मध्य प्रदेश

madhya pradesh

खरगोन में आदिवासी भिलाला समाज की अनोखी गुड़ तोड़ प्रतियोगिता, जहां पुरुषों पर बरसती हैं महिलाओं की लाठियां - mp tribal Unique tradition

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 4, 2024, 2:39 PM IST

खरगोन जिले में आदिवासी भिलाला समाज की अनोखी गुड़ तोड़ प्रतियोगिता संपन्न हुई. इस प्रतियोगिता में खंभे से गुड़ की पोटली उतारने के दौरान पुरुषों पर महिलाओं की लाठियां बरसती हैं. इसे देखने के लिए आसपास के जिलों के लोग भी पहुंचते हैं.

mp tribal Unique tradition
अनोखी गुड़ तोड़ प्रतियोगिता पुरुषों पर बरसती हैं महिलाओं की लाठियां

खरगोन में आदिवासी भिलाला समाज की अनोखी गुड़ तोड़ प्रतियोगिता

खरगोन।मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में आदिवासी भिलाला समाज की अनोखी परंपरा है. बुधवार को इसी परंपरा के तहत हुए आयोजन में बड़ी संख्या में आसपास के जिलों से भी कई लोग पहुंचे. होली के बाद प्रत्येक 2 वर्ष के अंतराल से सप्तमी पर किए जाने वाले इस आयोजन में एक खंभे पर सात बार गुड़ की पोटली को टांगी जाती है, और उसे सात बार उतारा जाता है. इस दौरान वहां मौजूद महिला और युवतियों की भीड़ गुड़ की पोटली उतारने वाले युवकों पर जमकर सोंटे बरसाती हैं, जिससे बचते हुए उन्हें इस काम को पूरा करना होता है.

गुड़ तोड़ परम्परा देखने उमड़े आदिवासी

खरगोन जिले के धूलकोट स्थित बाजार चौक में गुड़ तोड़ परम्परा का आयोजन आदिवासी भिलाला समाज द्वारा किया गया. कार्यक्रम में आदिवासी भिलाला समाज धूलकोट के ही भाग लेते हैं. यहां खरगोन, बड़वानी, बुरहानपुर सहित खंडवा जिले के आसपास के क्षेत्रों से भी लोग देखने पहुंचे. पूजन के बाद गड्ढा खोदकर 12 फीट का खंभा गाड़ा जाता है, जिस पर एक लाल कपड़े में गुड़ व चने की पोटली बांधकर लटका दी जाती है. इसे उतारने के लिए युवाओं की टीम सोटियों के मार से बचकर खंभे तक पहुंचती है. इन पर युवतियों व महिलाओ द्वारा सोटें बरसाए जाते हैं. गुड़ को सात बार पोल पर बांधा और सात बार ही उसे युवाओं की टोलियां द्वारा उतारने के लिए प्रयास किये जाते हैं.

ये खबरें भी पढ़ें...

होली पर आराध्य देवता के प्रति समर्पण दिखाने की अनूठी परंपरा, जानें क्या है 'गल'

आदिवासियों का श्रृंगार, अमीरों का फैशन बना टैटू, MP की गोदना प्रथा का क्या है 'स्वर्ग' से कनेक्शन

ढोल और मांदल की थाप पर जमकर थिरके

इस दौरान आदिवासी समाजजन पारंपरिक वेशभूषा में ढोल और मांदल की थाप पर जमकर थिरके तो वहीं इस आयोजन की सुरक्षा व्यवस्था में भगवानपुरा खरगोन व बिस्टान थाने का पुलिसबल मौजूद रहा. गांव के विजय सिंह पटेल ने बताया कि यह परंपरा करीब 150 वर्षों से चली आ रही है और अब हमारी चौथी पीढ़ी हो गई है. उन्होंने बताया कि इसका उद्देश्य सबका साथ है. इसे अधिकतर मौर्य परिवार और मंडलोई परिवार तोड़ते हैं. इसमें सबसे पहले पटेल के यहां से आरती आती है, जिसमें पूरे गांव के और सभी समाजों के लोग मिलकर नाचते गाते हैं. इसके बाद यहां खंभा गाड़कर आरती होती है और उसे सात बार तोड़ते हैं और सात बार उतारते हैं. इसका उद्देश्य सभी समाजों में समरसता लाना है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details