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उदीयमान सूर्य के अर्घ्य के साथ छठपूजा का समापन, व्रतियों ने सुख-शांति और समृद्धि की कामना

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Published : Nov 11, 2021, 5:10 PM IST

चार दिनों तक चलने वाले लोक आस्था का महापर्व छठपूजा ( Chhath Puja 2021 ) का उदीयमान सूर्य के अर्घ्य के साथ समापन हो गया. छठव्रतियों ने तप कर भगवान भास्कर की आराधना की और सभी के सुख और समृद्धि की कामना की.

उदीयमान सूर्य के अर्घ्य के साथ छठपूजा का समापन
उदीयमान सूर्य के अर्घ्य के साथ छठपूजा का समापन

पटना:चार दिनों तक चलने वाले लोक आस्था के महापर्वछठपूजा (Chhath Puja 2021 ) के अंतिम दिन भगवान भाष्कर की पूजा अर्चना की गई. छठ व्रतियों ने गंगा में तप कर भगवान भाष्कर की आराधना ( Worship of Lord Bhaskar ) की और उदीयमान सूर्य को अर्घ्य (Arghya of rising sun) दिया. छठ व्रतियों ने छठी मईया की आराधना के साथ निर्जला व्रत को पूरा किया. इसके साथ ही सभी के सुख-शांति और समृद्धि की कामना की.

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शास्त्रों के अनुसार, छठ देवी भगवान ब्रह्माजी की मानस पुत्री और सूर्य देव की बहन हैं, उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए इस पर्व को मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. ब्रह्मवैवर्त पुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि ब्रह्माजी ने सृष्टि रचने के लिए स्वयं को दो भागों में बांट दिया, जिसमें दाहिने भाग में पुरुष और बाएं भाग में प्रकृति का रूप सामने आया.

सृष्टि की अधिष्ठात्री प्रकृति देवी ने अपने आप को छह भागों में विभाजित किया. इनके छठे अंश को सर्वश्रेष्ठ मातृ देवी या देवसेना के रूप में जाना जाता है. प्रकृति का छठा अंश होने के कारण इनका एक नाम षष्ठी है, जिसे छठी मईया के नाम से सभी जानते हैं. शिशु के जन्म के छठे दिन भी इन्हीं की पूजा की जाती है. इनकी उपासना करने से बच्चे को स्वास्थ्य, सफलता और दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है. पुराणों में इन्हीं देवी का नाम कात्यायनी बताया गया है, जिनकी नवरात्रि की षष्ठी तिथि को पूजा की जाती है.

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