पटना:पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ नेता आरसीपी सिंह के बयान को लेकर पार्टी में ही नेताओं ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. दिल्ली से पटना पहुंचने के बाद आरसीपी सिंह ने कहा था कि मैं अपनी परिश्रम और मेहनत से यहां तक पहुंचा हूं. इस पर मंत्री अशोक चौधरी (Minister Ashok Choudhary) ने कहा कि कार्यकर्ता के रूप में उनकी क्या उपलब्धि है बताएं. आरसीपी सिंह का राजनीति में क्या परिश्रम है? कौन सी पार्टी में उन्होंने कार्यकर्ता के रूप में अपनी भूमिका अदा की है?
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RCP सिंह पर अशोक चौधरी का हमला: अशोक चौधरी (Ashok Choudhary On RCP Singh) ने कहा कि बोलने के लिए लोग बोलते हैं कि हमने परिश्रम किया है लेकिन नीतीश जी की कृपा से पद और प्रतिष्ठा उन्हें मिली. पार्टी में ऐसा कौन है जिसके कार्यक्रम में दस हजार लोग जुट जाएंगे. ऐसे सिर्फ एक ही नेता नीतीश कुमार हैं. कोई कहे कि हमने अपनी मेहनत से किया है किसी का कोई योगदान नहीं है, ऐसा बयान हास्यास्पद है. साथ ही अशोक चौधरी ने आरसीपी सिंह से यहां तक पूछ डाला कि कौन सी पार्टी में कार्यकर्ता थे?
"अगर उनपर नरेंद्र मोदी जी की कृपा थी तो यह बात भी सत्य हो गयी कि नीतीश जी की रजामंदी से मंत्री नहीं बने थे. आरसीपी सिंह भविष्य में क्या करेंगे ये अलग बात है लेकिन यह कहना कि मैं परिश्रम से आया हूं यह पूरी तरह से हास्यास्पद है. नीतीश जी की कृपा से दो-दो बार राज्यसभा गए, राष्ट्रीय अध्यक्ष बने. नीतीश कुमार पार्टी के सर्वमान्य नेता हैं जो भी इस पार्टी में है वह उनकी कृपा से फलता फूलता है."- अशोक चौधरी, भवन निर्माण मंत्री, बिहार
RCP सिंह ने कही थी ये बात:कलपटना एयरपोर्ट (RCP Singh At Patna Airport) पर कार्यकर्ताओं ने उनका भव्य स्वागत किया. इस दौरान आरसीपी सिंह (RCP Singh Reaction On Resignation) ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मैं अब वापस आ गया हूं. जब पत्रकारों ने उनसे पूछा कि वह नई पार्टी बनाएंगे? इसका जवाब देते हुए सिंह ने कहा कि मैं सीधा आदमी हूं और सीधा चलता हूं. फिलहाल मैं अपने गांव जा रहा हूं, वहां रहूंगा. उसके बाद प्रदेश के तमाम कार्यकर्ताओं के साथ मैं बैठक करूंगा. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अपने परिश्रम और मेहनत से यहां तक पहुंचा हूं.
पहले भी सिंह ने नीतीश के खिलाफ दिया था बयान: ऐसा नहीं है कल पहली बार आरसीपी सिंह ने इस तरह का बयान दिया. इससे पहले 26 जून कोजमुई उन्होंने कहा कि मैं किसी के हनुमान नहीं, मैं रामचंद्र हूं. उन्होंने ऐसा तब कहा जब उनकी तुलना चिराग पासवान (LJPR President Chirag Paswan) के उस बयान से की गई, जिसमें चिराग ने खुद को पीएम मोदी का हनुमान बताया था. पत्रकारों ने जब आरसीपी सिंह से कहा कि आप तो जदयू के आधार माने जाते रहे हैं. जिस पर उन्होंने साफ कह दिया कि मैं तो नहीं जानता, मैं किसी संगठन का आधार नहीं. मैं सिर्फ सिंपल आदमी हूं. सीएम नीतीश कुमार से बेरुखी को लेकर भी उनसे सवाल किया गया. इस पर उन्होंने कहा कि आप जानते होंगे, मैं तो नहीं जानता.
आरसीपी सिंह की राजनीति को लेकर सस्पेंस:आपको बता दें कि जेडीयू में आरसीपी सिंह को लेकर विरोधाभास है. पार्टी के तमाम शीर्ष नेता उनसे नाराज चल रहे हैं. हालांकि उनके अपने गुट के समर्थक आज भी उनके साथ हैं, वहीं ललन गुट के नेता और कार्यकर्ता उनपर लगातार निशाना साध रहे हैं. चाहे वो खुद ललन सिंह हों या जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा दोनों ही आरसीपी सिंह पर लगातार हमलावर रहते हैं. वहीं, आरसीपी भी राज्यसभा नहीं भेजे जाने से पार्टी से नाराज दिख रहे हैं. दरअसल, आरसीपी सिंह का राज्यसभा में बतौर सांसद कार्यकाल 7 जुलाई को खत्म हो गया है. बिना सांसद रहे कोई भी व्यक्ति अधिक से अधिक 6 महीने तक ही मंत्री रह सकता है. जेडीयू ने उन्हें राज्यसभा सांसद नहीं बनाया और खीरू महतो को जेडीयू ने राज्यसभा पहुंचाया है. केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के बाद अब आरसीपी सिंह पार्टी में किस भूमिका में होंगे इस पर पार्टी के वरिष्ठ नेता भी खुलकर बोलने से बच रहे हैं.