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महाकालेश्वर मंदिर में शिव नवरात्रि का सातवां दिन, भगवान महाकाल ने दिये उमा-महेश स्वरूप में दर्शन

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Mar 6, 2024, 10:42 PM IST

Ujjain Mahakal Mandir 7th Day : महाकालेश्वर मंदिर में 9 दिनों तक चलने वाली शिव नवरात्रि के सातवें दिन बाबा महाकाल ने उमा-महेश स्वरूप में भक्तों को दर्शन दिए. बाबा महाकाल का गहरे गुलाबी रंग के वस्त्रों के साथ मनमोहक और आकर्षक श्रृंगार हुआ.

Shivnavratri 7th Day
भगवान महाकाल ने दिये उमा-महेश स्वरूप में दर्शन

महाकालेश्वर मंदिर में शिव नवरात्रि का सातवां दिन

उज्जैन।महाशिवरात्रि महापर्व के पहले श्री महाकालेश्वर मंदिर में चल रहे शिव नवरात्रि महोत्सव के दौरान भगवान श्री महाकालेश्वर अपने भक्तों को अलग-अलग स्वरूपों में दर्शन दे रहे हैं. शिव नवरात्रि के आज सातवें दिन शाम की पूजन के बाद महाकालेश्वर एवं मां भगवती पार्वती ने सभी भक्तों को अपने श्री उमा-महेश स्वरूप में दर्शन दिए. मान्यता है कि परम पिता परमेश्वर शिव और जगदम्बा माता श्री पार्वती के श्री उमामहेश स्वरुप के दर्शन करने से सभी भक्तों को मनवांछित फल प्राप्त होता है और उनकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं. भगवान शिव त्याग, तपस्या, वात्सल्य तथा करुणा की मूर्ति हैं जो सहज ही प्रसन्न हो जाते है एवं मनोवांछित फल देते हैं.

भगवान महाकाल ने दिये उमा-महेश स्वरूप में दर्शन

उमा-महेश स्वरूप में दिए दर्शन

महाकाल मंदिर में बुधवार फाल्गुन कृष्ण एकादशी के शुभ दिन भगवान श्री महाकालेश्वर भगवान ने उमा-महेश स्वरुप में दर्शन दिए. महाकालेश्वर मंदिर का प्रांगण जय श्री महाकाल के जयकारों से गूंज उठा. सुबह महाकालेश्वर मंदिर के नेवैद्य कक्ष में भगवान श्री चन्द्रमौलीश्वर का पूजन किया गया. कोटितीर्थ कुण्ड के पास स्थापित श्री कोटेश्वर महादेव के पूजन के बाद मुख्य पुजारी पं. घनश्याम शर्मा के आचार्यत्व में 11 ब्राह्मणों ने श्री महाकालेश्वर भगवान का अभिषेक एकादश-एकादशनी रूद्रपाठ से किया. इसके बाद शाम को बाबा श्री महाकाल को गहरे गुलाबी रंग के वस्त्र धारण करवाये गये, साथ ही भगवान श्री महाकालेश्वर के श्री उमा-महेश स्वरूप का श्रृंगार कर बाबा को मुकुट, मुण्ड माला एवं फलों की माला धारण करायी गई. गुरुवार यानि 7 मार्च को भगवान श्री महाकालेश्वर शिव तांडव के रूप में दर्शन देंगे.

महाकाल मंदिर प्रांगण में नारदीय कीर्तन

देवर्षि नारदजी खड़े होकर करतल ध्वनि और वीणा के साथ हरि नाम कीर्तन करते हैं, इसलिए कीर्तन की इस पद्धति को नारदीय कीर्तन कहा जाता है. महाकालेश्वर मंदिर में यह परंपरा विगत 115 वर्षों से भी अधिक समय से चली आ रही है. श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा कथारत्न हरि भक्त परायण पं. रमेश कानडकर के शिव कथा व हरि कीर्तन का आयोजन शाम 04:30 से 06 बजे तक मन्दिर परिसर मे नवग्रह मन्दिर के पास चल रहा है.

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महाकाल इन रूपों में दे रहे दर्शन

• 29 फरवरी : चंदन, भांग श्रृंगार
• 1 मार्च : शेषनाग श्रृंगार
• 2 मार्च : घटाटोप श्रृंगार
• 3 मार्च: छबीना श्रृंगार
• 4 मार्च: होलकर श्रृंगार
• 5 मार्च : मनमहेश श्रृंगार
• 6 मार्च: उमा महेश श्रृंगार
• 7 मार्च: शिव तांडव श्रृंगार
• 8 मार्च : सप्तधान का मुखौटा

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