रांची: गोड्डा के भाजपा सांसद निशिकांत दुबे अपने बयान और राजनीतिक कटाक्ष की वजह से अक्सर चर्चा में रहते हैं. मई 2022 में सीनियर आईएएस पूजा सिंघल के ठिकानों पर ईडी की छापेमारी के बाद से उन्होंने सोशल मीडिया पर कई ऐसी बातें साझा की हैं, जो सच साबित हुई है. इस बार उन्होंने कह दिया है कि अगले सात दिन झारखंड सरकार के लिए कष्टकर साबित होंगे.
बाबा मंदिर में पूजा के बाद उन्होंने एएनआई को एक बयान दिया है. कहा है कि बाबा मंदिर का सरकारीकरण हो गया है. खुद मुख्यमंत्री इस मंदिर ट्रस्ट के चेयरमैन हैं. मैं भी ट्रस्टी हूं. एसडीओ इस ट्रस्ट के प्रभारी है. लिहाजा, मैंने एसडीओ को फोन करके कहा कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर मंदिर को सजाना चाहिए. लेकिन मंदिर नहीं सजाया गया.
दोबारा मैंने एसडीओ से कहा कि अगर आप नहीं सजा सकते हैं तो मुझे कहें. अभी कोलकाता से फूल तो नहीं आ सकता लेकिन लाइट्स लगाए जा सकते हैं. इसके बावजूद कुछ नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि बाबा मंदिर के नाम पर जो भी राजनीति करते हैं, उनका सर्वनाश निश्चित है. सांसद निशिकांत दुबे ने दावे के साथ कहा कि अगला सात दिन इस झारखंड सरकार के लिए कष्टकर है.
अब सवाल है कि बाबा मंदिर के नहीं सजाए जाने पर सांसद का नाराज होना, उनका व्यक्तिगत मसला हो सकता है. लेकिन यह कहकर उन्होंने फिर कयासों का बाजार गर्म कर दिया है कि अगला सात दिन इस सरकार के लिए कष्टकर होंगे. उनके इस कथन के पीछे की वजह को समझना कोई मुश्किल बात नहीं है. क्योंकि लैंड स्कैम मामले में ईडी की टीम 20 जनवरी को सीएम हेमंत सोरेन से उनके आवास पर पूछताछ कर चुकी है. इस पूछताछ के कुछ घंटे बाद ही ईडी की ओर से सीएम को दोबारा पत्र भेजकर 27 से 31 जनवरी के बीच फिर पूछताछ के लिए समय मांगा गया है. हालांकि अभी तक सीएम की ओर से समय नहीं दिया गया है. लेकिन 20 जनवरी को ईडी की पूछताछ के बाद झामुमो समर्थकों को संबोधित करते हुए सीएम ने संभावना जता दी थी कि अभी राजनीतिक चुनौतियां खत्म नहीं हुई हैं.
इस मसले पर झामुमो के महासचिव सुप्रीयो भट्टाचार्य ने कहा कि निशिकांत जी से पूछा जाना चाहिए कि उनकी भविष्यवाणी का आधार क्या है. यदि उनके पास भविष्यवाणी है फिर कहीं से तो कोई सूचना लीक हो रही है. जांच के विषय का लीक होना तो गंदी बात है. खास बात है कि कई मौके पर ईडी की कार्रवाई की सूचना सांसद निशिकांत दुबे की ओर से सोशल मीडिया पर मिलती रही है. कई सूचनाएं सच साबित हुई हैं तो कई गलत भी निकली हैं. हालाकि उनकी ओर से जारी सूचना के सवाल को प्रदेश भाजपा के नेता टालते रहे हैं. अब देखना है कि इस बार की उनकी सूचना कोई रंग दिखाती है या फिर शिगूफा बनकर रह जाती है.