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किचन वेस्ट से खाद; मेरठ के आरजीपीजी कॉलेज में छात्राएं तैयार कर रहीं बायोफर्टिलाइजर

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 18, 2024, 6:43 PM IST

Updated : Mar 18, 2024, 8:23 PM IST

यूपी के मेरठ में हॉस्टल की मेस से निकलने वाले वेस्ट से स्टूडेंट्स के द्वारा बायोफर्टिलाइजर तैयार किया जा रहा है. इस अनोखी मुहिम से कॉलेज की 5000 छात्राओं के अलावा बाहर के लोगों को भी जोड़कर कार्य किया जा रहा है. मेरठ के आरजी पीजी कॉलेज में इस हुनर को सीखने के लिए न सिर्फ स्टूडेंट्स बल्कि इसके अलावा समाज के अन्य लोगों को भी प्रशिक्षण मिल रहा है.

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मेरठ के कॉलेज की छात्राओं के स्टार्टअप पर संवाददाता श्रीपाल तेवतिया की खास रिपोर्ट.

मेरठ: देशभर में तमाम ऐसी जगह हैं जहां कचरे के ढेर देखने को मिलते हैं. लगभग हर शहर और हर नगर में भी ऐसा होता ही है. अब मेरठ के रघुनाथ गर्ल्स कॉलेज ने एक अनोखी मुहीम की शुरुआत की है. कॉलेज के वनस्पति विभाग की प्रोफेसर और स्टूडेंट्स ने मिलकर किचन वेस्ट पर काम किया है.

बता दें कि आरजीपीजी कॉलेज में लगभग पांच हजार बेटियां पढ़ाई करती हैं. वहीं हॉस्टल भी हैं. ऐसे में यहां के किचन से जो वेस्ट निकलता है, उसे अब उपयोग में लिया जा रहा है. उससे बायोफर्टिलाइजर बनाया जा रहा है.

ईटीवी भारत को वनस्पति विज्ञान विभाग की प्रोफेसर ने बताया कि एक तो इससे कचरे का निस्तारण हो सकेगा, वहीं इस विधि से बनने वाली खाद भी बेहद उपयोगी रहेगी. आरजीपीजी कॉलेज की बीएससी थर्ड ईयर की छात्रा खुशी चौधरी बताती हैं कि कॉलेज की कैंटीन और मेस से जो वेस्ट निकलता है, उसी से यह बायोकम्पोस्ट तैयार किया जा रहा है.

Kitchen Waste

वह कहती हैं कि बहुत सारा कचरा ऑर्गेनिक होता है. उसे हम लोग फेंक देते हैं. उसे ही उपयोग में लेकर पावरफुल खाद तैयार करने का प्लान बनाया. इस प्रोजेक्ट को विश्वविद्यालय की तरफ से सराहा गया है. जिसके बाद कॉलेज से शुरुआत की है. आगे भी इसे अच्छे लेवल पर ले जाकर व्यवसायिक उपयोग के लिए भी किया जा सकेगा.

प्रोफेसर अनुपमा सिंह बताती हैं कि जो घरों से कचरा निकलता है, वह एक बड़ी समस्या है. कम से कम जो कचरा निकल रहा है. उसे न निकलने दें, उसे रियूज करके उपयोगी बनाया जाए. इसको लेकर प्लान किया अपने दो स्टूडेंट्स को यह प्रोजेक्ट तैयार कराया.

वह बताती है कि ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इस बारे में जागरूक हो सकें और किचन वेस्ट का उपयोग किया जा सके. इसके लिए 36 घंटे का एक कोर्स भी यहां डिजाइन किया गया है. जिसमें किचन वेस्ट से कैसे खाद तैयार की जाती है, के बारे में बताया जाता है. इसमें स्टूडेंट्स खूब रुचि भी दिखा रहे हैं.

Kitchen Waste

प्रोफेसर अनुपम कहती हैं कि एक बार सीखने के बाद कोई भी इस तरह से अपने घर में आराम से किचन से निकलने वाले कूड़े कचरे समेत बाकी वेस्ट से खाद बना सकता है. इसके दो फायदे हैं, एक तो पर्यावरण सुरक्षित रहेगा और दूसरा खाद के लिए कोई पैसा खर्च नहीं करना पड़ेगा.

प्रोफेसर मधु चौधरी बताती हैं कि इस प्रोजेक्ट के लिए कुछ प्रोत्साहन राशि विश्वविद्यालय की तरफ से मिली थी, जबकि कुछ राशि कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ.निवेदिता मलिक के द्वारा उपलब्ध कराई गई थी. जिससे मैन्युअली मोड पर इसके लिए पूरी तकनीक को डिजाइन करके तैयार किया गया है.

Kitchen Waste

वह बताती हैं कि जो बायो फर्टिलाइजर तैयार हो रहा है, उसका उपयोग अभी तो कॉलेज में बने बाग बगीचों में किया जा रहा है. आने वाले समय में इसे व्यापाक स्तर पर करेंगे. तब यह भी तय है कि आगे उसे मार्केट में उपलब्ध कराएंगे.

प्रोफेसर गार्गी मलिक कहती हैं कि कॉलेज में 5000 बेटियां हैं, सभी को साथ जोड़ा है. उन्हें इस बारे में जानकारी जब दी गई तो सभी ने दिलचस्पी दिखाई. वह कहती हैं कि इसके अलावा भी वर्कशॉप ऑर्गेनाइज करके लोगों को जागरूक करते हैं. उसमें कॉलेज के बाहर के बच्चे भी आते हैं.

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Last Updated :Mar 18, 2024, 8:23 PM IST

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