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बोचहां विधानसभा उपचुनाव: नामांकन के लिए प्रशासन करता रहा इंतजार, लेकिन नहीं पहुंचा कोई प्रत्याशी

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Published : Mar 17, 2022, 4:37 PM IST

Nomination For Bochaha Assembly By Election

मुजफ्फरपुर के बोचहां विधानसभा सीट (Nomination For Bochaha Assembly By Election) पर होने वाले उपचुनाव को लेकर नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गई है. लेकिन किसी भी पार्टी के प्रत्याशी ने नोमिनेशन फाइल नहीं किया. एनडीए के साथ ही आरजेडी में भी उम्मीदवारों के नामों पर घमासान मचा है. पढ़िए पूरी खबर..

मुजफ्फरपुर:बोचहां विधानसभा उपचुनाव (Bochaha Assembly Seat of Muzaffarpur) की नामांकन प्रक्रिया गुरुवार से शुरू हो गई है. लेकिन किसी भी राजनीतिक पार्टी या दल द्वारा अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की गई है कि आखिर इस सीट पर कौन-कौन सी पार्टी के उम्मीदवार चुनाव मैदान में भाग लेंगे. एनडीए में घमासान (VIP And BJP Face To Face On Bochaha By Election) है, जिसमें भाजपा और वीआईपी पार्टी में तकरार (BJP Attack On Mukesh Sahni ) चल रहा है. वहीं राजद में भी कई दावेदार हैं जो अपने-अपने तरीके से दावेदारी पेश कर रहे हैं. दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी या अन्य राजनीतिक दल चुप्पी साधे हुए है.

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उम्मीदवारों के नाम पर संशय: ऐसे में संशय बरकरार है कि किस दल से कौन से उम्मीदवार इस उपचुनाव में अपना भाग्य आजमाएंगे. आपको बता दें कि बीजेपी के कई नेताओं ने यह साफ कहा है कि इस सीट पर बीजेपी अपना कैंडिडेट उतारेगी. वहीं वर्तमान में एनडीए गठबंधन के वीआईपी पार्टी के खाते में यह सीट थी. वह भी अपने तरीके से दावेदारी कर रही है. वीआईपी पार्टी के विधायक मुसाफिर पासवान के निधन के बाद बोचहां विधानसभा सीट खाली हुई है. पारंपरिक सीट होने के चलते बीजेपी भी बोचहां सीट पर दावा कर रही है.

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आमने-सामने बीजेपी और वीआईपी: हाल ही में जदयू के नेता अशोक चौधरी मुजफ्फरपुर आए थे. उस समय मीडिया कर्मियों द्वारा यह पूछा गया कि इस उपचुनाव में एनडीए समर्थित कौन सी पार्टी अपने उम्मीदवार को मैदान में लाएगी क्योंकि बीजेपी और वीआईपी में तकरार जारी है. इस पर जवाब देते हुए अशोक चौधरी ने कहा था कि एनडीए के गठबंधन में चार पार्टी है. जिसमें जदयू के द्वारा हम पार्टी को जगह दिया गया था. बीजेपी के द्वारा वीआईपी पार्टी को सीटें दी गई थी. अब वही दोनों आपस में डिसाइड करेंगे कि दोनों में से कौन सी पार्टी चुनाव मैदान में होगी.

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NDA में घमासान:अशोक चौधरी ने कहा था कि एनडीए समर्थित जो भी पार्टी रहेंगे उनके समर्थन में एनडीए के सभी साथी प्रचार प्रसार करेंगे. ऐसे में यह कहना जल्दबाजी होगा कि एनडीए में जारी घमासान के बीच कौन से उम्मीदवार को मैदान में उतारा जाएगा या फिर बीजेपी अपने स्टैंड पर कायम रहेगी और वीआईपी को एनडीए से बाहर का रास्ता दिखा देगी. यूपी में हुए विधानसभा चुनाव में जब से वीआईपी पार्टी ने एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ा था, तब से एनडीए के प्रमुख घटक दल बीजेपी और वीआईपी में तकरार बढ़ी है.

बोचहां सीट पर वीआईपी का दावा:वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी लगातार यह कह रहे हैं कि सभी चार पार्टी को मिलाकर एनडीए की सरकार बिहार में चल रही है. जिसका हिस्सा हमारी पार्टी भी है और इस सीट से हमारे पार्टी के विधायक ने चुनाव जीता था. प्राथमिकता के आधार पर गठबंधन धर्म के अनुसार यह सीट हमारा ही है. लेकिन बीजेपी के तरफ से भी लगातार इलाके में प्रचार प्रसार किया जा रहा है और उम्मीदवारी की दावेदारी भी की गई है.

12 अप्रैल को मतदान:दरअसल मुजफ्फरपुर के बोचहां विधानसभा सीट पर 12 अप्रैल को वोटिंग होगी. 16 को चुनाव परिणाम आएंगे. इस सीट पर विकासशील इंसान पार्टी यानी वीआईपी के विधायक मुसाफिर पासवान थे. जिनका लम्बी बीमारी के कारण नवंबर 2021 में निधन हुआ था. सीट पर नीतीश सरकार में मंत्री मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी का कब्जा था. वहीं बदली परिस्थितियों में अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि बोचहां विधानसभा से एनडीए की ओर से किस दल के उम्मीदवार होंगे.

नामांकन की प्रक्रिया शुरू:इस सीट से प्रत्याशियों के लिए नामांकन करने की अंतिम तिथि 24 मार्च निर्धारित की गई है. नामांकन पत्रों की जांच 25 मार्च को होगी, जबकि प्रत्याशी अपना नाम वापस 28 मार्च तक ले सकेंगे. पूरे मामले पर पूछे जाने पर डीएम प्रणब कुमार ने कहा कि अब तक किसी भी दल, पार्टी या फिर निर्दलीय उम्मीदवार ने नामांकन पत्र नहीं भरा है. प्रशासन की तरफ से तैयारी पूरी है. निर्धारित गाइडलाइन और समय सीमा के अंदर निष्पक्ष मतदान कराया जाएगा.

मुसाफिर पासवान के निधन से खाली हुई थी सीट:जानकारी दें कि बोचहां विधानसभा क्षेत्र के विधायक मुसाफिर पासवान का निधन 24 नवंबर को हो गया था. नई दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. वे कई महीनों से बीमार चल रहे थे. बोचहां विधानसभा का उन्होंने दो बार प्रतिनिधित्व किया था. वीआईपी से अब उनके बेटे काे उतारे जाने की चर्चा है. जबकि भाजपा ने अभी पत्ता नहीं खाेला है, लेकिन दावेदारी पर चर्चा के लिए पार्टी जिलाध्यक्ष ने बैठक बुलाकर वीआईपी को सीट दिये जाने का विरोध किया है.

2005 में आरजेडी से बने थे विजेताः आपको बताएं कि मुसाफिर पासवान का सभी दलों के नेताओं से बेहतर संबंध था. इसी कारण एनडीए के साथ गठबंधन कर पिछले विधानसभा चुनाव में मैदान में उतरे मुकेश सहनी के लिए वो बोचहां सीट पर पहली पसंद बने थे. उन्होंने आरजेडी के कद्दावर नेता रमई राम को 11,268 वोटों के मार्जिन से हराया था. इससे पहले मुसाफिर साल 2005 में आरजेडी के टिकट पर यहां से चुनाव जीते थे.

रमई राम का गढ़:बोचहां रमई राम का क्षेत्र रहा है. पूर्व मंत्री रह चुके रमई राम बिहार के बड़े नेताओं में से एक हैं. वे बोचहां से नौ बार विधायक और पांच दफा मंत्री रह चुके हैं. रमई राम बोचहां से तीन बार आरजेडी, एक बार जेडीयू, दो बार जनता दल और तीन बार अन्य दलों से विधायक चुने जा चुके हैं. वे वर्ष 1990 से 2015 तक बिहार सरकार में मंत्री रहे हैं. इसलिए बोचहां को रमई का गढ़ कहा जाता है, लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी बेबी कुमारी ने उन्हें पराजित किया था. विधायक बनने के बाद बेबी कुमारी BJP में शामिल हो गई थीं. 2020 में यह सीट एनडीए के नए साथी मुकेश सहनी की वीआईपी के हिस्से चली गई थी और सहनी ने पासवान को उम्मीदवार बनाया था.

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