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टिहरी स्वाभिमान रैली में उमड़ा जनसैलाब, मूल निवास-भू कानून की मांग को लेकर हल्ला बोल

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 11, 2024, 3:46 PM IST

Updated : Feb 11, 2024, 4:52 PM IST

Mool Niwas Swabhiman Rally in Tehri टिहरी में मूल निवास और मजबूत भू कानून लागू करवाने की मांग लेकर स्वाभिमान रैली निकाली गई. जिसमें सैकड़ों लोग शामिल हुए. वहीं, मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के सदस्य मोहित डिमरी ने आंदोलन को और तेज करने की बात कही.

Mool Niwas Swabhiman Rally Tehri
मूलनिवास स्वाभिमान रैली टिहरी

टिहरी स्वाभिमान रैली में उमड़ा जनसैलाब

टिहरी:उत्तराखंड में मजबूत भू कानून और मूल निवास 1950 लागू करने की मांग को लेकर लोग लगातार सड़कों पर उतर रहे हैं. पहले 24 दिसंबर को देहरादून में 'मूल निवास स्वाभिमान महारैली' निकाली गई. इसके बाद 28 जनवरी को हल्द्वानी में लोग गरजे. वहीं, आज यानी 11 फरवरी को टिहरी में लोगों का हुजूम उमड़ा. जहां कई सामाजिक संगठनों से जुड़े लोग जमा हुए और एक सुर में मूल निवास और भू कानून लागू करने की मांग उठाई.

टिहरी के सुमन पार्क से मूल निवास स्वाभिमान रैली निकाली गई. जिसमें प्रदेश भर से आए लोगों ने हिस्सा लिया. क्या महिला, क्या पुरुष क्या बच्चे और बुजुर्ग. सभी ने हिस्सा लेते हुए उत्तराखंड की अस्मिता, संसाधन, संस्कृति को बचाने के लिए भू कानून और मूल निवास लागू करने की मांग उठाई. मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के सदस्य मोहित डिमरी और देवेंद्र नौडियाल मोनू ने कहा है कि मूल निवास स्वाभिमान आंदोलन अब उत्तराखंड राज्य आंदोलन की तर्ज पर आगे बढ़ रहा है. जो देहरादून, हल्द्वानी से अब टिहरी पहुंच गया है.

सड़कों पर उतरे लोग

मोहित डिमरी ने कहा कि टिहरी क्रांतिकारियों की धरती है. श्रीदेव सुमन की इस धरती से अब दोबारे मूल निवासियों के अधिकारों को लेकर आंदोलन का बिगुल बजेगा, जो पूरे उत्तराखंड के कोने-कोने तक पहुंचेगा. उत्तराखंड में मूल निवासियों के अधिकारों पर हो रहा कुठाराघात बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. अब उत्तराखंड की जनता अपने अधिकारों को लेकर एकजुट हो रही है.

राज्य आंदोलन से ही उत्तराखंड के जल, जंगल, जमीनों पर मूल निवासियों के अधिकारों की बात होती थी, लेकिन दुर्भाग्य है कि राज्य बनने के 23 साल बाद भी उत्तराखंड का मूल निवासी अपने ही राज्य में दूसरे दर्जे का नागरिक बनकर रह गया. उन्होंने कहा कि देहरादून, हल्द्वानी, भिकियासैंण, बागेश्वर में हुए विशाल प्रदर्शन से साबित हो चुका है कि उत्तराखंड का मूल निवासी अपने अधिकारों को लेकर कितना सजग हो चुका है.

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Last Updated : Feb 11, 2024, 4:52 PM IST

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