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उत्तराखंड में वन पंचायत संशोधन नियमावली को मंजूरी, वन विभाग का सीधा दखल खत्म, मिले वित्तीय प्रबंधन के अधिकार

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Mar 15, 2024, 7:41 AM IST

Updated : Mar 15, 2024, 10:33 AM IST

Van Panchayat Amendment Rules approved in Uttarakhand राजकीय वन पंचायत को मजबूत किए जाने को लेकर धामी मंत्रिमंडल ने वन पंचायत संशोधन नियमावली को मंजूरी दे दी है. गुरुवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में वन पंचायत के ब्रिटिश काल के अधिनियमों में संशोधन पर सहमति जता दी गई है. ऐसे में अब इस नई नियमावली के तहत नौ सदस्यीय वन पंचायत का गठन किया जाएगा. जिसके पास जड़ी-बूटी उत्पादन, वृक्षारोपण, जल संचय, वन अग्नि रोकथाम, इको टूरिज्म में भागीदारी के अधिकार होंगे. साथ ही इससे वन पंचायत की आय भी बढ़ेगी.

Van Panchayat Uttarakhand
वन पंचायत समाचार

देहरादून: उत्तराखंड कैबिनेट ने वन पंचायत संशोधन नियमावली को मंजूरी दी है. इस नई नियमावली की सबसे खास बात ये है कि पहली बार त्रिस्तरीय स्थानीय निकायों को भी वन पंचायत के वन प्रबंधन से जोड़ा गया है. उत्तराखंड, देश का एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां पर वन पंचायत व्यवस्था लागू है. यह एक ऐतिहासिक सामुदायिक वन प्रबंधन संस्था है जो साल 1930 से संचालित हो रही है. ऐसे में उत्तराखंड सरकार द्वारा वन पंचायतों को आत्मनिर्भर बनाए जाने की दिशा में वन पंचायत प्रबंधन के 12 साल बाद बदलाव किया गया है.

वन पंचायत संशोधन नियमावली को मंजूरी

वन पंचायत संशोधन नियमावली को मंजूरी: वर्तमान समय में प्रदेश में 11,217 वन पंचायतें गठित हैं. जिनके पास 4.52 लाख हेक्टेयर वन क्षेत्र है. वन पंचायत नियमावली में किए गए संशोधन के बाद अब हर वन पंचायत 9 सदस्यीय होगी. इन 9 सदस्यों में एक सदस्य ग्राम प्रधान और एक सदस्य जैव विविधता प्रबंधन समिति की ओर से नामित किया जायेगा. ऐसी वन पंचायतें जो नगर निकाय क्षेत्र में आती हैं, वहां पर नगर निकाय प्रशासन की ओर से एक सदस्य को वन पंचायत में नामित किया जायेगा.

वन पंचायत संशोधन नियमावली को मंजूरी

वन पंचायतों को मिले ये अधिकार: प्रदेश की वन पंचायतें स्वतंत्र रूप से अपने उत्पादों की मार्केटिंग करें, इस दिशा में जो नियमावली बनाई गई है, उसमें वन पंचायतों को अपने-अपने क्षेत्रों में जड़ी-बूटी उत्पादन, वृक्षा रोपण, जल संचय, वन अग्नि रोकथाम, इको टूरिज्म में भागीदारी का अधिकार मिलेगा. इससे होने वाली इनकम वो वनों के रख रखाव में इस्तेमाल कर सकेंगे. इतना ही नहीं नए नियमों के तहत अब, वन पंचायतों को मजबूत बनाने के लिए गैर प्रकाष्ठीय वन उपज (फूल पत्ती जड़ी-बूटी, झूला घास) का रवन्ने या अभिवहन पास जारी करने का भी अधिकार दिया गया है. जिससे एकत्र होने वाली धनराशि को वन पंचायत अपने बैंक खाते में जमा कर सकेंगे.

वन विभाग का दखल खत्म: अभी तक वन पंचायतें, ग्राम सभा से लगे अपने जंगलों के रखरखाव, वृक्षारोपण, वनाग्नि से बचाव समेत अन्य काम स्वयं सहायता समूह की तरह करती आई हैं, लेकिन इसका प्रबंधन डीएफओ के स्तर से किया जाता था. इस नियमावली से अब वन पंचायतों के वित्तीय अधिकार को बढ़ा दिया गया है. इसके साथ ही वन पंचायत को अब वन अपराध करने वाले लोगों से जुर्माना वसूलने का भी अधिकार होगा. वन पंचायतों को सीएसआर फंड या फिर अन्य स्रोतों से मिली धनराशि को उनके बैंक खाते में जमा करने का अधिकार दिए जाने की भी व्यवस्था नये नियमावली में की गई है. जिससे वन पंचायतों की आर्थिक स्तिथि को बेहतर किया जा सकेगा.

अब 9 सदस्यीय होगी वन पंचायत

अधिकार मिले तो कर्तव्य भी बढ़ाए: नई नियमावली में न सिर्फ वन पंचायतों के अधिकारों को बढ़ाया गया है, बल्कि वन पंचायतों के पदाधिकारियों के कर्तव्य और जवाबदेही भी तय की गई है. वन पंचायतों के वनों में कूड़ा निस्तारण को भी प्राथमिकता में रखा गया है. नई नियमावली में ईको टूरिज्म को प्रोत्साहित करने को लेकर भी तमाम प्रावधान किए गए हैं.
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Last Updated :Mar 15, 2024, 10:33 AM IST

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