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बीजेपी का गढ़ होशंगाबाद सीट, CM भी हार चुके हैं चुनाव, क्या दर्शन सिंह चौधरी बरकरार रखेंगे रिवायत

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Mar 8, 2024, 4:05 PM IST

Hoshangabad Lok Sabha Seat Profile: एमपी की होशंगाबाद लोकसभा सीट बीजेपी का गढ़ मानी जाती है. वैसे इस सीट को अब नर्मदापुरम के नाम से जाना जाता है. यहां की जनता का मिजाज बदलना आसान बात नहीं है. देखना होगा इस बार नर्मदापुरम की जनता अपना मन बदलती है. या सालों से चली आ रही रिवायत को ही जारी रखती है. पढ़िए नर्मदापुरम सीट प्रोफाइल

Hoshangabad Lok Sabha Seat Profile
होशंगाबाद लोकसभा सीट प्रोफाइल

नर्मदापुरम।मध्यप्रदेश की होशंगाबाद (नर्मदापुरम) लोकसभा सीट बीजेपी का मजबूत गढ़ मानी जाती है. इस लोकसभा में तीन जिलों नर्मदापुरम, रायसेन और नरसिंहपुर जिले की विधानसभा सीटों को कवर करती है. इस सीट के मतदाताओं ने सबसे पहले चोटी के विद्वान को चुनकर भेजा था. जिनकी विद्वता का पंडित जवाहरलाल नेहरू भी लोहा मानते थे. इस सीट से दो पूर्व मुख्यमंत्री भी चुनाव लड़ चुके हैं. इसमें से एक के हिस्से में हार आई तो एक को जीत मिली. इस बार बीजेपी ने ऐसे उम्मीदवार को चुनाव में उतारा है, जिन्होंने की सरपंच तक का चुनाव नहीं लड़ा, हालांकि वे क्षेत्र का परिचित चेहरा हैं.

होशंगाबाद सीट का इतिहास

मां नर्मदा के तट पर बसा होशंगाबाद 15वीं शताब्दी में मुगल शासक होशंगशाह-मांडू होता हुआ, यहां पहुंचा और इसके बाद इसका नाम होशंगाबाद पड़ा. हालांकि अब यह नर्मदापुरम है, लेकिन इस लोकसभा सीट को आज भी होशंगाबाद लोकसभा सीट के नाम से ही जाना जाता है. होशंगाबाद क्षेत्र के संसदीय इतिहास की शुरूआत देश के संसदीय इतिहास के साथ शुरू हुई. साल 1952 के पहले चुनाव में यहां की जनता ने चोटी के विद्वान एचवी कामथ को चुनकर भेजा था. कामथ 1930 में इंडियन सिविल सर्विसेस के लिए चुने गए थे, लेकिन बाद में उन्होंने नौकरी छोड़ी और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में कूद गए. एचवी कामथ की विद्वता से प्रभावित होकर पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें संविधान सभा के लिए चुना था. उनके संसदीय इतिहास पर दिए भाषणों पर कई स्टूडेंट्स शोध कर चुके हैं. कामथ होशंगाबाद सीट से 1962, 1977 में भी चुने गए.

होशंगाबाद सीट के रोचक मुद्दे

होशंगाबाद के मतदाताओं का मन बदलना मुश्किल

होशंगाबाद लोकसभा सीट के बारे में माना जाता है कि यहां के मतदाताओं को बांटना, उनका मन बदलना आसान नहीं होता. इस सीट से बीजेपी के सरताज सिंह 5 बार जीते. 1989 से लेकर 1998 तक लगातार चार बार और फिर 2004 में वे इस सीट से जीते, जबकि यहां एक भी वार्ड सिख बाहुल्य नहीं है. सरताज सिंह को उनकी जमीन पर पटखनी देने कांग्रेस के दिग्गज नेता और तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह मैदान में उतरे. लोगों को लुभाने के लिए चुनाव के दौरान हेलीकॉप्टर से पर्चे उड़ाए गए. अर्जुन सिंह के जबरदस्त प्रचार अभियान से चुनावी माहौल एक तरफ दिखाई देने लगा, लेकिन जब चुनावी नतीजा आया तो जनता ने सरताज पर भी भरोसा दिखाया.

होशंगाबाद सीट 20219 के परिणाम

बीजेपी का मजबूत गढ़

होशंगाबाद लोकसभा सीट बीजेपी का मजबूत गढ़ मानी जाती है. इस सीट पर बीजेपी का 1989 से 2004 तक कब्जा बना रहा है. हालांकि 2009 में कांग्रेस के राव उदय प्रताप सिंह ने चुनाव जीता, लेकिन बाद में वे बीजेपी में शामिल हो गए. बीजेपी ने 2014 और 2019 में उन्हें ही लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाकर मैदान में उतारा और उन्होंने जीत दर्ज की. बीजेपी ने इस बार संघ से बीजेपी संगठन में आए दर्शन सिंह चौधरी को चुनाव मैदान में उतारा है. होशंगाबाद लोकसभा सीट के अंतर्गत 8 विधानसभा सीट आती हैं. इसमें नर्मदापुरम जिले की नर्मदापुरम, सिवनी मालवा, सोहागपुर, पिपरिया जबकि नरसिंहपुर जिले की गाडरवारा, नरसिंहपुर, तेंदुखेड़ा और रायसेन जिले की उदयपुरा विधानसभा सीट आती हैं.

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सालों से रेत खनन बड़ा मुद्दा

होशंगाबाद लोकसभा सीट की मुख्य पहचान मां नर्मदा नदी है और इससे निकलने वाला अवैध रेत यहां का सबसे बड़ा मुद्दा भी है. सरकार के तमाम दावों के बाद भी नर्मदा नदी से अवैध रेत खनन पर अंकुश नहीं लगाया जा सका. क्षेत्र की मिट्टी सोना उगलती है, सिंचाई के साधन भरपूर हैं, लेकिन कोई बड़ा उद्योग क्षेत्र में नहीं है, जिसका फायदा सीधा किसानों को मिल सके. बेहतर शिक्षा और रोजगार के बेहतर साधन डेवलप नहीं हो पाए.

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