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गयाजी में भारी बारिश के बीच पिंडदान, पिंडदानियों ने कहा- पितरों के लिए सहन कर सकते हैं हर कष्ट

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Published : Sep 30, 2021, 8:21 PM IST

पितृपक्ष के दसवें दिन गयाजी में बालू का पिंडदान (Pind Daan) करने का महत्व होता है. लिहाजा गुरुवार को बड़ी संख्या में लोगों ने अपने पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए पिंडदान किया. हालांकि इस दौरान वहां तेज बारिश हो रही थी, इसके बावजूद लोग पॉलिथीन ओढ़कर पिंडदान करते दिखे.

गयाजी
गयाजी

गया:बिहार की धार्मिक नगरी गया जी में पितृपक्ष के दौरान हर दिन हजारों पिंडदानी पहुंच रहे हैं. गुरुवार को भी गया (Gaya) में सुबह से ही मूसलाधार बारिश के बीच बड़ी संख्या में पिंडदानियों ने बारिश में भींग कर अपने पितरों की मोक्ष की प्राप्ति के लिए पिंडदान (Pind Daan) किया. पिंडदानी ने कहा कि पितरों के मोक्ष लिए वे लोग सभी कष्ट सह सकते हैं.

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दरअसल मोक्षधाम से पूरे विश्व में गया जी प्रसिद्ध है. खास करके पितृपक्ष के दौरान गया में हजारों पिंडदानी पिंडदान करने आते है. आज पितृपक्ष के दसवें दिन बालू का पिंडदान करने का महत्व है. आज फल्गु नदी में मूसलाधार बारिश के बीच पिंडदानी पिंडदान कर रहे थे. पिंडदानी बारिश बचने के लिए पॉलीथिन का उपयोग कर रहे थे, आधी फल्गु नदी में पानी और आधी फल्गु नदी में पॉलीथिन ओढ़कर पिंडदान कर रहे थे. यह नजारा किसी झील का तट का लग रहा था.

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मध्य प्रदेश से आए पिंडदानी दुर्गा प्रसाद ने बताया कि आज सुबह से ही हम लोग पिंडदान के विधि विधान को कर रहे हैं. सुबह से ही हम सभी भींगे हुए हैं. यहां व्यवस्था के नाम पर कुछ नहीं है. हम लोग खुद पॉलिथीन ओढ़कर पिंडदान कर रहे हैं.

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वहीं मध्य प्रदेश से आये पिंडदानी श्रीराम कुशवाहा ने बताया कि गयाजी में हम लोग अपने पितरों के मोक्ष प्राप्ति के लिए आए हैं. इस दौरान हमें जितना भी कष्ट होगा, हम उसे सहकर पितरों के मोक्ष प्राप्ति के लिए हर कर्मकांड को सही तरीके से करेंगे. सुबह से हम लोग फल्गु नदी में पिंडदान कर रहे थे, लेकिन बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी. आखिरकार पॉलीथिन का सहारा लेकर पिंडदान का विधि विधान शुरू किया, लेकिन तेज हवा में वो भी नही टिका और हम सभी दस लोगों ने भींगकर पिंडदान किया. आपको बताएं कि पितृपक्ष के दसवें दिन गयाजी में बालू का पिंडदान करने का महत्व होता है. आज के दिन पुत्रवधू पिंडदान करती हैं. यह परंपरा माता सीता ने शुरू किया था.

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