मधुबनी में नाबालिग के अपहरण के मामले में पॉक्सो एक्ट नहीं लगाना पुलिस पदाधिकारियों के भारी पड़ गया. इस मामले में एडीजे अविनाश कुमार प्रथम की कोर्ट ने एसपी, डीएसपी और भेजा थानाध्यक्ष को न्यायालय में उपस्थिति होने का आदेश दिया है.
मधुबनी:बिहार के मधुबनी जिला अन्तर्गत भेजा थाना क्षेत्र में पिछले साल अक्टूबर माह में नाबालिग के अपहरण (Kidnapping of Minor) के मामले में आरोपियों पर पॉक्सो एक्ट ( Pocso Act ) नहीं लगाना पुलिस महकमे के पड़ रहा है. इस मामले में एडीजे अविनाश कुमार प्रथम की कोर्ट ने एसपी, डीएसपी और भेजा थानाध्यक्ष को 29 सितंबर 2021 को कोर्ट में सशरीर उपस्थित होने का आदेश दिया है.
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बता दें कि भेजा थाना क्षेत्र के रहने वाले पीड़ित ने अपनी नाबालिग पुत्री के अपहरण करने का मामला पिछले वर्ष अक्टूबर माह में दर्ज कराया था. जिसमें वादी ने अपने ही गांव के रहने गंगाराम सदाय और कैलाश सदाय को आरोपित किया था. प्राथमिकी दर्ज करने के लिए दिये गये आवेदन में नाबालिग के पिता ने बताया था कि 7 अक्टूबर 2020 को वह अपनी बीमार पत्नी को इलाज कराने के लिए दरभंगा गया था. जब वह घर वापस आया तो उसकी पुत्री का अपहरण कर लिया गया था. आरोपित गंगाराम सदाय 09 जनवरी 2021 से जेल में है. जिसकी जमानत के लिए कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई थी.
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जमानत अर्जी पर दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद एडीजे कोर्ट ने भेजा थानाध्यक्ष को अपहृता का जन्म प्रमाण-पत्र एवं सर्टीफिकेट को जमा करने का आदेश दिया था. किन्तु थानाध्यक्ष के द्वारा कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया गया. न्यायालय के आदेश की अवहेलना करने पर भेजा थानाध्यक्ष को शोकॉज भी किया गया था. एडीजे कोर्ट ने इस मामले में अपहृता को नाबालिग मानते हुए पॉक्सो एक्ट लगाना आवश्यक माना है. कोर्ट ने पूछा कि आवश्यक होते हुए भी पॉक्सो एक्ट क्यों नहीं लगाया गया. इसलिए तीनों पुलिस अधिकारियों एसपी डॉ. सत्यप्रकाश, डीएसपी आशीष आनंद एवं भेजा थानाध्यक्ष मनोज कुमार को कोर्ट में सशरी उपस्थित हो कर जवाब देने का आदेश दिया.