इंदौर. शादी के सात फेरों के बाद साथ जीने-मरने के वादे अब बढ़ती महत्वाकांक्षा और साथ निभाने की बजाय साथ छोड़ने के कारण बेईमानी सिद्ध हो रहे हैं. इंदौर जैसे महानगर में आलम यह है कि यहां फैमिली कोर्ट में प्रतिदिन आने वाले 20 से 25 मामले में से आधे मामले सहमति से तलाक यानी म्यूचुअल डायवोर्स के हैं. इनमें कुछ मामले तो ऐसे हैं, जिनमें शादी को महज 48 घंटे ही हुए और रिश्ता टूट गया. अधिकांश मामलों में देखा गया कि पारिवारिक जिम्मेदारियों के प्रति झुकाव न होने, आपसी समझ की कमी, ससुराल में माता-पिता का दखल और शादी में रहते हुए किसी बाहरी व्यक्ति से करीबी तलाक की प्रमुख वजहें हैं. कई ऐसे दंपत्ति भी हैं, जिन्होंने 40 साल तक साथ रहने के बाद म्यूचुअल डायवोर्स ले लिया.
आपसी सहमति से अलग होने का ट्रेंड
देश में तेजी से बढ़ते मेट्रो कल्चर, शहरों में खत्म होते संयुक्त परिवार और सोशल मीडिया को देखकर बढ़ती महत्वाकांक्षाएं रिश्तों को कमजोर कर रही हैं. बात करें मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले शहर इंदौर की तो शहर में कोरोना काल के बाद फैमिली कोर्ट में डायवोर्स के लिए आने वाले मामलों की तादाद दोगुनी हो चुकी है. वहीं इनमें से अधिकांश मामलों ऐसे हैं जिसमें लड़का और लड़की पक्ष हर स्थिति में जल्द से जल्द अलग होना चाहते हैं. यही वजह है कि अब कोर्ट में म्यूचुअल अंडरस्टैंडिंग के चलते साल भर की खानापूर्ति के बाद तेजी से डायवोर्स हो रहे हैं.
लंबी कानूनी लड़ाई से बचना चाह रहे सभी पक्ष
यहां साल भर में हिंदू विवाह अधिनियम के तहत दर्ज होने वाले करीब आठ हजार तलाक के मामलों में एक हजार से ज्यादा मामले ऐसे हैं, जहां शादी के दो दिन बाद से लेकर एक साल के अंदर लोग आपसी सहमति से अलग हो गए. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि हर कोई तलाक के मामले में न केवल पत्नी और पति से जल्दी छुटकारा पाना चाह रहा है बल्कि आरोप प्रत्यारोप से बचकर लंबी कानूनी लड़ाई से बचना चाह रहा है.