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आखिरकार नहीं मिला एनडीए और इंडिया गठबंधन को झारखंड में कोई मुस्लिम उम्मीदवार! जानिए क्या है अल्पसंख्यक समाज के पास विकल्प - Lok Sabha Election 2024

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Apr 28, 2024, 4:32 PM IST

Muslim candidate in Jharkhand Lok Sabha Election. लोकसभा चुनाव में अल्पसंख्यक समाज हाथिए पर नजर आ रहा है. झारखंड की किसी लोकसभा सीट पर मुस्लिम समाज से एक भी प्रत्याशी नहीं दिया गया है, जबकि झारखंड में मुस्लिम समाज की आबादी 15 प्रतिशत है.

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Muslim Candidate In Jharkhand

जानकारी देते वरिष्ठ पत्रकार हेमचंद्र

गोड्डाः झारखंड की सभी 14 लोकसभा सीट पर एनडीए और इंडिया गठबंधन की ओर से उम्मीदवार घोषित कर दिए गए हैं, लेकिन अल्पसंख्यक अर्थात मुस्लिम उम्मीदवार को न तो एनडीए और न ही इंडिया गठबंधन की ओर से टिकट दिया गया है. झारखंड के संदर्भ में जब भी लोकसभा में मुस्लिम समाज के प्रतिनिधित्व की बात आती है तो सबकी नजरें गोड्डा लोकसभा पर अटक जाती हैं. वैसे भी झारखंड गठन के बाद एक मात्र सांसद मुस्लिम समाज से गोड्डा ने ही 2004 में फुरकान अंसारी रूप में दिया था.

झारखंड में कुल आबादी का 15 प्रतिशत हैं मुसलमान

इस संबंध में वरिष्ठ पत्रकार हेमचंद्र ने कहा कि झारखंड में आंकड़ों पर गौर करें तो राज्य की कुल आबादी का 15 प्रतिशत मुस्लिम हैं. वहीं लोकसभा की बात करें तो सर्वाधिक मुस्लिम आबादी राजमहल लोकसभा में हैं. राजमहल में मुसलमान करीब 33 प्रतिशत हैं, लेकिन राजमहल सीट एसटी के लिए सुरक्षित है. इसके बाद गोड्डा लोकसभा सीट है, जहां 21 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं.

गोड्डा लोकसभा से तीन बार मुस्लिम प्रत्याशी पहुंचे हैं संसद

अब गोड्डा लोकसभा की बात करें तो भाजपा ने सर्वाधिक 8 बार इस लोकसभा सीट से जीत दर्ज की है. वहीं दूसरे स्थान पर सर्वाधिक 6 बार कांग्रेस ने गोड्डा लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की है. जिसमें तीन बार मुस्लिम उम्मीदवार गोड्डा से कांग्रेस की टिकट पर लोकसभा पहुंचे हैं. जिनमें 1980 में मौलाना समीनुद्दीन, 1984 में मौलाना सलाऊदीन और 2004 में फुरकान अंसारी का नाम शामिल हैं.

इस वर्ष न तो एनडीए ने और न ही इंडिया ने दिया है मुस्लिम प्रत्याशी

वहीं वर्ष 2024 लोकसभा चुनाव की तिथि की घोषणा हो चुकी है. गोड्डा में 1 जून को चुनाव होना है. इस बार भी न तो इंडिया और न ही एनडीए की ओर से मुस्लिम उम्मीदवार के नाम की घोषणा की गई. हालांकि मुस्लिम समाज के लोगों के लिए उम्मीद की किरण फुरकान अंसारी थे. लेकिन इंडिया गठबंधन की ओर से पहले दीपिका पांडेय सिंह और फिर बदलकर प्रदीप यादव को गोड्डा से उम्मीदवार बना दिया गया.

फुरकान अंसारी ने 2004 में गोड्डा से दर्ज की थी जीत

बता दें कि फुरकान अंसारी ने 2004 के लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी. लेकिन 2002, 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में वे दूसरे स्थान पर रहे थे. बता दें कि 2019 का लोकसभा चुनाव झाविमो और कांग्रेस ने गठबंधन के तहत लड़ा था. जिसमें प्रदीप यादव झाविमो के तरफ से उम्मीदवार थे. वह दूसरे स्थान पर थे. मुस्लिम बहुल सीट को देखते हुए पिछली बार बसपा ने एक मुस्लिम उम्मीदवार जफर ओबेद को गोड्डा से उम्मीदवार के रूप में उतारा था. जफर ओबेद 17583 मत लाकर तीसरे स्थान पर रहे थे. इस संबंध में कांग्रेस नेता जितेंद्र झा कहते हैं कि मुस्लिम समाज सिर्फ वोटर बनकर ही नहीं रहे, बल्कि उन्हें प्रतिनिधित्व भी मिलना चाहिए. गोड्डा में उनकी दावेदारी जायज बनती थी.

गोड्डा में मुस्लिम वोटर बड़ा फैक्टर

गोड्डा में मुस्लिम वोटर बड़ा फैक्टर रहा है. कई बार तो दल इस इस उम्मीद में उम्मीदवार खड़े करते है कि ध्रुवीकरण के सहारे उनकी नैया पार लग जाएगी तो कई बार वोट कटवा की भूमिका में होते हैं और अपने चेहते को जीत दिलाने का काम करते हैं. इस संबंध में वरिष्ठ पत्रकार हेमचंद्र ने बताया कि गोड्डा लोकसभा सीट को मुस्लिम उम्मीदवार के लिए सेफ सीट में गिना जाता है, क्योंकि यहां तकरीबन चार लाख मुस्लिम मतदाता हैं. जो किसी भी पार्टी के लिए मायने रखता है. एक मुश्त वोट जीत-हार में निर्णायक साबित होता है, लेकिन अब स्थिति साफ है कि उन्हें फिलहाल वोट देना है.

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