11 PM IST

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