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हाईकोर्ट ने ग्वालियर जिला प्रशासन को दी चेतावनी, अफसरों के साथ कोर्ट में हाजिर हों कलेक्टर - HC warns Gwalior collector

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 11, 2024, 6:10 PM IST

ग्वालियर की नवीन लोहा मंडी के लिये आवंटित जमीन के नामांतरण मामले में हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन को फटकार लगाई है. हाईकोर्ट ने कलेक्टर को तलब करते हुए चेतावनी दी कि आदेश का पालन करें. नहीं तो अवमानना के आरोप तय किए जाएंगे.

HC warns Gwalior collector
आदेश नहीं मानने पर हाईकोर्ट ने ग्वालियर जिला प्रशासन को चेतावनी

ग्वालियर। जमीन नामांतरण मामले में राजस्व अधिकारियों ने हाईकोर्ट के आदेश को भी ठेंगा दिखा दिया. इसके बाद हाईकोर्ट ने ग्वालियर कलेक्टर पर भी अवमानना के आरोप तय करने की चेतावनी दी. उन्हें शुक्रवार सुबह सवा 10 बजे न्यायालय में उपस्थित रहने के लिए तलब किया है. दरअअसल, ये मामला 24 वर्ष पुराने जमीन नामांतरण का है. इस जमीन को हाल ही में प्रशासन और राजस्व विभाग द्वारा नवीन लोहा मंडी के लिये आवंटित की है. बता दें कि ग्वालियर के गिरवर सिंह के पक्ष में 25 फ़रवरी 2010 को कोर्ट ने फैसला सुनाया था. इस फ़ैसले को सरकार ने पहले उच्च न्यायालय और फिर उच्चतम न्यायालय तक में चुनौती दी लेकिन, फ़ैसला गिरवर सिंह के पक्ष में ही हुआ.

हाईकोर्ट ने गिरवर सिंह के पक्ष में जारी किए थे आदेश

जब गिरवर सिंह के परिजन ने अपनी इस ज़मीन में अपने नाम दर्ज कराने के लिए आवेदन किया तो ज़िम्मेदार अफ़सरों ने इस आवेदन को खारिज कर दिया. साल 2017 में गिरवर सिंह के परिजनों ने राजस्व भू अभिलेख रिकॉर्ड में उस ज़मीन पर अपने नाम दर्ज कराने को लेकर हाईकोर्ट की शरण लेते हुए याचिका लगाई. जिस पर 6 साल की सुनवाई के बाद नवंबर 2023 में हाईकोर्ट ने इस याचिका पर गिरवर सिंह के परिजन के पक्ष में फ़ैसला सुनाते हुए राजस्व भू अभिलेख ग्वालियर को आदेश दिए.

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तहसीलदार नहीं बता पाए आदेश का क्यों नहीं हुआ पालन

हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार गिरवर सिंह के परिजनों के नाम ज़मीन के रिकॉर्ड पर दर्ज किए जाने थे. लेकिन इसे एक बार फिर नकारते हुए प्रशासन ने उच्च न्यायालय में अपील की. इसे हाईकोर्ट ने 26 फरवरी 2024 को खारिज कर दिया. राजस्व विभाग ने गिरवर सिंह के परिजन के नाम रिकॉर्ड पर दर्ज नहीं किए. परेशान फ़रियादियो ने प्रशासन के खिलाफ हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर कर दी. जिस पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने तहसीलदार और नायब तहसीलदार से इस रवैये पर नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए पूछा कि अब तक आदेश का पालन क्यों नहीं किया गया.

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