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Patna News: झोपड़पट्टी में आग के कारण कई मवेशी झुलसे, 5 दिन बाद भी प्रशासनिक मदद नहीं मिलने से पशुपालक नाराज

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Published : Apr 10, 2023, 12:46 PM IST

Updated : Apr 10, 2023, 1:04 PM IST

राजधानी पटना के शास्त्री नगर में झोपड़पट्टी में आग लगने से कई मवेशियों की मौत और घायल होने के बाद एक सामाजिक संगठन ने पशुओं की देखरेख शुरू कर दी है. वार्ड पार्षद से जानवरों को रखने के लिए काम एक आंगनबाड़ी केंद्र के बंद पड़े मकान में रखने के लिए निर्देश लिया. पढ़ें पूरी खबर...

पटना में पशुओं का रखा जा रहा ख्याल
पटना में पशुओं का रखा जा रहा ख्याल

शास्त्रीनगर में पशुओं का रखा जा रहा ख्याल

पटना: राजधानी पटना के शास्त्री नगर झोपड़पट्टी में 6 अप्रैल को अगलगी घटना हुई. इस घटना में कुछ पशु जलकर मर गए तो कुछ पशु बुरी तरह जख्मी हुए हैं. कई दुधारू गाय भैंस जख्मी हालत में है. घटना के दिन जिला प्रशासन की ओर से पटना डीएम ने कहा था कि पशु चिकित्सकों की टीम आएगी और जो जख्मी पशु है उनका इलाज होगा. घटना के दिन देर रात कुछ पशु चिकित्सक पहुंचे लेकिन उसके बाद दोबारा कभी पशुओं की देखरेख करने नहीं पहुंचे और इस बात को लेकर पशुपालकों में नाराजगी है. हालांकि पशुओं के लिए काम करने वाले कुछ संगठन पशुओं की केयरिंग कर रहे हैं. इनके कार्यों से पशुपालक संतुष्ट भी हैं.

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अगलगी में कई मवेशी जख्मी: पशुपालक गोविंद राय ने बताया कि अगलगी की घटना में जिन लोगों के मवेशी थे. कई मवेशी जख्मी हुए और कुछ मर भी गए. उनकी दो पशु हैं और इस अगलगी में दोनों जख्मी हो गए. उन्होंने बताया कि अगलगी की घटना को बुझाने के लिए जिस प्रकार दमकल की गाड़ी ने पानी का इस्तेमाल किया. उसके बाद काफी कीचड़ बन गया था. कई जगहों पर जानवरों को रखने की समस्या होती थी. इसी झोपड़पट्टी के पीछे एक आंगनबाड़ी केंद्र भी बनाया गया है. जो लगभग 2 वर्षों से बंद कर ताला जड़ा हुआ था.

आंगनबाड़ी में रखे गए मवेशी: स्थानीय वार्ड पार्षद से अनुरोध कर जानवरों को रखने के लिए व्यवस्था करने की मांग की. तब जाकर वार्ड पार्षद ने अपनी मौजूदगी में उस ताले को तुड़वाकर साफ सफाई करने के बाद सभी मवेशियों को आंगनबाड़ी के विभिन्न कमरों में बांधी गई. इन जानवरों का इलाज भी किया जा रहा है. अभी तक सरकार की ओर से कोई भी चिकित्सक नहीं पहुंचे हैं. जबकि कुछ सामाजिक संगठन के लोग हैं, जो आकर पशुओं के जख्मों की ड्रेसिंग कर रहे हैं. वे लोग ही सुई दवाई भी दे रहे हैं.

जिला प्रशासन से कोई मदद नहीं: टीम के लोगों ने कहा कि प्रशासन ने इन मवेशियों के लिए जो वादा किया था उसी तरीके से मदद मिलनी चाहिए थी लेकिन अभी तक नहीं मिली. पशुपालक बिंदेश्वरी कुमार ने बताया कि घटना के दिन देर रात 2 पशु चिकित्सक पहुंचे थे. वेटनरी कॉलेज से लेकर तीन-चार दिन हो गए. घटना को लेकर कोई भी चिकित्सक नहीं पहुंचे हैं. कुछ एनजीओ के जो लोग हैं, उनके पशुओं की सुई दवाई कर रहे हैं. इन लोगों के इलाज से पशुओं के सेहत में सुधार हो रहा है. जख्मी होने की वजह से सभी दुधारू पशुएं भूसा, कुट्टी इत्यादि नहीं खा पा रही है. ऐसे में फल के टुकड़े काटकर खिलाए जा रहे हैं. जानवर अधिक फल भी नहीं खा पा रहे हैं. जबकि धीरे-धीरे जख्म में सुधार नजर आ रहा है.
पढ़ाई के साथ मवेशियों की सेवा करता युवक: पशुओं की केयरिंग कर रहे युवक अभिषेक कुमार ने बताया कि वह एनडीए की तैयारी करते हैं. पशुओं से उन्हें लगाव है. इसलिए पशुओं के लिए काम करने वाली एक संगठन अपना फाउंडेशन से जुड़े हुए हैं. इसी के तहत वह लोग 6 लोगों की टीम है. जो इस घटना के बाद से 6 अप्रैल को रात 9 बजे से यहां पहुंच कर पशुओं की केयरिंग कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि 6 अप्रैल की शाम उन लोगों ने पशुओं का इलाज शुरू नहीं किया. जितने भी जख्म थे. उसका ड्रेसिंग किया और अगले दिन से सुई दवाई इलाज की व्यवस्था शुरू की.

"पशुओं से काफी लगाव है. इसलिए पशुओं के लिए काम करने वाली एक संगठन अपना फाउंडेशन से जुड़े हुए हैं. इसी के तहत वह लोग 6 लोगों की टीम है. जो इस घटना के बाद से 6 अप्रैल को रात 9 बजे से यहां पहुंच कर पशुओं की केयरिंग कर रहे हैं".- अभिषेक कुमार, एनडीए छात्र

दूसरी बार नहीं आए चिकित्सक: उन्होंने कहा कि 6 अप्रैल को शाम में वेटरनरी कॉलेज के कुछ जूनियर डॉक्टर पहुंचकर पशुओं को देखे. उसके बाद कोई भी चिकित्सक इन पशुओं की सुध लेने नहीं पहुंचा. इसी वजह से यहां पर पशुओं की केयरिंग कर रही है. ये पशु अभी भूसा कुट्टी नहीं खा पा रहे हैं. इसलिए तरबूज काटकर टुकड़े में खिलाया जा रहा है. यहां सभी दुधारू पशु हैं. जो 5 से 8 लीटर तक एक टाइम में दूध देती थी. जबकि जख्मी होने की वजह से कुछ खा पी नहीं रहे हैं. ये सभी जानवर मुश्किल से एक लीटर तक दूध निकाल पा रहे हैं. अभी काफी एंटीबायोटिक चल रहे हैं. इसलिए उन लोगों ने पशुपालकों से अनुरोध किया है कि दूध बेचे नहीं. इस दूध का इस्तेमाल ना करें और पशुपालक भी ऐसा ही कर रहे हैं.


Last Updated :Apr 10, 2023, 1:04 PM IST

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