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बेहतर इलाज के लिए अब शहर के नहीं काटने पड़ेंगे चक्कर, CHC थलीसैंण को उप जिला अस्पताल का मिला दर्जा

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 6, 2024, 9:26 PM IST

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र थलीसैंण को उप जिला अस्पताल का दर्जा मिला है. जिससे अब मरीजों को सभी स्वास्थ्य सुविधाएं एक ही जगह पर उपलब्ध होंगी. वहीं, उप जिला अस्पताल का दर्जा मिलने के सूचना पर स्थानीय लोगों में खुशी की लहर है.

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श्रीनगर:सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र थलीसैंण को उप जिला अस्पताल का दर्जा मिल गया है. जिससे अब इस स्वास्थ्य केंद्र को उप जिला अस्पताल के मानकों के अनुसार संसाधनों से लैस किया जाएगा. साथ ही डॉक्टरों के पदों और बेड की संख्या बढ़ाने समेत अन्य ढांचागत सुविधाओं का विकास होगा. सरकार के इस कदम से पौड़ी जिले के दूरस्थ क्षेत्र की लगभग एक लाख की जनसंख्या को लाभ मिलेगा.

अस्पताल भवन के विस्तारीकण के लिए मिला बजट:मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने पूर्व घोषणा के तहत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र थलीसैंण को उप जिला अस्पताल के रुप में उच्चीकृत किए जाने की स्वीकृति दी है. सरकार ने अस्पताल भवन के विस्तारीकण के लिए चार करोड़ 39 लाख 49 रुपये का बजट दिया है. थलीसैंण अस्पताल से थलीसैंण, वीरोंखाल, पोखड़ा व पाबौं के आंशिक क्षेत्र स्वास्थ्य सुविधाएं लेते हैं. उप जिला अस्पताल का दर्जा मिलने पर अस्पताल में आर्थोपेडिक सर्जन, पैथोलॉजिस्ट, आकस्मिक चिकित्साधिकारी की नियुक्ति होने के साथ ही पैरामेडिकल स्टाफ की संख्या बढे़गी. वहीं, स्थानीय निवासियों का कहना है कि सरकार ने क्षेत्र की बहुत बड़ी समस्या हल की है. अब बड़े ऑपरेशन और जांच यहीं होंगी. साथ ही इमरजेंसी केसों में भी सुधार होगा.

अस्पताल की मौजूदा स्थिति:चिकित्सा अधीक्षक, पब्लिक हेल्थ स्पेशलिस्ट, जनरल सर्जन, फिजीशियन, स्त्री रोग विशेषज्ञ, बाल रोग विशेषज्ञ, निश्चेतक, चिकित्सा अधिकारी, चिकित्सा अधिकारी महिला व फार्मासिस्ट सहित अन्य पद हैं.
उप जिला अस्पताल बनने के बाद की स्थिति:चिकित्सा अधीक्षक, फिजीशियन, सर्जन, निश्चेतक, जनरल ड्यूटी मेडिकल अफसर, बाल रोग विशेषज्ञ, पैथोलॉजिस्ट, ज्येष्ठ दंत विशेषज्ञ, नेत्र रोग विशेषज्ञ, स्त्री रोग एवं प्रसूति विशेषज्ञ, महिला चिकित्सा अधिकारी, हड्डी रोग विशेषज्ञ, आकस्मिक चिकित्साधिकारी, चीफ फार्मेसिस्ट सहित पद होंगे.

  • इमरजेंसी डॉक्टरों की तैनाती होने से तत्काल मिलेगी आकस्मिक सेवा
  • बेड की संख्या बढ़ने पर मरीजों को नहीं होगी परेशानी.
  • पैथोलॉजिस्ट की तैनाती होने से रक्त संबंधी महत्वपूर्ण जांच होगी.
  • दुर्घटना या हड्डी संबंधी रोगों के उपचार के लिए हड्डी रोग विशेषज्ञ उपलब्ध होगा.
  • पैरामेडिकल स्टाफ की संख्या बढ़ने से अस्पताल के इंडोर पेशेंट वार्ड की व्यवस्था में होगा सुधार.

वार्ड बॉय की संख्या एक से बढ़कर होगा 10 :उप मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. रमेश कुंवर ने बताया कि शासन से धन अवमुक्त होने के बाद काम शुरू करा दिया जाएगा. थलीसैंण में उप जिला अस्पताल के लायक भूमि मिल गई है. उन्होंने कहा कि अस्पताल में इमरजेंसी डॉक्टर, जीडीएमओ, नेत्र रोग विशेषज्ञ, पैथोलॉजिस्ट, ज्येष्ठ दंत विशेषज्ञ व चीफ फार्मासिस्ट तैनात होंगे. अभी यहां नर्सिंग अधिकारी के पांच पद सृजित हैं. जिनकी संख्या लगभग 19 हो जाएगी. साथ ही वार्ड बॉय की संख्या एक से बढ़कर 10 हो जाएगी.

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